भारतीय रेलवे ने पूरे किए विद्युतीकरण के 100 साल, भोपाल मंडल में विशेष आयोजन

भोपाल

भारतीय रेलवे के इतिहास में विद्युतीकरण की शुरुआत 3 फरवरी 1925 को हुई थी, जब ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (जीआईपीआर) हार्बर लाइन पर बॉम्बे विक्टोरिया टर्मिनस और कुर्ला के बीच पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन (1500 वी डीसी) चली। इसके बाद 25 केवी एसी प्रणाली ने रेलवे विद्युतीकरण को एक नया आयाम दिया, और 15 दिसंबर 1959 को राज खारस्वान-डोंगोआपोसी खंड पर पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई गई। इस ऐतिहासिक यात्रा के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मंडल रेल प्रबंधक श्री देवाशीष त्रिपाठी के निर्देशन में भोपाल रेल मंडल ने कई जागरूकता और उत्सव कार्यक्रम आयोजित किए।

भोपाल मंडल के विद्युत सामान्य विभाग ने इस अवसर पर सेमिनार, रैली, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं, और मैराथन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन आयोजनों का मुख्य उद्देश्य रेलवे कर्मचारियों और आम जनता को रेलवे की उपलब्धियों से परिचित कराना और ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना था।

ऊर्जा संरक्षण पर जोर
कार्यक्रमों के दौरान ऊर्जा संरक्षण के महत्व पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रतिभागियों को बताया गया कि छोटे-छोटे कदम, जैसे कमरे से बाहर निकलते समय एयर कंडीशनर या पंखे बंद करना, उपकरणों को अनप्लग करना, और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना, पर्यावरण और आर्थिक लाभ दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इन उपायों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है और ऊर्जा की बचत होती है।

सेमिनार और प्रशिक्षण
इटारसी पैसेंजर यार्ड डिपो में एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें स्टाफ को सुरक्षा उपकरणों जैसे अर्थिंग रॉड, सुरक्षा हेलमेट, सुरक्षा बेल्ट, और मल्टीमीटर के उपयोग के बारे में प्रशिक्षित किया गया। साथ ही, ओवरहेड लाइन पर काम करते समय सुरक्षा नियमों का पालन करने के बारे में जागरूकता फैलाई गई।

रैली और जागरूकता अभियान
बीना, गुना, और भोपाल में रैलियों का आयोजन किया गया, जिसमें रेलवे स्टाफ के परिवारजनों और यात्रियों को रेलवे की उपलब्धियों और ऊर्जा संरक्षण के महत्व के बारे में बताया गया। बीना स्टेशन से सोलर प्लांट तक निकाली गई रैली में प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर ने भारतीय रेलवे की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और ऊर्जा संरक्षण के लिए प्रेरित किया।

प्रश्नोत्तरी और मैराथन
भोपाल मंडल में कर्मचारियों के बीच प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें रेलवे विद्युतीकरण और ऊर्जा संरक्षण से संबंधित प्रश्न पूछे गए। इसके अलावा, एक मैराथन का आयोजन किया गया, जो रेलवे विद्युतीकरण में नवाचार और स्थिरता की विरासत को श्रद्धांजलि था।

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक श्री सौरभ कटारिया ने बताया कि इन आयोजनों के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि ऊर्जा संरक्षण सिर्फ रेलवे की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक को इसमें योगदान देना चाहिए। बिजली की बचत करने से न केवल आर्थिक लाभ होता है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक होता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है।
भोपाल मंडल के विद्युत सामान्य विभाग द्वारा किए गए इन प्रयासों ने ऊर्जा बचत और रेलवे की सतत विकास यात्रा को और मजबूत किया है। रेलवे विद्युतीकरण के 100 वर्ष पूरे होने का यह जश्न न केवल भारतीय रेलवे की प्रगति को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सही प्रयासों से ऊर्जा की बचत कर हम एक हरित और टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।

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