हैदराबाद
आजकल आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. अमेरिकन कंपनी ओपनएआई (OpenAI) की चैटजीपीटी (ChatGPT) से लेकर चाइनीज़ कंपनी DeepSeek के द्वारा हाल ही लॉन्च की गई DeepSeek R1 एआई चैट मॉडल तक, हरेक एआई मॉडल ट्रेंड कर रहा है, क्योंकि यह दिन-प्रतिदिन लोगों की एक खास जरूरत बनता जा रहा है. लोगों की इसी जरूरत को समझते हुए अब भारत भी खुद का बनाया हुआ सेफ एंड सिक्योर एआई मॉडल लॉन्च करने वाला है. रेलवे, इलेक्ट्रोनिक्स और आईटी मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, हम खुद का घरेलू लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) बनाएंगे, जो इंडियाएआई मिशन (IndiaAI Mission) के 10,370 करोड़ रुपये वाले प्रोजेक्ट का हिस्सा होगा.
10 कंपनियां सप्लाई करेंगी कुल 18,693 GPUs
इसके लिए सरकार ने 10 कंपनियों को भी चुना है, जो 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स या GPUs सप्लाई करेंगे. ये जीपीयू हाई एंड चिप्स होते हैं, जो मशीन लर्निंग टूल्स डेवलप करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, जो फाउंडेशनल मॉडल बनाने में मदद करता है. इंडियन लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) के लिए भारत सरकार द्वारा चुनी गई दस कंपनियों में हीरानंदानी ग्रुप की Yotta, जियो प्लेटफॉर्म्स, टाटा कम्यूनिकेशन्स, E2E नेटवर्क्स, CMS कंप्यूटर्स, Ctrls Datacenters, Locuz Enterprise Solutions, NxtGen Datacenter, Orient Technologies, और Vensysco Technologies का नाम शामिल है.
ये 10 कंपनियां मिलकर 18,693 जीपीयू प्रोवाइड कराएंगी, लेकिन इनमें से सिर्फ Yotta कंपनी अगले 9,216 जीपीयू यूनिट्स ऑफर करेगी, जो टोटल यूनिट्स का लगभग आधा होगा. इसके बारे में अधिक जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने रिपोर्ट्स को बताया कि,
"पिछले 1.5 सालों में, हमारी टीम्स स्टार्टअप्स, रिसर्चर्स और प्रोसेसर्स आदि के साथ मिलकर काफी गंभीरता से काम कर रही है. आज, हमने अपने खुद के फाउंडेशनल मॉडल को बनाने का प्रस्ताव रखा है. यह मॉडल भारतीय कॉन्टेक्सट, लैंग्वेज़ेस, कल्चर आदि चीजों का पूरा ध्यान रखेगा."
उन्होंने आगे कहा कि,
"भारत सरकार फाउंडेशनल मॉडल बनाने के लिए कम से कम 6 डेवलपर्स के साथ संपर्क में है. इसे अगले 4-8 महीनों में तैयार किया जा सकता है. अगले कुछ महीनों में हमारे पास एक वर्ल्ड क्लास फाउंडेशनल मॉडल होगा."
हालांकि, आईटी मिनिस्टर ने इसके बारे में जानकारी नहीं दी है कि इंडियन एआई एलएलएम बनाने के लिए कितने रुपये खर्च होंगे और इसके लिए कौनसी डेवलपर कंपनी सरकार के संपर्क में है. उन्होंने बताया कि, 18,693 जीपीयू यूनिट में से 10,000 जीपीयू आज से ही इंस्टॉल करने के लिए तैयार हैं और बाकी 8693 जीपीयू को भी जल्द ही उपलब्ध कराया जाएगा.
भारत सरकार आने वाले दिनों में एक कॉमन कंप्यूट फैसिलिटी लॉन्च करेगी, जहां से स्टार्टअप्स और रिसर्चर्स कंप्यूटिंग पॉवर का इस्तेमाल कर पाएंगे. हाई-एंड जीपीयू यूनिट्स का एक्सेस पाने के लिए 150 रुपये प्रति घंटा और लो-एंड जीपीयू यूनिट्स का एक्सेस पाने के लिए 115.85 रुपये प्रति घंटा खर्च करना होगा. इन सर्विस के एक्सेस को आसान बनाने के लिए सरकार एंड यूज़र्स को कुल कीमत पर 40% की सब्सिडी भी देगी, जिसकी वजह से इसकी कीमत 100 रुपये प्रति घंटे से भी कम हो जाएगी.
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि, "दुनियाभर में, जीपीयू एक्सेस की कीमत 2.5 डॉलर से 3 डॉलर (भारतीय करंसी में – 216.50 रुपये से लेकर 259.80 रुपये) प्रति घंटे तक है, और हम इसे सब्सिडी के बाद करीब 1 डॉलर प्रति घंटे यानी करीब 86.60 रुपये में उपलब्ध कराने जा रहा है."