भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 479 का पालन करने में भी मध्यप्रदेश बना देश का अग्रणी राज्य : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि गरीब बंदियों को जमानत एवं जुर्माना अदा करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने में मध्यप्रदेश देश में प्रथम है। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर बंदियों को 25 हजार रुपए तक की जुर्माना राशि मंजूर की जाती है। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने अबतक 31 बंदियों को जुर्माना एवं जमानत के रूप में 6 लाख 43 लाख 517 रुपए की राशि मंजूर की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 479 के प्रावधानों का पालन करने में भी मध्यप्रदेश देश में अग्रणी राज्य है। इस धारा में यह प्रावधान है कि "जेल अधीक्षक, जेल में निरूद्ध अभियुक्त व्यक्ति के उपबंधित कारावास की आधार या एक-तिहाई अवधि पूर्ण होने पर, ऐसे व्यक्ति को जमानत पर निर्मुक्त करने के लिए संबंधित माननीय न्यायालय को कार्रवाई करने के लिए तुरन्त लिखित में आवेदन करेगा।" इस प्रावधान के तहत प्रदेश के 78 केदियों के प्रकरण न्यायालय की ओर भेजे गाए जिनमें से 46 केदियों के पक्ष में कार्यवाही हुई और वे रिहा कर दिए गए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दोनों ही मामलों में प्रदेश के अव्वल रहने पर जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग के अधिकारियों को बधाई दी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादवबुधवार को समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग की समीक्षा बैठक को निर्देशित कर रहे थे। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को राज्य की जेलों में बंदियों की सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने और उनके बौद्धिक एवं चारित्रिक सुधार की गतिविधियों को गति देने के निर्देश दिए।

प्रदेश की सभी जेलों में जारी है ई-प्रिजन व्यवस्था

बैठक में बताया गया कि प्रदेश की सभी जेलों में ई-प्रिजन व्यवस्था लागू है। इस व्यवस्था में बंदियों से संबंधित जानकारियों को निरंतर अद्यतन किया जाता है। ई-प्रिजन मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए (लीगेसी डाटा के साथ) अबतक कुल 13 लाख 17 हजार 303 आमद दर्ज की जा चुकी है। आईसीजेएस के माध्यम से 1लाख 31 हजार से अधिक बंदियों की जानकारी प्रविष्टि भी की जा चुकी है। बताया गया कि गत 1 जुलाई 2024 से अब तक नवीन आपराधिक कानून के अंतर्गत ई-प्रिजन पर 48 हजार 139 बंदियों की आमद हुई है। जेलों की क्षमता में वृद्धि के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

15 नवम्बर को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस पर भी सजा में छूट देकर समय पूर्व रिहाई का प्रस्ताव मान्य

बैठक में विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रतिवर्ष 15 नवम्बर को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस पर बंदियों को समय पूर्व रिहाई किए जाने का प्रस्ताव रखा गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रस्ताव को स्वीकृति देते हुए कहा कि अच्छे आचरण वाले बंदियों को इस विशेष दिवस पर विशेष परिहार प्रदान किया जाए। बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खुली जेलों से बंदियों को स्वतंत्रता का अहसास होने का जिक्र कर प्रदेश में खुली जेलों की संख्या बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जेल केवल सजा भुगतने की जगह नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास का केंद्र भी होनी चाहिए। उन्होंने जेलों में सुधारात्मक गतिविधियों को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने बंदियों के लिए कौशल विकास, योग, आध्यात्मिक शिक्षा और काउंसलिंग जैसी योजनाओं को विस्तार देने पर बल दिया। इससे न केवल बंदियों का मानसिक एवं चारित्रिक विकास होगा, बल्कि उनकी समाज में पुनः सकारात्मक रूप से वापसी भी सुनिश्चित होगी।

नवाचारों को दें प्रोत्साहन

बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जेल सुधार कार्य में समाज की भी भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने जेलों में सामाजिक व धार्मिक संगठनों और विशेषज्ञों की मदद से सुधार कार्यक्रम चलाने की जरूरत बताई। राज्य सरकार बंदियों के सुधार और पुनर्वास के लिए हरसंभव प्रयास करेगी ताकि वे भविष्य में एक सम्मानजनक जीवन जी सकें।

बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय डॉ. राजेश राजौरा, पुलिस महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं जीपी सिंह, प्रमुख सचिव वित्त मनीष रस्तोगी, सचिव जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं मनीष सिंह, एडीजी अखेतो सेमा, अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक संजय पांडे सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। विभागीय अधिकारियों ने विभाग की मौजूदा कार्यप्रणाली, गत एक वर्ष की गतिविधियों, उपलब्धियों और भावी योजनाओं की जानकारी दी।

 

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