वास्तु के अनुसार घर में रखें डमरू, होगी भोले बाबा कृपा

महाशिवरात्रि पर वास्तु शास्त्र के अनुसार, डमरू को घर में रखने से कई लाभ हो सकते हैं क्योंकि यह एक शक्तिशाली धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक है। डमरू भगवान शिव के हाथ में होने के कारण इसे ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसे घर में रखने से मानसिक शांति, समृद्धि और सुख-शांति में वृद्धि हो सकती है।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार: डमरू का शोर विशेष रूप से जब भगवान शिव का संगीत माना जाता है, घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर में सुख-शांति बनाए रखता है। महाशिवरात्रि पर डमरू को किसी भी स्थान पर रखकर उस स्थान को साफ और व्यवस्थित रखना जरूरी है, ताकि वहां सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। इसके अलावा डमरू को कभी भी शौचालय या रसोई में न रखें क्योंकि ये स्थान नकारात्मक ऊर्जा से जुड़े होते हैं। महाशिवरात्रि पर डमरू को घर में रखने से न केवल मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, बल्कि यह परिवार में सुख और समृद्धि भी लाता है। इसे उचित दिशा में और सही स्थान पर रखने से इसके लाभों का प्रभाव अधिक महसूस होता है।
   
मानसिक शांति: डमरू का प्रतीक भगवान शिव से जुड़ा हुआ है, जो ध्यान और मानसिक शांति के प्रतीक हैं। डमरु घर में रखने से तनाव कम होता है और घर के सदस्य मानसिक रूप से शांत रहते हैं।

रचनात्मकता और बुद्धि: डमरू का रख-रखाव घर में रचनात्मकता और बुद्धि को बढ़ावा देता है। यह व्यक्ति को जीवन में सही दिशा में सोचने और निर्णय लेने में मदद कर सकता है।

वित्तीय समृद्धि: डमरू को घर में रखने से परिवार में वित्तीय समृद्धि की संभावना बढ़ सकती है। यह विशेष रूप से व्यापारियों और नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए शुभ माना जाता है।

डमरू कहां और किस दिशा में रखना चाहिए
उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण): डमरू को घर में उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में रखना बहुत शुभ माना जाता है। यह दिशा शांति और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी हुई है। यहां डमरू रखने से घर में संतुलन और सुख-शांति बनी रहती है।

दक्षिण-पूर्व दिशा (अग्नि कोण): डमरू को दक्षिण-पूर्व दिशा में भी रखा जा सकता है क्योंकि यह दिशा आग के तत्व से जुड़ी होती है। यहां डमरू रखने से ऊर्जा में वृद्धि होती है, जो कामकाजी जीवन में लाभकारी हो सकता है।

पूजा स्थल: घर के पूजा स्थल पर भी डमरु रखना शुभ माना जाता है। यह विशेष रूप से धार्मिक कार्यों और ध्यान के समय उपयोगी होता है। डमरू के साथ पूजा करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है।

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