नई दिल्ली
वक्फ संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने मंजूरी दे दी है। इसमें 14 बदलाव किए गए हैं। आगामी बजट सत्र में रिपोर्ट सदन में रखी जाएगी। सत्तारूढ़ भाजपा के जगदंबिका पाल की अगुआई वाली समिति के समक्ष कुल 44 बदलाव प्रस्तावित किए गए थे, जिनमें से कई प्रस्ताव विपक्षी सांसदों से भी उठाए गए थे, लेकिन मतदान के जरिए विपक्ष द्वारा प्रस्तावित परिवर्तनों को अस्वीकार कर दिया गया।
वक्फ संशोधन विधेयक की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति ने सोमवार को भाजपा-नीत एनडीए सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया और विपक्षी सदस्यों द्वारा किए गए सभी संशोधनों को खारिज कर दिया। बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने पत्रकारों को बताया कि समिति द्वारा अपनाए गए संशोधन कानून को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाएंगे।
विपक्ष के आरोप
विपक्ष के सांसदों ने बैठक की कार्यवाही की आलोचना की और पाल पर "लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने" का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने पत्रकारों से कहा, "यह एक दिखावटी बैठक थी। हमें सुना तक नहीं गया। पाल ने तानाशाही तरीके से काम किया है।" वहीं पाल ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी और बहुमत के जरिए ही फैसला लिया गया।
44 प्रस्तावों में से 14 बदलाव ही मंजूर
समिति के समक्ष कुल 44 बदलावों के प्रस्ताव पेश किए गए थे, लेकिन 14 प्रस्तावों को ही मंजूर किया गया। पाल ने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक की सभी 44 धाराओं में सैकड़ों संशोधन प्रस्तावित किए थे, लेकिन उन्हें मतदान के जरिए खारिज कर दिया गया। समिति द्वारा प्रस्तावित महत्वपूर्ण संशोधन यह है कि वर्तमान कानून में मौजूद 'वक्फ बाय यूजर' के आधार पर मौजूदा वक्फ संपत्तियों को चुनौती नहीं दी जा सकती, अगर इन संपत्तियों का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा हो।
भाजपा के सभी 10 संशोधनों को मंजूरी
बैठक में भाजपा सांसदों ने 10 संशोधन पेश किए और सभी संशोधनों को मंजूरी दी गई। वहीं, विपक्ष की तरफ से भी कई संशोधन पेश किए, लेकिन सभी को मतदान के बाद खारिज कर दिया गया। विपक्ष द्वारा पेश किए गए सभी संशोधन 10-16 के मतों से खारिज हुए। जबकि, भाजपा के सभी संशोधनों को 16-10 मतों से स्वीकार किया गया।