इंदौर
आदिवासी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहे सिकल सेल के मरीजों की संख्या कम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसके अंतर्गत प्रदेश की पहली आधुनिक मालिक्यूलर लैब एमवाय अस्पताल में शुरू हो गई है।
इसमें अब गर्भ में ही पता कर रहे हैं कि बच्चा सिकल सेल से पीड़ित तो नहीं है। सिकल सेल बीमारी का कोई ईलाज नहीं है। ऐसे में माता-पिता को बच्चे की देखभाल करने में काफी समस्या होती है। एमवायएच में स्थापित लैब देश के चुनिंदा मेडिकल कालेजों में ही है।
बता दें कि भारत सरकार की योजना के हिसाब से 2047 में सिकल सेल का उन्मूलन किया जाना है। इसी कार्यक्रम के अंतर्गत संभाग के धार, झाबुआ, आलीराजपुर आदि जिलों में सिकल सेल का सर्वे चल रहा है। इसी के तहत ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग को मरीजों को सुविधा देने के लिए लैब शुरू की गई है।
माता-पिता पीड़ित तो बच्चे को भी सिकल सेल की आशंका
अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने बताया कि मालिक्यूलर लैब में सिकल सेल से पीड़ित बच्चों को आधुनिक सुविधा दी जा रही है। बोनमैरो ट्रांसप्लांट भी किया जा रहा है।
यदि माता-पिता दोनों को सिकल सेल बीमारी है तो उनके बच्चों को इसके होने की आशंका अधिक होती है।
ऐसे में गर्भस्थ भ्रूण की जांच कर पता लगाने की कोशिश मालिक्यूलर स्तर पर की जा रही है कि गर्भ में पल रहा बच्चा सिकल सेल से पीड़ित तो नहीं है।
इसका उद्देश्य सिकल सेल के नए मरीजों की संख्या में कमी लाना और पीड़ित मरीजों को आधुनिक उपचार देना है।
एमवायएच में वर्तमान में सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित 1400 मरीज रजिस्टर्ड है। इनमें सबसे अधिक मरीज झाबुआ-आलीराजपुर जिले के हैं।
प्रदेश के पांच जिलों में 75 प्रतिशत मरीज
भारत में जनजातीय आबादी में लक्षणों की व्यापकता लगभग 10 प्रतिशत है और रोग की व्यापकता एक प्रतिशत है। मध्य प्रदेश के 45 में से 27 जिले सिकल सेल जोन में आते हैं। प्रदेश में सिकल सेल के 75 प्रतिशत मरीज आदिवासी जिले आलीराजपुर, अनूपपुर, छिंदवाड़ा, झाबुआ और डिंडौरी के हैं।
प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति करने वाले थे लैब का उद्घाटन
मालिक्यूलर लैब के वचुर्अल उद्घाटन करने की संभावना 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से जताई जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद अस्पताल ने एक जनवरी से अपने स्तर पर ही इससे जांच शुरू कर दी।
यह होता है सिकल सेल एनीमिया
सिकल सेल एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाओं का आकार हंसिए की तरह हो जाता है, जिससे पीड़ितों को खून की कमी, जोड़ों में दर्द सहित कई समस्याएं होने लगती हैं। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। वाहक महिला-पुरुष के बीच विवाह संबंध बचाकर इस बीमारी से पीड़ित संतान के जन्म को रोका जा सकता है।
सिकल सेल स्क्रीनिंग में प्रदेश पहले स्थान पर
मध्य प्रदेश ने सिकल सेल स्क्रीनिंग अभियान में अपने वार्षिक लक्ष्य को समय से पूर्व पूरा कर लिया है। प्रदेश में अब तक कुल 90,98,902 लोगों की सिकल सेल स्क्रीनिंग कर शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया गया है। साथ ही 53,87,892 सिकल सेल कार्ड (59.21 प्रतिशत) वितरण की उपलब्धि हासिल कर देश में पहले स्थान पर है।