भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि आज का दिन एक बार फिर से इतिहास में दर्ज होने वाला है। मध्यप्रदेश शासन की केबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक लोकमाता देवी अहिल्याबाई की पावन नगरी महेश्वर में होने जा रही है। अपने शासनकाल में देवी अहिल्या बाई होल्कर ने सुशासन के अविश्वसनीय और अद्भुत आदर्श स्थापित किये। उन्होंने अपने राज्य में सुशासन के साथ ही न्याय, शिक्षा, समाज कल्याण, धर्म कल्याण, जल संरक्षण और संवर्धन आदि जनहित से जुड़े विषयों पर अद्भुत कार्य कर एक आदर्श स्थापित किया। उनके द्वारा गढ़े गये सुशासन, कुशल प्रशासन, न्यायप्रियता, परोपकार, धर्म-कल्याण, जल-संवर्धन और जल-संरक्षण के लिये किये कार्यों को आदर्श मानकर उसी दिशा में पथ पर राज्य सरकार तेजी से अग्रसर हो रही है। माँ देवी अहिल्याबाई को अपना आदर्श मानकर उनके बताये मार्ग पर चलकर सुशासन की एक नयी दिशा तय की जा रही है। प्रदेश में अहिल्याबाई के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिये अनेक योजनाएँ, कार्यक्रम और गतिविधियों का क्रियान्वयन प्रारंभ किया गया है। प्रदेश का समूचा मंत्री मंडल शुक्रवार को पुण्य-श्लोका देवी अहिल्या बाई को नमन करने महेश्वर पहुँच रहा है।

सशक्त नेतृत्व और प्रशासन
देवी अहिल्याबाई ने इंदौर राज्य की बागडोर संभालते हुए न्याय, धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए। उनका शासन समृद्ध और उन्नत समाज का परिचायक था। वे एक कुशल प्रशासक के रूप में प्रसिद्ध हुई। उनके समय में इंदौर राज्य में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हुई, व्यापार बढ़ा और समाज में सांस्कृतिक एवं धार्मिक समरसता आई। न्यायप्रियता और दयालुता उनकी विशेष पहचान रही है। उन्होंने अपने राज्य में अपराधियों को सजा देने में सदैव कठोर निर्णय लिये। उन्होंने गरीबों, असहाय और अन्य जरूरतमंदों की मदद में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

सामाजिक कार्य और धार्मिक दृष्टिकोण
देवी अहिल्याबाई ने महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने मंदिरों का निर्माण कराया और धर्म के प्रचार-प्रसार में अविस्मरणीय योगदान दिया। विशेष रूप से उन्होंने मंदिरों के निर्माण और पुनर्निर्माण के अनेक कार्य किए। इसके अलावा उन्होंने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की। उन्होंने जल संरक्षण और संवर्धन के लिए कुओं और बावड़ियों का निर्माण करवाया। उन्होंने अन्न क्षेत्र प्रारंभ करावाये, प्याऊ का निर्माण करवायें और अनेक घाट बनवायें।

सैन्य शक्ति और रणनीति
देवी अहिल्याबाई केवल एक अनुशासनप्रिय शासिका ही नहीं बल्कि एक सशक्त सैन्य शासक भी थीं। उनका सैन्य बल बहुत सशक्त था और उन्होंने कई युद्धों में अपनी सेना का नेतृत्व किया। उनका युद्ध कौशल और रणनीतिक दृष्टिकोण सदैव सराहा गया। देवी अहिल्याबाई ने कई बार बाहरी आक्रमणों का डटकर मुकाबला किया और अपने राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित की।

लोकमाता अहिल्याबाई होलकर ने वर्ष 1767 से 1795 तक होलकर वंश के शाही परिवार की सत्ता संभाली और मध्यप्रदेश के महेश्वर से अपना शासन चलाया। उनका शासन दूरदृष्टि और न्यायप्रियता के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने राज्य के लोगों की भलाई के लिए कई सुधार किए और उनका प्रशासन निष्पक्ष, कर्मठ और प्रभावी रहा। उनके शासन में किसानों का कल्याण, व्यापार को बढ़ावा देना और बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़कों, जल आपूर्ति और शिक्षा पर ध्यान दिया गया। उन्होंने महेश्वर के किले, मंदिरों और अन्य अधोसंरचनात्मक निर्माण कार्य कराये।

महान शासिका देवी अहिल्याबाई और मध्यप्रदेश का इतिहास
देवी अहिल्याबाई भारतीय इतिहास की एक महान शासिका थीं, जिनका योगदान न केवल मराठा साम्राज्य में बल्कि मध्यप्रदेश के इतिहास में भी उल्लेखनीय रहा। 18वीं सदी में अपनी शासन शैली और दूरदृष्टि के लिए प्रसिद्ध देवी अहिल्याबाई का शासनकाल मध्यप्रदेश में विकास और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक बना।

सांस्कृतिक और धार्मिक योगदान
देवी अहिल्याबाई न केवल एक उत्कृष्ट शासिका थी, बल्कि एक महान सांस्कृतिक संरक्षक भी थी। उन्होंने कई मंदिरों, किलों और अन्य धार्मिक संरचनाओं का निर्माण कराया। काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर और उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर जैसी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों पर जीर्णोद्धार के साथ ही पुर्ननिर्माण के कार्य कराये। उनका उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना था।

सामाजिक कल्याण और समानता
देवी अहिल्याबाई ने अपने शासन में सामाजिक कल्याण के लिए कई पहल की। उन्होंने न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी, बल्कि समाज में व्याप्त भेदभाव को भी समाप्त करने का प्रयास किया। उनके दरबार में हर जाति और समुदाय के लोग थे। उनके शासन में गरीबों और वंचितों के लिए कई योजनाएं बनाई गई, जिनसे उन्हें राहत मिली।

मध्यप्रदेश में अहिल्याबाई की धरोहर
देवी अहिल्याबाई होलकर का शासनकाल मध्यप्रदेश के इतिहास में स्वर्णिम युग माना जाता है। आज भी महेश्वर, जो कि होल्कर शासकों के राजाओं की राजधानी था, मध्यप्रदेश का एक प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। महेश्वर के किले, घाटों और मंदिरों को देखकर देवी अहिल्याबाई की दूरदृष्टि और उनके योगदान से हम आज भी गौरव का अनुभव करते हैं। ।

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