सही निर्णय लेते हुए सफलता हासिल करने के लिए भगवद् गीता की ये 3 बातें अपने जीवन में उतार लें

जीवन में हर व्यक्ति सफलता का स्वाद चखना चाहता है। जिसके लिए उसे कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास की जरूरत होती है। लेकिन कई बार ये दोनों ही गुण मौजूद होने के बावजूद व्यक्ति लक्ष्य की राह में आने वाली कठिनाइयों से घबराकर खुद के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता है, जिसकी वजह से उसे कई बार निराशा का मुंह तक देखना पड़ता है। अगर आप भी लाइफ में कई बार ऐसी परिस्थिति से होकर गुजर चुके हैं तो आपको भगवद् गीता की ये 3 बातें जरूर याद रखनी चाहिए। ये बातें ना सिर्फ आपका सफलता का रास्ता आसान बनाएंगी बल्कि जीवन में अपने लिए सही निर्णय कैसे लिए जाते हैं, इसका ज्ञान भी देंगी।

अच्छा और सही रास्ता हमेशा आसान नहीं होता
अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में खड़े थे, तो उनका सामना सिर्फ कौरवों की सेना से नहीं था बल्कि उनके सामने भी दो विकल्प मौजूद थे। पहला, विकल्प युद्ध, जो मुश्किल लेकिन सही था और दूसरा युद्ध से पीछे हट जाना, जो सुरक्षित लेकिन गलत था। अधिकांश लोगों की प्रवृत्ति असल जीवन में युद्ध जैसे कठिन निर्णयों का सामना करने से बचने की होती है। लेकिन गीता में कृष्ण कहते हैं कि कर्तव्य के स्थान पर आराम को चुनना बुद्धिमानी नहीं है। जो कठिन है उससे दूर नहीं भागा जा सकता है। व्यक्ति यह जानते हुए भी कि उसके लिए क्या सही है कोई कदम उठाने से झिझकता है क्योंकि यह उसके लिए असुविधा पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए व्यक्ति किसी ऐसी नौकरी या रिश्ते में कई साल तक बना रहता है जो उसे कई समय पहले ही छोड़ देनी चाहिए थी। ऐसी चीजें व्यक्ति को स्थिर बनाए रखती हैं क्योंकि उसके लिए बदलाव कठिन है। लेकिन गीता व्यक्ति को ज्ञान देती है कि सही रास्ता हमेशा आसान नहीं होता और जो आसान है वह हमेशा सही नहीं होता।

जीवन के फैसले अपनी भावनाओं को ना करने दें
कुरुक्षेत्र में कौरवों से युद्ध से पहले अर्जुन का भावुक होना लाजमी था। वह परिवार के प्रति प्रेम और एक योद्धा के रूप में अपने कर्तव्यों के बीच उलझा हुआ था। शुरूआत में उसने कुरुक्षेत्र के युद्ध को सिर्फ भावनाओं के नजरिए से देखा लेकिन कृष्ण ने उन्हें समझाया कि कभी भी अपनी भावनाओं को अपने निर्णयों पर हावी न होने दें। उन्हें महसूस करें, उन्हें स्वीकार करें, लेकिन कोई भी फैसला उनके आधार पर ना करें। ऐसा इसलिए क्योंकि भावनाएं अस्थायी होती हैं, डर खत्म हो जाता है, उत्साह ठंडा हो जाता है और गुस्सा शांत हो जाता है। यदि आप भावनाओं के आधार पर कोई निर्णय लेते हैं कि आप अभी क्या महसूस कर रहे हैं, तो आपका कोई भी फैसला भविष्य में टिक नहीं पाएगा। ऐसे में कोई भी कार्य करने से पहले थोड़ा रुकें और खुद से पहले यह सवाल करें कि अगर आप इन भावनाओं से दूर होकर किसी काम को करने की सोचते हैं तो उसका परिणाम क्या हो सकता है।

गलत चुनाव करने का डर
कृष्ण कहते हैं अगर आप कोई भी निर्णय लेने से पहले उसकी पूर्ण निश्चितता की प्रतीक्षा करते हैं, तो आप अपना जीवन प्रतीक्षा में ही बिता देंगे। मैं विफल हो गया तो क्या हुआ?, यदि यह मार्ग सही नहीं हुआ तो क्या होगा? अगर इस काम को करने के बाद मुझे बाद में पछताना पड़ा तो क्या होगा?, ऐसे प्रश्नों को सोचने से बचें। तभी जाकर आप कुछ सीखकर आगे बढ़ते हैं। याद रखें, सही या गलत, कोई भी निर्णय व्यर्थ नहीं जाता। अच्छा फैसला सफलता तो खराब निर्णय आपको सबक देकर जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि जब आप गलत मोड़ लेते हैं, तो यात्रा समाप्त नहीं होती है बल्कि मंजिल तक पहुंचने के आपको कई और रास्ते पता चलते हैं। गलत निर्णय लेना गलती नहीं है बल्कि असफलता के डर से कोई निर्णय ही ना लेना गलती है।

More From Author

शादी की बात बनते-बनते बिगड़ जाती है तो करें ये काम

नरेश मीणा को हाईकोर्ट से लगा झटका, जमानत याचिका खारिज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

city24x7.news founded in 2021 is India’s leading Hindi News Portal with the aim of reaching millions of Indians in India and significantly worldwide Indian Diaspora who are eager to stay in touch with India based news and stories in Hindi because of the varied contents presented in an eye pleasing design format.