इंदौर शहर में मास्टर प्लान की सड़कों के निर्माण के लिए 2875 मकान तोड़े जाएंगे

इंदौर

 इंदौर नगर निगम भले ही दावा करे कि उसने मास्टर प्लान की 23 सड़कों का काम शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अब तक विस्थापन को लेकर कोई नीति तय ही नहीं हुई है।

मास्टर प्लान की 23 सड़कों के निर्माण में 2875 मकान बाधक हैं। इनमें से करीब 650 ऐसे हैं, जो पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे यानी इन मकानों में रह रहे लोगों को वैकल्पिक स्थान देने के अलावा नगर निगम के पास कोई चारा नहीं है।

चौड़ीकरण में जा रहा मकान

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मास्टर प्लान की सड़कों को लेकर हुई विभागों की बैठक में कहा था कि जो लोग पीढ़ियों से रह रहे हैं और जिनका पूरा मकान चौड़ीकरण में जा रहा है, उन्हें वन बीएचके नहीं, कम से कम टू या थ्री बीएचके फ्लैट दिए जाएं।

फ्लैट नहीं हैं

समस्या यह है कि नगर निगम के पास शहरी क्षेत्र में कहीं भी टू या थ्री बीएचके फ्लैट नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह है कि जब निगम के पास टू और थ्री बीएचके फ्लैट उपलब्ध ही नहीं हैं तो विस्थापितों को देंगे कैसे। अब तक निगम ने यह भी तय नहीं किया है कि किस व्यक्ति को कहां विस्थापित किया जाएगा।

किसे क्या मिलेगा, यह अब तक तय नहीं

सड़क चौड़ीकरण में जिन लोगों के मकान शत प्रतिशत जाते हैं, उन्हें नीति के तहत नगर निगम प्रधानमंत्री आवास योजना में तैयार किए गए वन बीएचके फ्लैट देता रहा है। शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 12 हजार आवास तैयार किए गए थे, जिनमें से करीब चार हजार अब भी खाली हैं, लेकिन ये सभी शहर के बाहरी इलाकों में हैं।

समस्या यह भी है कि नगर निगम ने अब तक ऐसी कोई सूची तैयार नहीं की है, जिससे यह पता चल सके कि किस व्यक्ति को कहां फ्लैट दिया जाएगा। अब तक चली आ रही नीति में एक समस्या यह भी है कि सड़क चौड़ीकरण के लिए एक हजार वर्गफीट का मकान देने वाले और 200 वर्गफीट का मकान देने वालों को एक ही चश्मे से देखा जाता है।

मध्यप्रदेश में शहरों को संवारने की कवायद चल रही है। इसके अंतर्गत इंदौर शहर में मास्टर प्लान की 23 सड़कों का निर्माण किया जाना है। चार पैकेज में बांटे गए इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में हर पैकेज की दो-दो सड़कों को लिया गया है। सड़क निर्माण के लिए हजारों मकान दुकान तोड़े जाएंगे जिससे भवन मालिक बेचैन हो गए हैं। इधर, सड़कों का काम जल्द शुरू हो, बाधक हटाने में विवाद न हो और गुणवत्तापूर्ण निर्माण हो, इसके लिए विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक, सांसद और एमआइसी सदस्यों के साथ समीक्षा बैठक की।

 नई सड़कों के लिए छोटे-बड़े करीब 3 हजार बाधक मकान और धार्मिक स्थल चिन्हित किए गए हैं। जिनके पूरे मकान तोड़े जाने हैं, उन्हें जनप्रतिनिधियों ने प्लॉट देने की पैरवी की। अफसरों ने कहा कि यह प्रावधान नहीं है, हम सिर्फ फ़्लैट दे सकते हैं, वह भी वन बीएचके। इस पर मंत्री विजयवर्गीय ने कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि वह टू या थ्री बीएचके का फ़्लैट देने का प्रपोजल दें, मैं स्वीकृति दूंगा।

बैठक में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कुछ हजार लोगों के लिए लाखों लोगों को सड़क का लाभ मिलने से वंचित नहीं किया जा सकता। शहर हित में कड़े निर्णय लेना जरूरी है। विधायक रमेश मेंदोला ने कहा कि भमोरी में कई लोगों की दुकानें जा रही हैं। ऐसे तो व्यापारी मर जाएंगे। विजयवर्गीय ने दो टूक कहा कि ऐसा ही रहा तो काम ही नहीं कर पाएंगे। मकान की व्यवस्था करेंगे, दुकान की नहीं।

विधायक रमेश मेंदोला ने कहा कि सड़क को 80 फीट की कर दें। विजयवर्गीय ने जवाब दिया कि शहर पहले ही छोटा पड़ रहा है। आप 1000 लोगों की चिंता मत करो, 40 लाख लोगों की करो। सड़क छोटी कर दोगे तो 10 साल बाद फिर कुछ करना पड़ेगा।

बैठक में एक अहम मसला उठा। निगम ने गणेशगंज में कुछ लोगों को विंध्यांचल कॉलोनी में एक बिल्डर के यहां शिफ़्ट करवाया था। इसके बाद से अफसरों ने इस बिल्डिंग को खाली नहीं करवाया है। इसकी शिकायत मंत्री कैलाश विजयवर्गीय तक पहुंची तो समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि विस्थापितों को मकान देने के बाद भी निजी बिल्डिंग खाली नहीं करवाई है। काकाजी का राज चल रहा है क्या। किसी की भी बिल्डिंग ले लोगे। 15 दिन में बिल्डिंग खाली हो जानी चाहिए।

विधायक रमेश मेंदोला ने कहा कि पाटनीपुरा में तीन मंजिला दुकान तोड़ी थी। उसके बदले मकान आज तक नहीं मिला। एक पार्षद ने कहा कि एरोड्रम से छोटा बांगड़दा क्षेत्र में निगम की दो प्रॉपर्टी में से एक पर धर्मशाला तो दूसरे पर स्कूल बन गया है। मंत्री ने कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बैठक में विधानसभावार प्रेजेंटेशन देखा। बताया गया कि शहर के पुराने मकानों में पीढ़ियों से लोग रह रहे हैं। उनके लिए बीच का रास्ता निकालना चाहिए, सड़क की चौड़ाई कम करने पर भी विचार होना चाहिए। विजयवर्गीय ने अफसरों से कहा कि व्यक्तिगत जाकर सर्वे करो, अगर पूरे मकान जा रहे हैं तो कुछ करेंगे। मेरा मार्गदर्शन लेना, मैं तो निर्दयी हूं। किसी का भी वार्ड हो, मास्टर प्लान की सड़क को लेकर काम होना चाहिए। ऐसी कोई योजना भी बनाएं, जिसमें पीड़ितों को प्लॉट मिल सकें।

जहां सड़क निर्माण होगा, वहां नगर निगम बोर्ड चस्पा करेगा। इसमें लागत, ठेकेदार, समय सीमा और सुपरविजन करने की जानकारी दी जाएगी। महापौर हर 15 दिन में इसकी समीक्षा कर रिपोर्ट मंत्री विजयवर्गीय को देंगे। मंत्री ने कहा कि यदि कहीं धार्मिक स्थल की बाधा है तो हम बात करेंगे।

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