सीएम योगी ने महाकुंभ आयोजन पर दुष्प्रचार और राज्यपाल के अभिभाषण के व्यवहार पर विपक्ष को आइना दिखाया

लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के छठे दिन मंगलवार को विधान परिषद में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने संबोधन में सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के आयोजन पर किए जा रहे दुष्प्रचार और राज्यपाल के अभिभाषण पर किए गए व्यवहार पर विपक्ष को आइना दिखाया। सीएम योगी ने कहा कि राज्यपाल के खिलाफ विपक्ष का व्यवहार किसी भी आदर्श लोकतंत्र को स्वीकार नहीं होगा।

सीएम योगी ने सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट को पढ़ते हुए कहा कि महाकुंभ में सभी को अपनी दृष्टि के अनुरूप चीजें देखने को मिली है। महाकुंभ दुनिया में अब तक हुए सभी आयोजनों के रिकॉर्ड को तोड़ रहा है। प्रयागराज महाकुंभ ने प्रदेश में नए पंच तीर्थ को जोड़ा है, जिसके माध्यम से श्रद्धालु अयोध्या, काशी, गोरखपुर, मथुरा दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं।

उन्होंने कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और अपने संवैधानिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने के लिए ही वर्ष की शुरुआत में पहले सत्र में उनके द्वारा दोनों सदनों को एक साथ संबोधित किया जाता है। लोकतंत्र संवाद पर आधारित होता है, यह आवश्यक नहीं कि सभी लोग एक-दूसरे से सहमत हों, लेकिन मर्यादा और शालीनता का पालन करना सभी की जिम्मेदारी है। राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद के प्रति जिस प्रकार की अशोभनीय भाषा और नारेबाजी का प्रयोग किया गया, वह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने हमें जो लोकतांत्रिक व्यवस्था दी है, उसका सम्मान करना सभी दलों का कर्तव्य है। समाजवादी पार्टी का यह आचरण लोकतंत्र और संविधान, दोनों के विरुद्ध है। एक आदर्श लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसे व्यवहार को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

मुख्यमंत्री योगी ने विधान परिषद में विपक्ष के रवैये पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जब पूरा विश्व प्रयागराज के महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता का साक्षी बन रहा है, तब विपक्ष सिर्फ आलोचना में व्यस्त है। यह कोई साधारण आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सनातन परंपरा, आस्था और संस्कृति का वह महोत्सव है, जिसने देश की प्रतिष्ठा को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि अब तक 64 करोड़ श्रद्धालु इस दिव्य आयोजन में शामिल हो चुके हैं, जो विश्व के किसी भी धार्मिक आयोजन में शामिल होने वाले लोगों की संख्या से कहीं अधिक है। उत्तर प्रदेश आज एक नए युग की ओर बढ़ रहा है, जहां अयोध्या, काशी, मथुरा-वृंदावन, गोरखपुर और प्रयागराज तीर्थाटन के नए केंद्र बन चुके हैं। प्रयागराज महाकुंभ ने इन धार्मिक स्थलों को पंच तीर्थ के रूप में जोड़ दिया है।

सीएम योगी ने कहा कि महान कार्यों के प्रति समाज का रवैया तीन चरणों से गुजरता है- उपहास, विरोध और अंततः स्वीकृति। यही हाल राम मंदिर निर्माण और महाकुंभ आयोजन के दौरान भी देखने को मिला। पहले विपक्ष ने तंज कसे, फिर विरोध किया, लेकिन अंततः वे भी इसी आस्था में समर्पित हो गए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं संगम में स्नान कर आए और नेता प्रतिपक्ष ने खुद को पहले सनातनी बताया, बाद में समाजवादी। यह उनकी स्वीकृति का प्रमाण है।

सीएम योगी ने महाकुंभ की तुलना दुनिया के अन्य धार्मिक आयोजनों से करते हुए कहा कि मक्का में हज के दौरान 1.4 करोड़, वेटिकन सिटी में सालभर में 80 लाख, जबकि अयोध्या धाम में मात्र 52 दिनों में 16 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे। इसी तरह, काशी, मथुरा-वृंदावन और अन्य तीर्थों में भी करोड़ों श्रद्धालु पहुंचे, जिससे यह साबित हुआ कि भारत की सनातन परंपरा केवल धार्मिक मान्यताओं तक सीमित नहीं, बल्कि विश्व संस्कृति की आधारशिला है।

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ लोग हर बार महाकुंभ को बदनाम करने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस आयोजन ने हर नकारात्मक प्रचार को ध्वस्त कर दिया। वामपंथी और समाजवादी महाकुंभ को बदनाम करने में जुटे रहे, लेकिन करोड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर उनकी नकारात्मकता को नकार दिया। सनातन संस्कृति की ताकत दुनिया ने देखी। करोड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर सनातन विरोधियों को करारा जवाब दिया। यह वही नया उत्तर प्रदेश है, जिसने आध्यात्मिक पर्यटन को एक नई दिशा दी है और अब पूरी दुनिया सनातन संस्कृति की इस अद्भुत शक्ति का लोहा मान रही है।

मुख्यमंत्री योगी ने गंगाजल की शुद्धता पर सवाल उठाने वालों को कड़ा जवाब दिया। उन्होंने बताया कि प्रयागराज में वैज्ञानिक डॉ. अजय शुक्ला की लैब और उत्तर प्रदेश व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, गंगाजल स्नान योग्य ही नहीं, बल्कि अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध भी है। वैज्ञानिक परीक्षणों से यह साबित हुआ है कि गंगाजल में स्वयं को शुद्ध बनाए रखने की प्राकृतिक क्षमता है, जो इसे अन्य नदियों से अलग बनाती है। 17 जनवरी को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में संगम क्षेत्र में क्लोरोफॉर्म की मात्रा निर्धारित मानकों के भीतर पाई गई। संगम तट पर इसकी मात्रा 780 एमपीएन प्रति 100 मिलीलीटर थी, जबकि वाराणसी की ओर जाने वाले घाटों पर यह 280 तक थी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, जल की शुद्धता के तीन प्रमुख मानक- बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड), सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) और फीकल कॉलीफॉर्म-संगम क्षेत्र में पूरी तरह संतुलित पाए गए।
 

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