5 वर्ष की अवधि में 10 लाख आवासों का किया जायेगा निर्माण: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 के प्रदेश में क्रियान्वयन की मंत्रि-परिषद ने दी स्वीकृति

5 वर्ष की अवधि में 10 लाख आवासों का किया जायेगा निर्माण
मंत्रि-परिषद ने दी "मध्यप्रदेश सेमीकंडक्टर नीति-2025" लागू करने की स्वीकृति
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 4,400 रोजगार होंगे सृजित
"मध्यप्रदेश ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति 2025" को दी स्वीकृति
हुकुमचंद मिल की देनदारियों के निपटान एवं नवीन परियोजना क्रियान्वयन को मंजूरी
शासकीय पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालयों में अध्ययनरत इंटर्नशिप छात्रों की स्टायपेण्ड राशि में वृद्धि का निर्णय
मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में हुए महत्वपूर्ण निर्णय

भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मंगलवार को मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 के प्रदेश में क्रियान्वयन करने की स्वीकृति दी गई। योजना अनुसार प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर, निम्न तथा मध्यम आय वर्ग के पात्र हितग्राही परिवारों को योजना के चार घटकों के माध्यम से लाभान्वित करने के लिए 5 वर्षों की योजना अवधि में 10 लाख आवासों का निर्माण किया जायेगा। इसमें 50 हजार करोड़ रूपये व्यय होंगे। बेनेफिसयरी लेड कंस्ट्रक्शन (बी.एल.सी.) घटक अंतर्गत ईडब्ल्यूएस वर्ग के पात्र हितग्राही को अपनी स्वयं की भूमि पर स्वयं आवास का निर्माण करने के लिए अनुदान प्रदान किया जायेगा।

एफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनशिप (ए.एच.पी.) घटक अंतर्गत ईडब्ल्यूएस वर्ग के पात्र हितग्राहियों को नगरीय निकायों, राज्य की अन्य निर्माण एजेंसियों तथा निजी बिल्डर/डेवलपर के द्वारा आवासों का निर्माण कर प्रदान किया जायेगा। इस घटक अंतर्गत निजी डेवलपर द्वारा क्रियान्वित व्हाइट लिस्टेड/ओपन मार्केट परियोजनाओं में हितग्राहियों द्वारा आवास क्रय करने के लिए रिडीमेबल हाऊसिंग वाउचर (आरएचवी) प्रदान किए जाने की स्वीकृति दी गयी है। एफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनशिप (ए.आर.एच.) घटक अंतर्गत कामकाजी महिलाओं / औद्योगिक श्रमिकों / शहरी प्रवासियों बेघर निराश्रितों /छात्रों एवं अन्य पात्र हितग्राहियों के लिए किराये के आवास बनाकर उपलब्ध किया जायेगा। इंटरेस्ट सब्सिडी स्कीम (आई.एस.एस.) घटक अंतर्गत ईडब्ल्यूएस, एलआईजी एवं एमआईजी वर्ग के पात्र परिवारों को आवास ऋण पर ब्याज अनुदान बैंक/एचएफसी के माध्यम से प्रदान किया जायेगा

योजना अनुसार कल्याणी महिलाओं, सिंगल वूमेन, दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों, ट्रांसजेंडर्स, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों तथा समाज के अन्य कमजोर एवं वंचित वर्गों के व्यक्तियों को वरीयता दी जाएगी। साथ ही सफाई कर्मियों, पीएम स्वनिधि योजना के अंतर्गत चिन्हित स्ट्रीट वेंडरों, पीएम विश्वकर्मा योजना के विभिन्न कारीगरों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों, तथा मलिन बस्ती/चॉल के निवासियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

बी.एल.सी. घटक के लिए अनुदान राशि 2.50 लाख प्रति आवास तथा ए.एच.पी. घटक की परियोजनाओं के लिए अनुदान राशि 2.50 लाख प्रति आवास की स्वीकृति प्रदान की गई। 10 लाख आवासों के निर्माण के लिए अनुमानित राशि 50,000 करोड़ रूपये का निवेश संभावित है। इसमें केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार से अनुमानित अनुदान राशि 23,025 करोड़ रूपये प्रदान किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। योजना अंतर्गत पात्र हितग्राही परिवारों के लिए हर मौसम अनुकूल आवासों के निर्माण के साथ साथ समुचित अधोसंरचना जैसे सड़क, जल प्रदाय, मल-जल निकासी, पार्क तथा सामाजिक अधोसंरचना जैसे आंगनवाड़ी, प्राथमिक शाला एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आदि विकसित किये जायेंगे। शासन सभी पात्र हितग्राही परिवारों को आवास प्रदान किया जाना सुनिश्चित करेगा।

शहरी अवास योजना में बड़े शहरों को मलिन बस्ती मुक्त करने की दिशा में भूमि को संसाधन के रूप में उपयोग करते हुए पीपीपी मॉडल पर परियोजनाओं के क्रियान्वयन की स्वीकृति दी गई। ईडब्ल्यूएस वर्ग के हितग्राहियों का अंशदान कम करने के लिए पूर्वानुसार क्रॉस सब्सिडी मॉडल को क्रियान्वित करने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग की श्रेणी के आवासों के निर्माण के साथ निम्न आय वर्ग तथा मध्यम आय वर्ग के लिए भी मिश्रित रूप से आवासों, व्यवसायिक इकाइयों का निर्माण तथा भूखंड विकसित करने की स्वीकृति दी गई। एएचपी-लोक परियोजनाओं में हितग्राही अंश की व्यवस्था के लिए हितग्राही, नगरीय निकाय तथा बैंक/एचएफसी के मध्य पूर्वानुसार त्रिपक्षीय अनुबंध के माध्यम से ऋण उपलब्ध किये जाने एवं भूमिहीन पात्र हितग्राही परिवारों को आवासीय भूमि का पट्टा प्रचलित प्रावधान अनुसार उपलब्ध किये जाने की भी स्वीकृति दी गई, जिससे भूमिहीन गरीबों को भी बीएलसी घटक का लाभ प्राप्त हो सके।

सेमी कंडक्टर नीति से 14,400 रोजगार होंगे सृजित

मंत्रि-परिषद द्वारा "मध्यप्रदेश सेमी कंडक्टर नीति 2025" लागू किये जाने की स्वीकृति दी गयी। उत्कृष्टता केंद्रों के लिए सकारात्मक भूमिका में सहयोगी, 'स्किल इंडिया जैसी पहल और वैश्विक तकनीकी उन्नत कंपनियों के साथ साझेदारी भारतीय कार्य बल को चिप डिजाइन, निर्माण, और सिस्टम एकीकरण में उन्नत कौशल तथा इस क्षेत्र में लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित कर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने राज्य को इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण केंद्र के रूप में विकसित किये जाने की आवश्यताओं के दृष्टिगत राज्य शासन द्वारा "मध्यप्रदेश सेमीकंडक्टर नीति-2025" जारी करने का निर्णय लिया गया है।

कैबिनेट में हुए निर्णय अनुसार प्रदेश में निवेश के प्रति निर्मित अनुकूल वातारण को बढ़ावा मिलेगा। मध्यप्रदेश में एक स्थायी इको-सिस्टम का विकास होगा। उत्कृष्टता केंद्र के माध्यम से कौशल विकसित होगा। प्रदेश में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में निवेश आकर्षित होगा। इससे प्रदेश में रोजगार की संभावनाएँ भी बढ़ेगी। इस नीति से राज्य को उच्च तकनीक से जुड़े कुशल कार्यबल का विकास करने का अवसर मिलेगा। राज्य को दीर्घकालिक औद्योगिक विकास की दिशा में अग्रसर करने के लिए सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षेत्र सार्थक होगा। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनने का अवसर प्राप्त होंगे। स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। घरेलू और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति में सुदृढ़ होगी। उद्योगों और स्टार्टअप्स को सहयोग मिलेगा नवाचार को बढ़ावा देकर सेमी कंडक्टर डिज़ाइन, आर एंड डी और विनिर्माण क्षेत्रों को सहायता मिलेगी। निर्यात वृद्धि से राजस्व में राज्य की वैश्विक बाजार में पकड़ मजबूत होगी।

देश में 'मेक इन इंडिया और 'डिजिटल इंडिया' की दिशा में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और सेमी कंडक्टर डिजाइन में निवेश के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाया गया है। भारत की युवा और तकनीकी रूप से कुशल जनसंख्या अनुसंधान और विनिर्माण के लिए एक विशाल प्रतिभा पूल प्रदान करती है। इसके अलावा, अमेरिका, जापान, और ताइवान जैसे देशो के साथ भारत के सहयोग ने सेमीकंडक्टर विनिर्माण में इसकी स्थिति को और मजबूत किया है। भारत का तेजी से बढ़ता स्टार्ट-अप इको-सिस्टम, विशेष रूप से एआई, आईओटी और रोबोटिक्स में, सेमीकंडक्टर अनुप्रयोगों में नवाचार को प्रोत्साहित कर रहा है। अकादमिक और उद्योग के बीच सहयोग स्वदेशी डिजाइन और विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे आयात पर निर्भरता कम हो रही है और आत्मनिर्भरता बढ़ रही है।

"मध्यप्रदेश ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति-2025" की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा राज्य को ड्रोन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने" मध्यप्रदेश ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति-2025" की स्वीकृति दी गयी हैं। स्वीकृति अनुसार मध्यप्रदेश ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति-2025" के लाभ मिलेंगे। आर्थिक विकास ड्रोन नीति से राज्य में निवेश आकर्षित होगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और राज्य की समृद्धि में वृद्धि होगी। रोजगार सृजन ड्रोन उद्योग में नई नौकरियों का सृजन होगा, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। तकनीकी प्रगति ड्रोन प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे राज्य की तकनीकी क्षमताओं में वृद्धि होगी। कृषि सुधार ड्रोन का उपयोग सटीक कृषि, फसल निगरानी और सिंचाई प्रबंधन में किया जाएगा, जिससे कृषि उत्पादन में सुधार होगा। आपदा प्रबंधन में ड्रोन का उपयोग तेजी से प्रतिक्रिया और राहत कार्यों में मदद करेगा। मानव सुरक्षा एवं सार्वजनिक सुरक्षा ड्रोन का उपयोग निगरानी, भीड़ नियंत्रण और अपराध जांच में किया जाएगा, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार होगा। बुनियादी ढांचों पुलों, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे के निरीक्षण में किया जाएगा, जिससे रख-रखाव और सुरक्षा में सुधार होगा। पर्यावरण संरक्षणः ड्रोन का उपयोग वन्यजीव निगरानी, प्रदूषण निगरानी और व्रन प्रबंधन में किया जाएगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। शिक्षा और कौशल विकास ड्रोन प्रौद्योगिकी को शैक्षिक कार्यक्रमों में शामिल किया जाएगा, जिससे छात्रों और पेशेवरों को नई तकनीकों का ज्ञान और कौशल मिलेगा। पर्यटन संवर्धन ड्रोन का उपयोग राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता को प्रदर्शित करने के लिए किया जाएगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इस प्रकार, नई ड्रोन नीति से मध्यप्रदेश को बहुआयामी लाभ प्राप्त होंगे, जिससे राज्य की समग्र प्रगति और विकास को अप्रत्याशित बढ़ावा मिलेगा।

नवाचार, आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग कृषि, बुनियादी ढांचे, आपदा प्रबंधन, सार्वजनिक सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में किया जाकर सेवा वितरण में सुधार एवं ड्रोन निर्माण और प्रौद्योगिकी का एक प्रमुख केंद्र बनाने तथा ड्रोन क्षेत्र में प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए मध्यप्रदेश ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति-2025" जारी किये जाने की स्वीकृति दी गयी है।

ननि इन्दौर के स्वामित्व की भूमि पर हुकुमचंद मिल (परिसमापन के अंतर्गत) की देनदारियों के निपटान एवं नवीन परियोजना क्रियान्वयन की मंजूरी

मंत्रि-परिषद द्वारा हुकुमचंद मिल, इंदौर की 17.52 हेक्टर भूमि पर परियोजना के सफल क्रियान्वयन एवं अन्य दायित्वों के लिए नगर पालिक निगम, इंदौर तथा म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल एवं प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास के मध्य त्रिपक्षिय अनुबंध हस्ताक्षरित किया गया। इंदौर शहर में इस परियोजना से शहर के लिए शापिंग मॉल, मार्केट, ऑफिस स्पेस, रहवासी क्षेत्र एवं बगीचे आदि सुविधाएँ उपलब्ध होगी। योजना से नगर पालिक निगम, इंदौर को भी संपत्ति कर एवं अन्य राजस्व की प्राप्ति होगी, जिसका उपयोग शहर की अधोसंरचनाओं के लिए होगा। योजना में पर्यावरण संरक्षण एवं नए वृक्षारोपण का विशेष ध्यान दिया जाएगा।

5100 करोड़ रूपये के निवेश से लगभग 10 हजार रोजगार सृजन हो सकेगा

इंदौर शहर की प्रचलित नगर विकास योजना 2021 एवं राज्य शासन द्वारा स्वीकृत किये जा रहे अतिरिक्त 0.5 एफ.ए.आर. के अनुसार कुल 2.08 लाख वर्ग मीटर आवासीय बिल्ट-अप एरिया निर्मित होगा, जिसमें लगभग 1400 करोड़ रूपये का निवेश आयेंगा। इसी प्रकार वाणिज्यिक क्षेत्र में लगभग 3 लाख वर्ग मीटर बिल्ट-अप एरिया निर्मित होगा, जिसमें लगभग रूपये, 3700 करोड़ निवेश आयेंगा। साथ ही, इस परियोजना में लगभग रूपये, 2332 करोड़ के निर्माण कार्य किये जायेगें, जिससे शहर की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा एवं नए रोजगार सृजित होंगे। परियोजना से प्रत्यक्ष जी.एस.टी. से राजस्व लगभग 400 करोड़ रूपये, निर्मित क्षेत्रफल के विक्रय से 650 करोड़ रूपये स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन शुल्क एवं अन्य कर सहित लगभग 1200 करोड़ रूपये राजस्व शासन को प्राप्त होने का अनुमान है। योजना से निर्माण के दौरान लगभग 83 लाख मानव-दिवस एवं योजना उपरांत नियमित रूप से लगभग 8000 से 10,000 रोजगार सृजित होंगे। परियोजना में ग्रीन बिल्डिंग, जीरो डिस्चार्ज, ऊर्जा दक्षता, पर्यावरण एवं जल संरक्षण के विभिन्न मापदण्डों का विशेष ध्यान रखा जाएगा।

शासकीय पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालयों में अध्ययनरत इंटर्नशिप छात्रों को स्टायपेण्ड राशि में वृद्धि करने की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा जबलपुर, महू एवं रीवा के शासकीय पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालयों में वर्तमान में इंटर्नशिप छात्रों को स्टायपेण्ड राशि में वृद्धि करने की स्वीकृति दी गयी है। स्वीकृति अनुसार मध्यप्रदेश पशुपालन एवं डेयरी विभाग अंतर्गत पशु पालन विभाग अंतर्गत नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के अंतर्गत शासकीय पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालयों में अध्ययनरत् स्नातक छात्रों के लिए इंटर्नशिप स्टायपेण्ड में 7600 (रूपये 3000 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अंश रूपये 4600 राज्य अंश) को बढ़ाकर 10000 (रुपये 3000 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अंश रूपये 7000 राज्य अंश) किये जाने के लिए राज्य अंश राशि रूपये 4600 में बढ़ोत्तरी कर राज्य अंश राशि रूपये 7000 किये जाने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय से भविष्य में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा इंटर्नशिप स्टायपेण्ड में वृद्धि किये जाने पर इंटर्नशिप स्टायपेण्ड में देय राज्यांश को तार्किक रूप से युक्तियुक्तकरण करने के लिये निर्णय मंत्री-परिषद से लिया जायेगा।

इंटर्नशिप स्टायपेण्ड राशि रूपये 7600 से बढ़ाकर 10 हजार रूपये की स्वीकृति

पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के तहत नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय 3 नवम्बर 2009 को स्थापित किया गया है। मध्यप्रदेश में तीन डिग्री कॉलेज जबलपुर, महू एवं रीवा में संचालित है। इन महाविद्यालयों में कुल 300 छात्रों के प्रवेश की क्षमता है। वर्तमान में इंटर्नशिप छात्रों को स्टायपेण्ड राशि रूपये 7600 (रुपये 3000 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अंश+ रूपये 4600 राज्य अंश) प्रदाय किया जा रहा है।

 

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