लेखा शाखा में पदस्थ तीन पुलिसकर्मियों ने एमपी पुलिस को बड़ा चूना लगाया, खुलासे के बाद पीएचक्यू में मचा हड़कंप

भोपाल

पुलिस मुख्यालय में तैनात तीन पुलिसकर्मियों पर 76 लाख रुपए के फर्जी मेडिकल बिल भुगतान का आरोप लगा है। ये तीनों में एक सूबेदार, एक सब-इंस्पेक्टर और एक असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर है। सभी लेखा शाखा में काम करते थे। इन्होंने वित्तीय वर्ष 2022, 2023 और 2024 में खुद को और अपने परिवार के सदस्यों को बीमार बताकर यह धोखाधड़ी की। संचालक ट्रेजरी की ओर से भेजे गए एक पत्र के बाद इस घोटाले का खुलासा हुआ, जिसमें इनके खातों में असामान्य रूप से उच्च भुगतान की ओर इशारा किया गया था। पुलिस ने तीनों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है।

ऐसे हुआ खुलासा

यह मामला तब सामने आया जब संचालक ट्रेजरी ने पुलिस मुख्यालय को एक पत्र भेजा। इस पत्र में बताया गया कि तीन पुलिसकर्मियों के खातों में मेडिकल बिल के मद में काफी ज्यादा रकम ट्रांसफर हुई है। इसके बाद पुलिस मुख्यालय की लेखा शाखा ने आंतरिक जांच शुरू की। जांच के दौरान पाया गया कि सूबेदार नीरज कुमार, सब-इंस्पेक्टर हरिहर सोनी और असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर हर्ष वानखेड़े ने फर्जी मेडिकल बिल बनाकर सरकारी खजाने को चूना लगाया है।

अलग-अलग बीमारियों के नाम पर मेडिकल बिल लगाए

तीनों आरोपियों ने खुद को और अपने परिवार के सदस्यों को अलग-अलग बीमारियां बताकर मेडिकल बिल जमा किए थे। यह बिल असामान्य रूप से ज्यादा थे, जिससे शक पैदा हुआ। जांच में पता चला कि इन्होंने 'प्रो-लॉन्ग सर्टिफिकेट' का भी गलत इस्तेमाल किया। यह सर्टिफिकेट गंभीर बीमारियों के लिए सिविल सर्जन द्वारा जारी किया जाता है। लेकिन जांच दल ने जब सिविल सर्जन से पुष्टि की, तो पता चला कि उन्होंने इन तीनों को केवल दो ही सर्टिफिकेट जारी किए थे। इससे यह संदेह और गहरा हो गया कि बाकी सभी सर्टिफिकेट फर्जी हैं।

एडीजी अनिल कुमार ने बताया कि संचालक ट्रेजरी से पत्र मिलने के बाद गोपनीय जांच शुरू की गई थी। जांच शुरू होने से पहले ही तीनों आरोपियों को लेखा शाखा से हटा दिया गया था। जांच में आरोप सही पाए जाने पर 8 जनवरी को तीनों को निलंबित कर दिया गया। तीनों के खिलाफ जहांगीराबाद थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 318, 319, 336, 338 और 340 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन धाराओं में 14 साल तक की सजा का प्रावधान है।

वानखेड़े ने किए 35 लाख गबन

जांच में यह भी पता चला है कि तीनों आरोपियों ने अलग-अलग रकम का गबन किया है। हर्ष वानखेड़े के खाते में लगभग 35 लाख रुपए, हरिहर सोनी के खाते में लगभग 24 लाख रुपए और नीरज कुमार के खाते में लगभग 17 लाख रुपए का भुगतान हुआ है। यह कुल मिलाकर लगभग 76 लाख रुपए होता है। पुलिस ने तीनों आरोपियों को पूछताछ के लिए थाने बुलाया है।

एसीपी जहांगीराबाद सुरभि मीणा ने बताया कि लेखा शाखा की रिपोर्ट के आधार पर तीनों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस आगे की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस घोटाले में और लोग भी शामिल हैं। इस मामले में सिविल सर्जन से भी पूछताछ की जा सकती है।

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