प्रयागराज
महाकुंभ में बुधवार को मौनी अमावस्या के मौके पर सबसे बड़ा अमृत स्नान होना है। प्रशासन ने महाकुंभ नगर में आठ से 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान जताया है। भीड़ को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने अखाड़ों के स्नान के समय में बदलाव किया है। इस बार सुबह चार बजे से ही शिविर निकलना शुरू हो जाएगा। इससे पहले मकर संक्रांति पर स्नान सुबह छह बजकर 15 मिनट पर शुरू हुआ था। सवा पांच बजे से शिविर निकलने की शुरुआत हुई थी।
मौनी अमावस्था के मौके पर अखाड़ा सुबह चार बजे से शिविर से निकलेगा और सुबह 5 बजकर 40 मिनट तक स्नान पूरा कर लेगा। इस बार दिगंबर अखाड़ों में स्नान का क्रम भी बदला है। इस बार निर्वाणि अनि को सबसे पहले और निर्मोही अनि को सबसे बाद में स्नान के लिए वक्त दिया गया है। दोपहर तीन बजे तक अखाड़ों का स्नान पूरा हो जाएगा। इसका सीधा लाभ आम श्रद्धालुओं को मिलेगा।
लगातार प्रयागराज पहुंच रही श्रद्धालुओं की भीड़
मौनी अमावस्या स्नान से पहले श्रद्धालु अलग-अलग राज्यों से प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्लेटफार्मों और प्रवेश द्वार पर रेलवे प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इतना ही नहीं, प्रशासन द्वारा तीसरे अमृत को देखते हुए भीड़ को संभालने के लिए यातायात व्यवस्था को भी चाक-चौबंद किया गया है। महाकुंभ में जाने वाले रास्तों पर स्थानीय पुलिस का पहरा है, जबकि रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल द्वारा पैनी नजर रखी जा रही है।
मेला क्षेत्र को नो व्हीकल क्षेत्र घोषित किया गया
मेला प्रशासन और कुंभ पुलिस ने अमृत स्नान पर्व को देखते हुए व्यापक तैयारियां की हैं। पूरे मेला क्षेत्र को नो व्हीकल जोन घोषित किया गया है। संगम तटों पर बैरिकेडिंग का कार्य तेजी से पूरा किया जा रहा है, ताकि भीड़ नियंत्रण में रहे। श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए हर सेक्टर और जोन में विशेष व्यवस्था की गई है। इस दौरान किसी भी तरह का प्रोटोकॉल लागू नहीं होगा।
ऐसे में व्यवस्थाओं को लागू करने के लिए तमाम बदलाव किए जा रहे हैं। इसमें जोनल प्लान, सुरक्षा व्यवस्था को लागू करने से लेकर तमाम बदलाव होंगे। इसी में एक है अखाड़ों के स्नान के समय में बदलाव। मकर संक्रांति पर महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा सुबह 5:15 बजे शिविर से निकला था। वहीं इस बार अखाड़ा सुबह चार बजे ही शिविर से निकलेगा और सुबह 5:40 बजे तक स्नान पूरा कर लेगा।
निर्वाणी अनि और निर्मोही अनि अखाड़ों के स्नान क्रम बदले
इस बार दिगंबर अखाड़ों में स्नान का क्रम भी बदला है। मकर संक्रांति पर निर्मोही अखाड़ा दिसंबर अखाड़ों में पहले स्नान को पहुंचा था और निर्वाणी अनि अखाड़ा सबसे बाद में आया था। इस बार निर्वाणी अनि को सबसे हपले और निर्मोही अनि को सबसे बाद में स्नान के लिए वक्त दिया गया है।
तीन बजे तक अखाड़ों का होगा स्नान
दोपहर तीन बजे तक अखाड़ों का स्नान पूरा हो जाएगा। इसका सीधा लाभ आम श्रद्धालुओं को होगा। उन्हें भी संगम स्नान का अवसर मिलेगा।
अमृत स्नान की समय सारिणी
महानिर्वाणी व अटल 4:00 बजे 5:00 बजे 40 मिनट 5:40 6:40
निरंजनी व आनंद 4:50 बजे 5:50 बजे 40 मिनट 6:30 7:45
जूना, आहवान और अग्नि 5:45 बजे 6:45 बजे 40 मिनट 7:25 8:30
निर्वाणी अनि 08:25 बजे 9.25 बजे 30 मिनट 9:55 10:55
दिगंबर अनि 9:05 बजे 10.05 बजे 50 मिनट 10:55 11:55
निर्मोही अनि 10:05 बजे 11.05 बजे 30 मिनट 11:35 12:35
नया उदासीन 11:00 बजे 12:00 बजे 55 मिनट 12:55 13:55
बड़ा उदासीन 12:05 बजे 13.05 बजे 60 मिनट 14:05 15:05
निर्मल 01:25 बजे 02:25 बजे 40 मिनट 05:05 03:55
दो दिन में तीन करोड़ से ज्यादा ने किया स्नान
महाकुम्भ के मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या से दो दिन पहले ही लाखों आस्थावान संगम में डुबकी लगाने को उमड़ पड़े। मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पूर्व दो दिनों (रविवार और सोमवार) को तीन करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम और उससे सटे गंगा के घाटों पर स्नान कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। रविवार को गणतंत्र दिवस पर जहां 1.74 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया था तो वहीं सोमवार को रात आठ बजे तक 1.55 करोड़ श्रद्धालु पावन डुबकी लगा चुके थे। इसमें दस लाख कल्पवासी भी शामिल हैं। रविवार तक 13.21 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। इसमें सोमवार के आंकड़े जोड़ दें तो अब तक स्नान करने वालों की संख्या 14.76 करोड़ के पार पहुंच चुकी है।
प्रदेश सरकार ने मौनी अमावस्या पर दस करोड़ और पूरे महाकुम्भ के दौरान 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया है। सोमवार सुबह आठ बजे तक 46.64 लाख, दस बजे तक 53.29 लाख, 12 बजे तक 60.19 लाख, दो बजे तक 81.16 लाख, चार बजे तक 91.15 लाख, छह बजे तक 1.18 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया था।
पूरे दिन के आंकड़ें पर नजर दौड़ाएं तो हर घंटे औसतन पांच लाख लोगों ने संगम और महाकुम्भ क्षेत्र में बने 12 किलोमीटर लंबे घाट में पुण्य की डुबकी लगाई। चारों दिशाओं से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला बना हुआ है। सड़कों पर जितनी दूर तक नजर जा रही है सिर ही सिर दिखाई पड़ रहे हैं। मेला क्षेत्र के चारों ओर सात से 12 किमी दूर चार पहिया गाड़ियों को रोक दिया जा रहा है। पार्किंग में गाड़ियां खड़ी करने के बाद लोग पैदल ही संगम की ओर बढ़े आ रहे हैं।