राजस्थान- यातायात अधिनियमों का सख्ती से पालन कराने से आएगी सड़क दुर्घटनाओं में कमी—एडीजी ट्रैफिक

जयपुर।

यातायात प्रबंधन की दिशा में हमारा हर छोटा कदम मानवीय जीवन को सुखी और सुरक्षित बनाएगा। ऐसे में पुलिसकर्मी और अधिकारी यातायत से सम्बंधित अधिनियमों में छोटी—छोटी बातों पर ध्यान देते हुए रोजमर्रा की पुलिसिंग में लॉ एनफोर्समेंट की प्रभावी कार्यवाही करें। इससे सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली जनहानि और प्रभावित परिवारों जो संकट आता है, ऐसी दु:खद स्थितियों में सुधार आएगा।

यह बात अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) पुलिस, यातायात श्री अनिल पालीवाल ने बुधवार को राजस्थान पुलिस अकादमी में 'कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम आन रोड सेफ्टी' विषय पर आरम्भ हुए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कही। एडीजी श्री पालीवाल ने कहा कि नए कानूनों के तहत 60 पुलिस एक्ट में यातायात से सम्बंधित विषयों पर एक्शन के लिए थाना और सर्किल स्तर के पुलिस अधिकारियों को विशेष पावर मिली हुई है। सुगम और सुरक्षित यातायात में दुकानों के आगे सामान और अन्य सामग्री का डिस्पले जैसी स्थितियों से जो बाधा उत्पन्न होती है, उन पर पुलिस अधिकारी संज्ञान लेते हुए एक्शन लें। उन्होंने कार्यक्रम में युवा प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि यातायात प्रबंधन से जुड़े एक्ट और प्रावधानों को गहनता से समझे और उन्हें अमल में लाएं। अ​तिरिक्त महानिदेशक पुलिस एटीएस एवं एसओजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं को मजबूत बनाते हुए एक्सीडेंट्स में पीड़ितों को तुरंत मदद और राहत दिलाने में योगदान देने वाले नागरिकों को प्रोत्साहित करने के लिए कई स्कीम्स और पुरस्कार घोषित किए हैं, उनका व्यापक प्रचार—प्रसार करने की आवश्यकता है, नागरिकों की जागरूकता और सजगता से ही सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग की शासन सचिव एवं आयुक्त् श्रीमती शुची त्यागी ने कहा कि सड़क दुर्घटना में किसी नागरिक की मृत्यु सम्बंधित परिवार के लिए एक बड़ी त्रासदी के समान होती है। उन्होनें ट्रैफिक प्रबंधन के लिए 4 ई के सिद्धांत इंजीनियरिंग, एनफोर्समेंट, एजुकेशन और इमरजेंसी का जिक्र करते हुए कहा कि दुपहिया वाहन चलाने वाले के हेलमेंट पहनने और चौपहिया वाहन चलाते समय सीट बैल्ट लगाने की सजगता से ही सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु के आंकड़े को घटाया जा सकता है। कार्यक्रम की शुरूआत अतिरिक्त महानिदेशक, पुलिस एवं आरपीए के निदेशक श्री एस सेंगथिर ने सड़क सुरक्षा के लिए समन्वित प्रयासों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ें में 50 प्रतिश्त तक कमी लाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी सम्बंधित विभाग, एजेंसीज और विशेषज्ञों को मिलकर संवेदनशीलता से प्रयास करने होंगे। कार्यक्रम में प्रदेश की पुलिसं रेंज में सड़क सुरक्षा की दिशा में सराहनीय कार्य करते हुए दुर्घटनाओं में ना​गरिकों के जीवन को बचाने में अहम योगदान देने वाले 20 पुलिसकर्मियों और खास नागरिको को कर्मवीरों के रूप में सम्मानित किया गया। इन कर्मवीरों ने पिछले एक साल के दौरान प्रदेश के अलग—अलग हिस्सों में सड़क दुर्घटनाओं में नागरिको की मदद की एवं पहल करके सड़क सुरक्षा अभियान का भी संचालन किया। पहले दिन आयोजित विशेष सत्रों में सड़क सुरक्षा में वर्तमान प्रगति पर आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर श्री वेंकटेश बालसुब्रमण्यम ने इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंड डाटाबेस सिस्टम के बारे में विस्तृत चर्चा की, जो पारंपरिक ट्रैफिक पुलिसिंग को डेटा एनालाइसिस के जरिए स्मार्ट एवं बेहतर बनने में मदद करती है। 'सड़क सुरक्षा प्रबंधन में क्षमता निर्माण' विषय पर इंस्टीटयूट ऑफ रोड़ ट्रैफिक एज्यूकेशन, नई दिल्ली के प्रेसीडेंट श्री रोहित बलूजा ने बताया कि भारत समूचे विश्व में सड़क दुर्घटना मृत्यु के आंकडों में प्रथम स्थान पर है। तृतीय सत्र में आईआरसी के पूर्व महासचिव श्री एस के निर्मल ने सड़क सुरक्षा संबंधी चुनौतियों एवं उनके निराकरण के लिए भारतीय रोड़ कांग्रेस की गाईडलाइन के संबंध में विस्तृत व्याख्यान दिया। चतुर्थ सत्र में एनपीए के वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री नूपूर मोदी ने तकनीकी परीक्षण एवं दस्तावेजीकरण की विधियों पर विषेष चर्चा की। प्रथम दिन के अंतिम सत्र में एआरटीओं श्री वीरेन्द्र सिंह राठौड़ नें ‘सड़क सुरक्षा के मूलभूत मानको‘ के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया।

समापन गुरुवार को, होंगे पांच सेशन —
कार्यक्रम की समापन के दिन गुरुवार को एक-एक घंटे के पांच सेशन होंगे। सेशन के प्रारम्भ में आधा घंटा पहले दिन की चर्चा पर वार्ता होगी। उसके बाद दूसरे दिन के पहले सेशन में अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एटीएस एवं एसओजी श्री वीके सिंह सड़क सुरक्षा के बारे में विस्तार से परिचय देंगे। दूसरा सेशन सभी हितधारकों के लिए सड़क सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता विषय पर होगा, जिसके वक्ता मुस्कान फाउंडेशन, जयपुर के डॉ मृदुल भसीन होंगे। तीसरे सेशन युवा सहभागिता, सड़क सुरक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के वक्ता भारतीय सड़क सुरक्षा अभियान (आईआरएससी) नई दिल्ली के सह-संस्थापक श्री दीपांशु गुप्ता, चौथे सेशन बुनियादी जीवन समर्थन, सीपीआर, दुर्घटना पीड़ितों के लिए सरकारी योजनाओं पर राज्य नोडल अधिकारी (सड़क सुरक्षा) जयपुर डॉ. एल. एन. पांडे एवं अंतिम सेशन में इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम एवं इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डाटाबेस के बारे में वरिष्ठ निदेशक (आईटी), एनआईसी राज्य समन्वयक, ई-ट्रांसपोर्ट सेवाएं, जयपुर श्री श्रीपाल यादव प्रस्तुतीकरण देंगे।

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