पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के खिलाफ जांच में प्रवर्तन निदेशालय मुख्यालय द्वारा किए गए अधिकारियों के ट्रांसफर

भोपाल

मध्यप्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के खिलाफ तीन जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं, लेकिन सौरभ शर्मा का रसूख कितना है, इसका अंदाजा हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मुख्यालय द्वारा किए गए अधिकारियों के ट्रांसफर में स्पष्ट झलक रहा है। सौरभ शर्मा मामले की जांच से जुड़े भोपाल जोनल कार्यालय में पदस्थ ईडी के डिप्टी डायरेक्टर तुषार श्रीवास्तव को जोनल ऑफिस दिल्ली भेज दिया गया है। इसी तरह असिस्टेंट डायरेक्टर गिनी चंदना और हितेष भंडारी के कार्यक्षेत्र भी आपस में बदल दिए गए हैं।

हालांकि यह दोनों अधिकारी भोपाल से हटाए नहीं गए हैं। ईडी ने डिप्टी डायरेक्टर मनीष सभरवाल और मुकेश कुमार को भोपाल जोनल ऑफिस में बतौर डिप्टी डायरेक्टर पदस्थ किया है। भोपाल में पदस्थ डिप्टी डायरेक्टर सौरभ शर्मा मामले की जांच से जुड़े ईडी अधिकारियों के हटाए जाने के बाद उससे जुड़े केस की जाांच करने वाले लोकायुक्त और आयकर विभाग के अधिकारियों को हटाए जाने का डर सताने लगा है।

ईडी अधिकारियों के स्थांनतरण संबंधी आदेश  जारी हुए हैं। सौरभ शर्मा को सप्ताह भर की रिमांड के बाद दो दिन पहले ही ईडी ने कोर्ट में पेश किया था, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा है। आशंका है कि सौरभ ने ईडी अधिकारियों को परिवहन की काली कमाई में हिस्सेदारी देने में कुछ नेताओं व परिवहन विभाग के कई बड़े अधिकारियों के नाम बताए हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि ईडी अधिकारियों को इसीलिए हटाया गया है, ताकि नेताओं और परिवहन अधिकारियों के नाम बाहर न आ पाएं। भोपाल में करीब दो साल पहले ही ईडी की ब्रांच स्थापित की गई है।

ईडी, लोकायुक्त और आईटी की रडार पर कई नेता-अधिकारी
सौरभ शर्मा और उसके बिजनेस पार्टनर चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के ठिकानों पर 18 दिसंबर को लोकायुक्त पुलिस ने छापा मारा था। इनके ठिकानों से कई डायरियां बरामद हुई हैं। इन डायरियों में परिवहन चौकियों से होने वाली प्रतिदिन की वसूली के साथ नेताओं और परिवहन विभाग के अधिकारियों को दी जाने वाली रकम का पूरा लेखा जोखा है। कुछ डायरियां लोकायुक्त पुलिस ने बरामद की थीं, कुछ डायरियां ईडी की टीम के हाथ लगी हैं। जांच एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो आधा दर्जन नेताओं के साथ परिवहन विभाग के कई जिला और बड़े अधिकारियों के नाम और लेनदेन की राशि का उल्लेख है। सौरभ इतना शातिर है कि उसने परिवहन विभाग की काली कमाई की पूरी राशि का लेनदेन नकदी में ही किया है।

ये है पूरा मामला
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उनके राजदार और बिजनेस पार्टनर चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के ठिकानों पर लोकायुक्त पुलिस ने 18 दिसंबर को छापा मारा था। छापे की कार्रवाई 19 दिसंबर को भी की गई थी। 19-20 दिसंबर की दरमियानी देर रात मेंडोरा के जंगल में एक फार्म हाउस में लावारिस हालत में खड़ी इनोवा के अंदर 54 किलोग्राम सोना और 10 करोड़ से अधिक की नकदी आयकर विभाग ने बरामद की थी। जिस इनोवा से यह सोना और नकदी बरामद हुई है। वह चेतन सिंह गौर के नाम रजिस्टर्ड है और उसका उपयोग सौरभ शर्मा द्वारा किया जा रहा था। इसके बाद 27 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सौरभ शर्मा और उसके बिजनेस पार्टनर के ठिकानों पर छापा मारा था।

ईडी की छापेमारी में सौरभ के ठिकानों से 6 करोड़ की एफडी, 23 करोड़ की संपत्ति सहित कुल 33 करोड़ की संपत्ति मिली थी। ईडी को जमीन से जुड़े दस्तावेज, रजिस्ट्रियां और कुछ कंपनियों के दस्तावेज सहित बैंक खातों की जानकारी भी हाथ लगी थी। 41 दिन की फरारी के बाद सौरभ शर्मा की कोर्ट में सरेंडर करते समय गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद चेतन और शरद को भी लोकायुक्त ने गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया था। ईडी ने तीनों से जेल में अलग-अलग पूछताछ करने के बाद तीनों को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। आज तीनों की रिमांड अवधि समाप्त हो रही है।

 

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