आचार्य विद्यासागर जी अपने जीवन काल में ही देवता के रूप में स्वीकारे जाने लगे थे- मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि संत शिरोमणि आचार्य 108 विद्यासागर जी महामुनिराज की स्मृति में भोपाल में स्मृति स्थल विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विद्यासागर जी महाराज के प्रथम समाधि स्मृति दिवस पर विधानसभा परिसर में आयोजित गुरु गुणानुवाद सभा में गुरु वंदना कर अतिशय पुण्य अर्जित करने पधारे समर्पित भक्तों का राज्य शासन की ओर से अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी ने अपने जीवन में सभी आवश्यक नियमों का पालन किया। संत परंपरा का अनुसरण करते हुए उनके प्रकृति के साथ संबंध, जीवन शैली, मानव सेवा और समाज को मार्गदर्शन के माध्यम से वे अपने जीवन काल में ही देवता के रूप में स्वीकारे जाने लगे। व्यक्तिगत जीवन में तप, संयम, त्याग, सेवा, समर्पण जैसे शब्द उनके व्यक्तित्व के सम्मुख छोटे पड़ जाते हैं।

कार्यक्रम में सांसद भोपाल आलोक शर्मा, महापौर श्रीमती मालती राय, विधायक भगवानदास सबनानी, मुख्य सचिव अनुराग जैन, विधानसभा के प्रमुख सचिव ए.पी. सिंह, जनप्रतिनिधि राहुल कोठारी तथा जैन समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी और बड़ी संख्या में समाजबंधु उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री का मुकुट और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया स्वागत

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट द्वारा कार्यक्रम में आयोजनकर्ताओं ने मुकुट तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिवादन किया। उनको शॉल भी सम्मानपूर्वक भेंट की गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने संत शिरोमणि 108 विद्यासागर जी महाराज जी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलित किया तथा मुनि108 प्रमाण सागर जी महाराज का पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आचार्य विद्यासागर जी महाराज के जीवन और कृतित्व पर आधारित 25 पुस्तकों का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उन्हें नेमावर में संत-के सानिध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। साक्षात देवता के दर्शन के समान प्रतीत होता संत-का अलौकिक व्यक्तित्व जीवन को धन्य करने वाला था। जैन और सनातन दर्शन में आत्मा की भूमिका आवागमन की बताई गई है। यह माना जाता है कि वस्त्र बदलने के समान ही पवित्र आत्मा शरीर बदलती है। इस दृष्टि से यह मानना कि महाराज जी हमारे बीच नहीं है, व्यर्थ है। वास्तविकता यह है कि उन्हें स्मरण करने और मन की आंखों से देखने के क्षणिक प्रयास मात्र से ही आचार्य विद्यासागर जी के आस-पास होने की सहज अनुभूति होती है। उनके व्यवहार, स्वरूप और विचार के प्रभाव के परिणाम स्वरूप सभी व्यक्ति उन्हें अपना मानते थे। प्रदेशवासियों में संत-के प्रति इतने अपनत्व और आदर का भाव था कि यह किसी को अनुभूति ही नहीं होती थी कि वे कर्नाटक से हैं।

संत-ने जीवन के कई क्षेत्रों में समाज को दिशा दी

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जी ने अपनी इच्छा शक्ति से जीवन के कई क्षेत्रों में समाज को दिशा दी। स्वरोजगार के क्षेत्र में जेल से लेकर समाज में महिलाओं को रोजगार देने का मार्ग प्रशस्त किया। गौ-माता की भी उन्होंने चिंता की तथा गौ-माता के माध्यम से लोगों के जीवन और प्रकृति में बदलाव के लिए गतिविधियों को प्रोत्साहित किया। इसी प्रकार किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में की गई उनकी पहल अनुकरणीय है। आचार्यने अपने विचार, भाव और कर्म से समाज को प्रकृति व परमात्मा के समान पुष्पित-पल्लवित, प्रेरित करने का कार्य किया।

भारतीय जनतंत्र की सांस्कृतिक जड़ें, नई शिक्षा नीति का आधार है

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि संत-का विचार था कि शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा सभी के लिए सुलभ होना चाहिए। वे भाषाओं की समृद्धि पर विशेष ध्यान देते थे, उनका विचार था कि भाषाओं की विविधता की जानकारी से भारत की आंतरिक शक्ति में भी वृद्धि होती है और ज्ञान के लिए भाषाओं की समृद्धि आवश्यक है। गुणवत्ता शिक्षा के लिए प्रदेश में निरंतर प्रयास जारी हैं, इस क्रम में 55 एक्सीलेंस कॉलेज आरंभ किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार भारतीय जनतंत्र की सांस्कृतिक जड़ें, नई शिक्षा नीति का आधार है। इसी का परिणाम है की नई शिक्षा नीति में जैन दर्शन सहित भारतीय ज्ञान परंपरा के सभी विचारों को शामिल किया गया है। प्रदेश में खुले में मांस की दुकानों को भी बंद किया गया। तेज ध्वनि को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार संवदेनशील है। प्रदेश में शराब बंदी की दिशा में कदम बढ़ाते हुए 17 धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू की गई। समाज में इस दिशा में सुधार की आवश्यकता है।

देश और समाज के प्रमुख आयोजन तिथियों के आधार पर हों

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारतीय संस्कृति में तिथियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय काल गणना देश के प्राचीन ज्ञान, कौशल के बल पर स्थानीय ऋतुओं और परिस्थितियों के अनुसार विकसित हुई, जिस पर सभी को गर्व है। देश और समाज के प्रमुख आयोजन तिथियों के आधार पर होना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि संत शिरोमणि आचार्य 108 विद्यासागर जी महामुनिराज संत नहीं जीवित देवता हैं, उनका स्नेह, प्रेम, दुलार और आशीर्वाद सब पर बना रहे यही कामना है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्मृति दिवस पर पधारे मुनि-के विचारों का श्रवण भी किया।

 

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