नई दिल्ली
नया टैक्स सिस्टम लागू होने के बाद से सरकार ने सालाना 15 लाख रुपये से कम कमाने वाले टैक्सपेयर्स को टैक्स स्लैब (Tax Slab) के हिसाब से लिमिट बढ़ाकर राहत दी है. इस छूट का मकसद बढ़ती महंगाई के दौर में उनकी इनकम को कम होने से बचाना रहा है.
लेकिन, अगर बात सबसे ज्यादा टैक्स भरने वाले टैक्सपेयर्स के हिसाब से करें तो बीते 5 साल से उन्हें लिमिट के मोर्चे पर कोई राहत नहीं मिली है. आंकड़ों के मुताबिक 2020 में नए टैक्स सिस्टम (New Tax System) की शुरुआत होने के बाद से अबतक लागत महंगाई इंडेक्स यानी CII करीब 21 फीसदी बढ़ गया है.
15 लाख आय वालों को मिल सकती है राहत
महंगाई के इस असर को कम करने के लिए सरकार ने पांच साल में 15 लाख रुपये से कम इनकम वाले टैक्सपेयर्स के लिए लिमिट में न्यूनतम 20 फीसदी और अधिकतम 40 फीसदी की बढ़ोतरी की है. हालांकि, 15 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले टैक्सपेयर्स के लिए लिमिट में कोई बदलाव नहीं किया गया है और उन्हें 30 फीसदी की अधिकतम रेट से टैक्स भरना पड़ रहा है.
एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि अब महंगाई और दूसरे खर्चों को देखते हुए जरुरत है कि सबसे ऊंचे स्लैब में आने वाले लोगों को भी राहत देने पर सरकार विचार करे. वैसे भी अगर आंकड़ों के मुताबिक आईटीआर भरने वालों के इनकम स्लैब को देखें तो 70 फीसदी टैक्सपेयर्स की टैक्सेबल इनकम 5 लाख या इससे कम है.
जानिए कौन देता है सबसे ज्यादा टैक्स
ऐसे में 30 फीसदी लोग ही डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के लिए सरकार का सबसे बड़ा सहारा है. इसलिए ही मांग की जा रही है कि इन लोगों को भी अब टैक्स के बोझ से कुछ राहत मिलनी चाहिए, जिससे शहरी नौकरीपेशा को काफी राहत मिलेगी, क्योंकि ये लोग ऊंची ब्याज दर पर होम लोन की EMI चुका रहे हैं. बच्चों की महंगी स्कूल फीस भरने को मजबूर हैं और बेहतर लाइफस्टाइल के लिए ज्यादा जेब ढीली कर रहे हैं.
हाल ही में आए ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के सर्वे में भी लोगों ने टैक्स में छूट की मांग की है. सर्वे के मुताबिक देश के 57 फीसदी पर्सनल टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि सरकार अगले बजट में टैक्स घटाकर उन्हें राहत पहुंचाए. 25 फीसदी ने अधिकतम टैक्स स्लैब में छूट की मांग की है. 72 फीसदी पर्सनल टैक्सपेयर्स के नई आयकर व्यवस्था चुनने के बावजूद 63 फीसदी पुरानी व्यवस्था के तहत मिलने वाले प्रोत्साहन में बढ़ोतरी के पक्ष में हैं.
नए टैक्स सिस्टम की तरफ आकर्षण बढ़ाने के लिए करीब 46 फीसदी ने टैक्स रेट घटाने का सुझाव दिया है. 47 फीसदी चाहते हैं कि पुराने टैक्स सिस्टम के तहत ‘सेट-ऑफ’ सीमा बढ़ाई जाए या दो लाख रुपये की लिमिट पूरी तरह हटा दी जाए. ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के मुताबिक एनपीएस की टैक्स कटौती सीमा में बढ़ोतरी और इससे निकासी के ज्यादा लचीले नियम होने पर रिटायरमेंट बचत को बढ़ावा मिलेगा.