इस्लामाबाद
पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने जेल से देश के सेना प्रमुख असीम मुनीर को चिट्ठी लिखी है। लंबे समय से जेल में बंद इमरान ने अपने इस खुले खत में अपने साथ दुर्व्यवहार होने की बात कही है। साथ ही उन्होंने सेना की राजनीति में दखल को गलत बताते हुए इसे रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सेना और जनता के बीच हालिया वर्षों में भरोसा कम हो रहा है, जो बड़ा खतरा बन सकता है। ऐसे में जरूरी है कि सेना अपनी संवैधानिक सीमाओं में काम करे। इमरान खान एक हफ्ते में दो चिट्ठी लिख चुके हैं। खान ने 9 फरवरी से पहले 3 फरवरी को भी खुला खत लिखा था।
इमरान खान ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि उनकी चिंता सशस्त्र बलों की प्रतिष्ठा, सेना और जनता के बीच बढ़ती खाई के खतरनाक नतीजों के लिए है। इमरान का कहना है कि उनकी ओर से उठाए छह बिंदुओं पर जनमत संग्रह कराया जाए तो 90 प्रतिशत पाकिस्तानी उनका समर्थन करेंगे। ये बिंदु चुनाव धांधली, 26वें संवैधानिक संशोधन के जरिए न्यायपालिका पर कब्जा, PECA जैसे कठोर कानून बनाकर जनता का उत्पीड़न, राजनीतिक अस्थिरता और पाकिस्तान की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी पर कार्रवाई शामिल है। इससे सिर्फ सियासी लोगों को ही परेशानी नही हो रही है बल्कि अवाम और सेना के बीच की खाई भी बढ़ रही है।
मेरे साथ जेल में खराब बर्ताव: इमरान
इमरान खान ने अडियाला जेल में तैनात एक सैन्य अधिकारी पर उत्पीड़न और उनके अधिकारों के हनन का आरोप भी लगाया है। खान का कहना है कि यह अफसर अदालत के आदेशों की अनदेखी करते हुए खराब बर्ताव करता है। इमरान का कहना है कि उन्हें 20 दिनों तक जेल की ऐसी बैरक में रखा गया, जहां सूरज की रोशनी तक नहीं पहुंचती थी। इतना ही नहीं उनके सेल की बिजली भी पांच दिनों तक काट दी गई। अदालत के आदेश के बावजूद उनको छह महीने में केवल तीन फोन कॉल करने की अनुमति दी गई। इमरान ने आगे आरोप लगाया कि बंदूक की नोक पर पारित 26वें संशोधन का उपयोग करके 'पॉकेट जज' नियुक्त किए जा रहे हैं। खान ने कहा कि एक न्यायाधीश को उनके खिलाफ फैसला सुनाने के दबाव के कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। खान ने इस बात पर भी जोर दिया कि सोशल मीडिया और इंटरनेट को प्रतिबंधित करने के लिए PECA जैसे कठोर कानूनों का इस्तेमाल किया गया है। इंटरनेट में व्यवधान ने देश के आईटी उद्योग को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचा है।
लोग सेना से खुश नहीं: खान
इमरान खान ने कहा कि पीटीआई के खिलाफ जारी कार्रवाइयों से सेना के प्रति जनता की नाराजगी बढ़ रही है। यह चिंताजनक है कि प्रतिष्ठान की नीतियों और गैरकानूनी कार्रवाइयों के कारण सेना के प्रति जनता की नाराजगी लगातार बढ़ रही है। यह सेना की शपथ का उल्लंघन है। कोई भी राष्ट्रीय सेना अपने नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करती है। खान ने कहा कि पाकिस्तान की स्थिरता और सुरक्षा के लिए सेना और जनता के बीच बढ़ती खाई को पाटना अनिवार्य है। इसे हासिल करने का एकमात्र तरीका यह है कि सेना अपनी संवैधानिक सीमाओं पर लौट आए। सेना राजनीति से अलग हो जाए और अपनी निर्धारित जिम्मेदारियों को पूरा करे। यह एक ऐसा कदम है, जो सेना को खुद उठाना चाहिए, वरना यह बढ़ती खाई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक खतरनाक फॉल्ट लाइन बन जाएगी।