केरल के हजारों परिवार पोंजी स्कीम का शिकार होकर अपने करोड़ों रुपये गंवा बैठे

तिरुवनंतपुरम
केरल में हजारों परिवारों को एक शानदार ऑफर का लालच दिया गया। स्कूटर, लैपटॉप, और घर के सामान आधे दामों पर मिलने का वादा किया गया। यह योजना बड़ी कंपनियों के CSR यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत चलाए जाने का दावा किया गया। कहा गया कि यह महिलाओं को सशक्त बनाने और कम आय वाले परिवारों की मदद के लिए है। महिलाओं को 1.2 लाख रुपये का स्कूटर सिर्फ 60,000 रुपये में मिलने का लालच दिया गया। लोग इस 50% डिस्काउंट की स्कीम का शिकार हुए और करोड़ों गंवा दिए।

पुलिस ने बताया कि इस लुभावने ऑफर के पीछे इडुक्की जिले के कुडायथूर के 28 साल के अनंतु कृष्णन है। वह खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताता था, लेकिन असल में वही इस धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड था।

पोंजी स्कीम फ्रॉड

पुलिस के मुताबिक, यह योजना एक पोंजी स्कीम थी। पोंजी स्कीम एक तरह का फ्रॉड होता है जिसमें नए निवेशकों से मिले पैसों से पुराने निवेशकों को रिटर्न दिया जाता है। यह तब तक चलता रहता है जब तक पूरा सिस्टम धड़ाम से गिर नहीं जाता।

500 करोड़ की धोखाधड़ी का संदेह

30 जनवरी को अनंतु को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने इस धोखाधड़ी से जुड़े बैंक खातों को फ्रीज कर दिया। ताकि पैसों का लेन-देन रुक जाए। मामले की पूरी जांच के लिए SIT यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई। तब तक इस जाल में 30,000 से 40,000 लोग फंस चुके थे। कई लोगों ने तो कर्ज लेकर निवेश किया था। 3,000 से ज्यादा लोगों ने शिकायत दर्ज कराई है। जांच में पता चला है कि कुल 500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। सिर्फ 34 FIR में ही 37 करोड़ रुपये की ठगी की पुष्टि हुई है।

जी रहा था ऐश की जिंदगी

जांचकर्ताओं के अनुसार, अनंतु ठगे हुए पैसों से ऐश की जिंदगी जी रहा था। उसने कोच्चि के मरीन ड्राइव में महंगे अपार्टमेंट किराए पर लिए थे। अपनी शानो-शौकत पर खूब पैसा खर्च करता था। इडुक्की और कोट्टायम में कम से कम पांच जगहों पर उसने प्रॉपर्टी में निवेश किया था। अनंतु ने बड़ी चालाकी से अपनी एक विश्वसनीय छवि बनाई थी। वह अंग्रेजी में फर्राटेदार बात करता था और सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहता था। अपनी स्कीम को असली दिखाने के लिए वह मशहूर हस्तियों, नेताओं और सरकारी अधिकारियों के साथ तस्वीरें खिंचवाता था।

वीमेन ऑन व्हील प्रोजेक्ट के बहाने किया फ्रॉड

वह कहता था कि बड़ी कंपनियां CSR के तहत इस योजना को फंड कर रही हैं। इसे और भी असली दिखाने के लिए, उसने कुछ कंपनियों और NGO से CSR के लिए पैसे मांगे, लेकिन उसे कहीं से पैसे नहीं मिले। 'वीमेन ऑन व्हील्स' नाम का एक प्रोजेक्ट इस घोटाले की कामयाबी की चाबी बना। शुरुआती निवेशकों को स्कूटर दिए गए, जिससे लोगों का भरोसा बढ़ा और ज्यादा लोग निवेश करने के लिए आकर्षित हुए। जल्द ही, इस योजना का विस्तार हुआ और घर के सामान भी भारी छूट पर ऑफर किए जाने लगे।

घोटाले में प्रभावशाली लोगों का हाथ!

लेकिन जैसा कि हर पोंजी स्कीम के साथ होता है, आखिरकार पैसा खत्म हो गया और हजारों लोग ठगा गए। केरल के पुलिस प्रमुख को एक शिकायत मिलने के बाद पहली जांच शुरू हुई। पुलिस ने कहा कि जब पहली FIR दर्ज हुई, तब हमें घोटाले की गंभीरता का अंदाजा नहीं था। अनंतु का घोटाला सिर्फ अकेले का काम नहीं था। इसमें कई NGO और प्रभावशाली लोगों का हाथ था। कई संगठन अनजाने में बिचौलिए बन गए और निवेशकों से पैसा इकट्ठा करके अनंतु को भेजते रहे।

यह घोटाला केरल की राजनीति में भी घुस गया, और कई पार्टियों के नेताओं पर आरोप लगने लगे। यह एक बड़ा और जटिल मामला है, जिसकी जांच अभी जारी है। देखना होगा कि आगे क्या होता है और कितने लोग इस घोटाले में शामिल पाए जाते हैं।

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