V Narayanan ने इसरो प्रमुख के रूप में कामकाज संभाला, एस. सोमनाथ की जगह ली

बेंगलुरु

वी नारायणन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। उन्होंने एस. सोमनाथ की जगह ली है। इसरो के मुताबिक, प्रतिष्ठित वैज्ञानिक (शीर्ष ग्रेड) डॉ. वी नारायणन ने 13 जनवरी 2025 को अंतरिक्ष विभाग के सचिव, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और इसरो के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया।

इससे पहले नारायणन ने इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक के रूप में कार्य किया। यह प्रक्षेपण यानों और अंतरिक्ष यानों की प्रणोदन प्रणालियों के विकास के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख केंद्र है। उन्होंने भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन 'गगनयान' कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय स्तर के ह्यूमन रेटेड सर्टिफिकेशन बोर्ड (एचआरसीबी) के अध्यक्ष के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह 1984 में इसरो से जुड़े थे।

कौन हैं डॉ. वी. नारायणन?
डॉ. वी. नारायणन देश के जाने-माने वैज्ञानिक और रॉकेट प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ हैं। वर्तमान में वह इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक हैं। यह इसरो का प्रमुख केंद्र है, जिसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम के वलियमाला में स्थित है। डॉ. नारायणन की शुरुआती शिक्षा तमिल भाषी स्कूलों में हुई। उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम.टेक और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री हासिल की है। एम.टेक प्रोग्राम में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया था।

डॉ. नारायणन ने 1984 में इसरो में अपनी वैज्ञानिक यात्रा शुरू की। 2018 में वह एलपीएससी के निदेशक बने। उनकी उपलब्धियों में GSLV Mk III व्हीकल का C25 क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट शामिल है, जिसमें उन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर की भूमिका निभाई।

वैज्ञानिक करियर की शुरुआत
डॉ. नारायणन ने अपनी करियर की शुरुआत विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) से की थी। शुरुआती चार वर्षों में उन्होंने साउंडिंग रॉकेट्स, ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल और पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के सॉलिड प्रोपल्शन क्षेत्र में काम किया। गगनयान मिशन और अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई है।

चंद्रयान-3 मिशन में योगदान
चंद्रयान-3 की सफलता में डॉ. वी. नारायणन का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम के विकास का नेतृत्व किया, जिसने भारत को इस तकनीक में सक्षम देशों की सूची में शामिल कर दिया। इसी प्रणाली का उपयोग चंद्रयान-2 और एलवीएम3/चंद्रयान-3 के लॉन्च में किया गया। यह प्रणाली भारत को लॉन्च व्हीकल में आत्मनिर्भरता दिलाने में महत्वपूर्ण रही है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अध्यक्ष का पदभार संभालने से पहले वी नारायणन ने छात्रों से  अधिक अंक हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने की अपील की थी। उन्होंने व्यक्तित्व के समग्र विकास पर भी जोर दिया। उन्होंने पीएम मोदी के विजन का जिक्र करते हुए कहा था कि 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए छात्रों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए। देश और यहां के लोगों के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा था, 'छात्रों को सबसे पहले यह सीखना चाहिए कि कैसे पढ़ना है। छोटी उम्र में… जो चाहें पढ़ सकते हैं। छात्रों को 'मूल्य' और 'बौद्धिकता' आधारित दो शिक्षा प्रणालियों को अपनाना चाहिए। अपने अनुभव का जिक्र करते हुए भावी इसरो प्रमुख ने कहा, साधारण पृष्ठभूमि के बावजूद उनके माता-पिता ने सब कुछ पढ़ने का अवसर दिया… पूरा समर्थन किया। शादी के बाद, मुझे अपने परिवार और बच्चों से बहुत समर्थन मिला।'

अंतरिक्ष विज्ञानी नारायणन ने कहा था, 'प्रधानमंत्री का विजन 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र में बदलना है। छात्रों को कड़ी मेहनत कर देश और उसके लोगों के विकास के लिए काम करना चाहिए। बकौल नारायणन, 'अतीत में देश की इस अंतरिक्ष एजेंसी का नेतृत्व विक्रम साराभाई, सतीश धवन, देश के पहले उपग्रह निदेशक यूआर राव और कस्तूरी रंगन, माधवन नायर, के राधा कृष्णन और वर्तमान अध्यक्ष एस सोमनाथ जैसे कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिक कर चुके हैं। उन्होंने कहा, अब मुझे इस महान संगठन का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है। नारायणन ने कहा, नियुक्ति के लिए भगवान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद।'

 

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