जयपुर मेट्रो के फेज टू को लेकर 2011 से प्रयास जारी, डीपीआर बनकर भी नहीं हो सका कार्य शुरू

जयपुर

जयपुर में वर्ष 2010 में मेट्रो की नींव रखी गई थी। करीब पांच साल तक निर्माण कार्य चला और मेट्रो फेज वन बनकर तैयार हुआ। मानसरोवर से चांदपोल तक पहला फेज बनाया गया। मेट्रो फेज वन के निर्माणाधीन के दौरान ही मेट्रो फेज टू को लेकर प्रयास शुरू किए गए। वर्ष 2011 से लेकर अब तक कई बार कोशिशें हुई लेकिन कामयाब नहीं रही। अब बुधवार 19 फरवरी को पेश किए गए बजट में एक बार फिर मेट्रो फेज टू पर काम शुरू करने के लिए सर्वे कराए जाने की घोषणा की गई है। दिल्ली मेट्रो कॉर्पोरेशन की मदद से किए जाने वाले इस सर्वे में 12 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

पंद्रह साल में पांच बार बनी डीपीआर, प्रोग्रेस शून्य
वर्ष 2011 से ही मेट्रो फेज टू की तैयारी पर काम शुरू हो गया था। पिछले 15 साल में दो बार कांग्रेस की सरकार रही और दो बार ही भाजपा सरकार। पंद्रह साल के दौरान पांच बार डीपीआर भी बनी लेकिन मेट्रो फेज टू का काम धरातल पर नहीं उतरा। हर बार डीपीआर पर करोड़ों रुपए भी खर्च किए गए लेकिन प्रयास कामयाब नहीं रहे। जो भी डीपीआर बनकर तैयार होती, किसी न किसी कारण से उसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। सरकार को जब डीपीआर पसंद नहीं आती है तो उसे रद्द करके नए सर्वे का प्लान तैयार किया जाता रहा है।

जानिए कब-कब बनी डीपीआर
– मेट्रो फेज टू सीतापुरा से अंबाबाड़ी तक बनाया जाना प्रस्तावित है। पहली बार वर्ष 2011 से डीपीआर बनी थी। यह डीपीआर दिल्ली मेट्रो ने बनाई थी। इस पर कुल 6 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। उस डीपीआर के मुताबिक मेट्रो फेज टू के रूट में 20 स्टेशन, एलिवेटेड और अंडरग्राउंड बनने थे। इसकी लागत ज्यादा आ रही थी। ऐसे में यह डीपीआर सरकार को पसंद नहीं आई।

– वर्ष 2014 में भाजपा के शासन में दूसरी बार डीपीआर बनाए जाने का काम हुआ। उन दिनों वसुंधरा राजे प्रदेश की मुख्यमंत्री थी। दो साल तक डीपीआर बनकर तैयार नहीं हुई। इसके बाद फ्रांस की इजिस रेल कंपनी को पहली डीपीआर को रिवाइज करने के लिए कहा। कंपनी ने कंपेरेटिव मोबिलिटी प्लान में मेट्रो को अंबाबाड़ी से आगे बढाकर विश्वकर्मा रोड नंबर 12 तक ले जाना बताया। 23 किलोमीटर दूरी के इस रूट में कुल 29 स्टेशन बनाए जाने प्रस्तावित थे। इसे भी मंजूरी नहीं दी गई।

– वर्ष 2018 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दिल्ली मेट्रो को एक बार फिर से डीपीआर बनाने का कार्य सौंपा। दिल्ली मेट्रो ने पहली वाली डीपीआर में थोड़ा बदलाव किया। कोच की संख्या छह के स्थान पर तीन कर दिए। स्टेशन की संख्या 20 ही रखी। यह डीपीआर भी सरकार को पसंद नहीं आई

– वर्ष 2022 में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने चौथी डीपीआर भी दिल्ली मेट्रो से बनवाने की घोषणा की थी। दो साल तक डीपीआर बनकर तैयार नहीं हुई और दिसंबर 2023 में कांग्रेस सरकार चली गई। बाद में भाजपा की सरकार बनी। वर्तमान भजनलाल सरकार ने सत्ता में आने के बाद फरवरी 2024 में नई डीपीआर का काम रेलवे की राइट्स कंपनी से बनाने की घोषणा की है। इस पर पांच करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही थी।

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