डीप ओशन मिशन: इस वर्ष लॉन्च की जाएगी मानव पनडुब्बी, शत-प्रतिशत स्वदेशी प्रौद्योगिकी के ..

नई दिल्ली

भारत समुद्र के अंदर अपने पहले मानव चालित सब-मर्सिबल को तैनात करने की तैयारी कर रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्‍य मंत्री जितेंद्र सिंह ने पृथ्‍वी भवन में डीप ओशन मिशन संचालन समिति की बैठक में कहा‍ कि इस वर्ष 500 मीटर तक की गहराई के लिए तैयार सब-मर्सिबल को लांच कर दिया जाएगा। अगले वर्ष इसकी पहुंच छह हजार मीटर तक करने की योजना है। डीप ओशन मिशन का उद्देश्य जलीय संसाधनों का पता लगाना और देश की समुद्री अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्‍य ऐसी दुर्लभ धातुओं और समुद्री जैव-विविधता का पता लगाना भी है जिनके आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव है।

इसी साल होगा डीप-सी मैनड व्हीकल लॉन्च
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को आगे बढ़ाने और ब्लू इकोनॉमी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस संदर्भ में उन्होंने घोषणा करते हुए कहा है कि देश इस साल अपना पहला मानव अंडरवाटर वाहन (डीप-सी मैनड व्हीकल) लॉन्च करने के लिए तैयार है।
“डीप ओशन मिशन” पर मिशन संचालन समिति की दूसरी बैठक में अपने संबोधन में उन्होंने इस पहल की अभूतपूर्व प्रकृति के बारे में बताया, जिससे भारत को ऐसे महत्वाकांक्षी प्रयास को शुरू करने के लिए तकनीकी क्षमता वाले छह देशों के चुनिंदा समूह में शामिल का अवसर मिला है।

शुरू में 500 मीटर की गहराई पर काम करेगी पनडुब्बी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शुरुआती पनडुब्बी 500 मीटर की गहराई पर काम करेगी, और अगले साल तक 6,000 मीटर की आश्चर्यजनक गहराई तक पहुंचने का लक्ष्य है। यह उपलब्धि भारत के अन्य ऐतिहासिक मिशनों की समय सीमा के साथ तालमेल रखेगी। इसमें गगनयान अंतरिक्ष मिशन भी शामिल है, जो वैज्ञानिक उत्कृष्टता की ओर देश की यात्रा में एक “सुखद संयोग” को दर्शाता है।

एक मजबूत ब्लू इकोनॉमी का निर्माण
पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू किया गया प्रमुख कार्यक्रम डीप ओशन मिशन, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से उनके द्वारा दो बार उजागर किया गया। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने महत्वपूर्ण खनिजों, दुर्लभ धातुओं और अज्ञात समुद्री जैव विविधता सहित वृहद संसाधनों को खोलने की इसकी क्षमता को चिन्हित किया, जो देश की आर्थिक वृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, “इस मिशन के माध्यम से हम न केवल अपने महासागरों की गहराई का पता लगा रहे हैं, बल्कि एक मजबूत ब्लू इकोनॉमी का निर्माण भी कर रहे हैं, जो भारत के भविष्य को आगे बढ़ाएगी।” उन्होंने जोर देकर कहा कि पूरी पहल स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जिसे पूरी तरह से भारत में विकसित और निर्मित किया गया है, जो अत्याधुनिक विज्ञान में देश की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।

मिशन का उद्देश्य
मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र के इकोसिस्टम की समझ को बढ़ाना है, जिससे टिकाऊ मत्स्य पालन और जैव विविधता संरक्षण में योगदान मिल सके। पानी के नीचे की इन संपदाओं का दोहन करके, भारत अपनी अर्थव्यवस्था, वैज्ञानिक समुदाय और पर्यावरणीय लचीलेपन के लिए दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए तैयार है।

प्रथम मानवयुक्त डीप ओशन पनडुब्बी भेजने की तैयार
महामारी के कारण डीप ओशन मिशन में देरी हुई, लेकिन केंद्रीय मंत्री ने इस प्रगति के बारे में आशा व्यक्त करते हुए इसे भारत के दृढ़ संकल्प और नवोन्मेषी भावना का प्रमाण बताया। उन्होंने आने वाले वर्षों की अनूठी दोहरी उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें एक भारतीय अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा है और दूसरा समुद्र की गहराई में जा रहा है, जो अंतरिक्ष और समुद्री अन्वेषण दोनों में देश की अद्वितीय प्रगति को दर्शाता है। भारत अपनी प्रथम मानवयुक्त डीप ओशन पनडुब्बी भेजने की तैयारी कर रहा है। यह मिशन सतत विकास और वैज्ञानिक खोज के लिए आशा की किरण है, तथा एक ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है, जहां महासागर की क्षमता का जिम्मेदारीपूर्वक और प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाएगा।

 

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