भोपाल पुलिस ने 5 साइबर ठगों को किया गिरफ्तार, घटनाओं का खुलासा करते हुए ढाई करोड़ कीमत का सामान किया बरामद

भोपाल
भोपाल शहर में हो रही साइबर फ्रॉड चोरी की घटनाओं को रोकथाम एवं साइबर ठग को पकड़ने हेतु भोपाल पुलिस आयुक्त हरि नारायणचारी मिश्र एवं अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अवधेश गोस्वामी द्वारा लगातार दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं. उक्त दिशा निर्देश के तारकतम्‍य में पुलिस उपयुक्त जॉन 2 संजय कुमार अग्रवाल द्वारा जोन स्तर पर अभियान चलाकर थाना प्रभारीयों को साइबर फ्रॉड ठग को गिरफ्तार करने एवं साइबर फ्रॉड रोकने हेतु निर्देश दिए गए थे. इसके पालन में अति. पुलिस उपायुक्त महावीर सिंह मुजाल्दे के पर्यवेक्षक तथा सहायक पुलिस आयुक्त गोविंदपुरा नगर संभाग दीपक नायक के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी निरीक्षक रतन सिंह परिहार के नेतृत्व में गठित टीम ने 5 साइबर ठगों को गिरफ्तार कर उससे कई घटनाओं का खुलासा करते हुए लगभग ढाई करोड़ कीमत का मशरूम बरामद करने में सफलता प्राप्त की है।

मुखबिर की थाने पर सूचना प्राप्त हुई की रिगल टाउन ब्लॉक नंबर 1 ए फ्लैट नंबर 301 में 4-5 लड़के रहते हैं जिनकी गतिविधियां संदिग्ध है जो महंगी महंगी गाड़ियों में घूमते हैं. प्राप्त सूचना की तस्‍दीक हेतु थाना प्रभारी निरीक्षक रतन सिंह परिहार के निर्देशन में तत्काल एक टीम गठित की गई जिसमें संजय कुमार सिंह, जसवंत सिंह चंदेल, धर्मेंद्र गुर्जर, सतीश यादव, नंदकिशोर मय थाना मोबाइल 223 से किया गया जिन्होंने फ्लैट नंबर 301 रिगल टाउन अवधपुरी भोपाल पर पहुंचकर फ्लैट का दरवाजा अंदर से बंद होने पर खटखटाया दरवाजा एक व्यक्ति ने खोला इसके खोलने पर फ्लैट की वीडियो ग्राफी सतीश गुर्जर से करवाते हुए फ्लैट के अंदर दाखिल हुए वहां उस व्यक्ति के अलावा चार अन्य व्यक्ति फ्लैट के अंदर और मिले जिनके नाम पता पूछने पर 1. यश सलूजा 2. अंशुल प्रियांशु 3. मयंक ठाकुर 4. अखिलेश पांडे सहित 5. सहजप्रीत सिंह अपना नाम होना बताया जिस फ्लैट में रहने व काम करने के संबंध में पूछताछ करने पर बताया कि हम लोग इस फ्लैट में माह जुलाई 2024 से किराए से रह रहे हैं.

हम लोग जूम कार कंपनी जिसकी हेड ऑफिस बेंगलुरु में है उस कंपनी में ऑनलाइन कार किराए पर देने की एप्लीकेशन पर दुसरी कार की फोटो गुगल वेबसाइट से निकाल कर 6 अलग-अलग एंगल से 6 फोटो डाल देते थे. तथा एक मोबाइल नंबर वह बैंक अकाउंट और एक फर्जी नाम भरकर उसको ज़ूम कार पर अपलोड कर देते थे. एप्लीकेशन अपलोड होते ही उसमें कार की बुकिंग तीन दिन बाद शुरू हो जाती थी. इसमें कार नॉन कमर्शियल वाहन लगती है इसमें कार को बिना ड्राइवर के ग्राहक को देनी होती है. जिसमें आरोपी गण कार की बुकिंग का स्थान मुंबई तथा दिल्ली बताते हैं जहां से ग्राहक को कार मिलनी होती थी. ग्राहक के द्वारा बुकिंग के बाद पैसा एडवांस में कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर करना होता है ट्रांसफर किए गए पैसों का 40% रुपया जमा कंपनी स्वयं रख लेती है तथा 60% रुपया कंपनी आरोपी के लिए किए गए बैंक अकाउंट में भेज देती थी. जिसे आरोपीगण उस पैसे को तुरंत ही निकाल लेते थे.

जब ग्राहक वहां मुंबई या दिल्ली आरोपियों के बताएं बुकिंग स्थान जहां से उसे कार प्राप्त होनी रहती थी वहां पहुंचकर वह फोन आरोपी गणों को उसे मोबाइल नंबर पर लगता था जिस नंबर को आरोपियों ने अपनी एप्लीकेशन पर डाउनलोड करके रखा है इस नंबर पर फोन आता था तो आरोपी गण पहले तो एक दो बार कहते थे कि उसके पास कार पहुंच रही है इसके बाद जब ग्राहक को फोन तीसरी चौथी बार फोन आने पर आरोपियों द्वारा मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लेते थे. इसके बाद ग्राहक जूम रिटेलिंग कंपनी को फोन लगाता था तो जूम कंपनी आरोपी का संपर्क नंबर बंद आने पर आरोपी के बैंक अकाउंट सिम और आईडी और मोबाइल फोन सबको ब्लॉक कर देती थी. आरोपिगण उस मोबाइल, सिम व अकाउंट को बंद कर देते थे दूसरे सिम दूसरे मोबाइल दूसरे बैंक अकाउंट नंबर से जोड़कर फिर एक नया एप्लीकेशन जूम कार में अपलोड करते थे इस प्रकार में फिर से एक नए कार के छह अलग से फोटो एक नया सिम नंबर वह एक नया बैंक अकाउंट नंबर एवं एक फर्जी व्यक्ति का नाम अपलोड कर देते थे और कार की बुकिंग फिर से चालू हो जाती थी. ग्राहक रुपया ट्रांसफर कर देते थे और यह कार्य निरंतर चलता रहता था जिसके लिए आरोपिगण अपना मोबाइल फोन, अपने फर्जी सिम कार्ड व इलेक्ट्रॉनिक सामान अपने पास रखे हैं.

 

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