ईरानी अधिकारियों को संदेह है कि दोनों देश मिलकर परमाणु कार्यक्रम को निशाना बना सकते हैं, मंडराया युद्ध का साया

तेहरान
ईरान ने अपने परमाणु स्थलों पर अमेरिका और इजरायल के संभावित हमले की आशंका के बीच ‘हाई अलर्ट’ जारी किया है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी अधिकारियों को संदेह है कि दोनों देश मिलकर उसके परमाणु कार्यक्रम को निशाना बना सकते हैं। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब क्षेत्र में तनाव चरम पर है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान के परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर नजर रखे हुए है। ईरानी सरकार ने अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करने के संकेत दिए हैं, हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति मध्य पूर्व में नई अस्थिरता पैदा कर सकती है।

ईरान ने परमाणु स्थलों की सुरक्षा बढ़ाई, संभावित हमले की आशंका
ब्रिटेन के अखबार द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने इन महत्वपूर्ण स्थलों पर अतिरिक्त वायु रक्षा प्रणाली तैनात की है और सुरक्षा को मजबूत किया है। इससे पहले अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने बाइडेन और फिर ट्रंप प्रशासन को इस साल ईरानी परमाणु ठिकानों पर इजरायल के संभावित हमले की चेतावनी दी थी।

इजरायल के हमले और ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान लंबे समय से अपने परमाणु स्थलों को सुरक्षित कर रहा था, लेकिन पिछले एक साल में इसने सुरक्षा उपायों को और तेज कर दिया, खासतौर पर तब से जब इजरायल ने ईरान पर पहली बार हमला किया था। अमेरिकी मीडिया आउटलेट 'Axios' के अनुसार, इजरायल ने पारचिन सैन्य परिसर पर हवाई हमले किए थे, जहां ईरान कथित रूप से परमाणु हथियारों से जुड़ा रिसर्च कर रहा था। इस हमले में "Taleghan 2" सुविधा को नष्ट कर दिया गया था। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है, "ईरान हर रात संभावित हमले का इंतजार कर रहा है और सतर्क है, यहां तक कि उन ठिकानों पर भी जो सार्वजनिक रूप से ज्ञात नहीं हैं।"

ट्रंप की वापसी और ईरान पर फिर से दबाव
डोनाल्ड ट्रंप के जनवरी 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में दोबारा शपथ लेने के बाद, उन्होंने ईरान के खिलाफ "अधिकतम दबाव" नीति को बहाल कर दिया है। यह वही नीति है जो उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में अपनाई थी। इस नीति के तहत, अमेरिका ने 2015 के परमाणु समझौते से एकतरफा रूप से खुद को अलग कर लिया था और ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। अमेरिका का आरोप है कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जिसे उसने लगातार खारिज किया है। हालांकि, ट्रंप ने हाल ही में ईरान के साथ एक नया समझौता करने की बात कही, लेकिन ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने 15 फरवरी को स्पष्ट कर दिया कि, "अमेरिका से बातचीत करके कोई समस्या हल नहीं होगी।"

इजरायल ने दी "अंतिम प्रहार" की धमकी
खामेनेई के बयान के एक दिन बाद, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि उनका देश अमेरिका के सहयोग से ईरान के खिलाफ "अंतिम प्रहार" करेगा। नेतन्याहू ने कहा, "पिछले 16 महीनों में, इजरायल ने ईरान के आतंकवादी नेटवर्क पर कड़ा प्रहार किया है। राष्ट्रपति ट्रंप के मजबूत नेतृत्व में और अमेरिका के अटूट समर्थन के साथ, मुझे कोई संदेह नहीं कि हम इस कार्य को पूरा करेंगे।"

गौरतलब है कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा में ईरान समर्थित हमास से युद्ध छेड़ दिया था। इसके अलावा, उसने लेबनान में हिज्बुल्लाह, यमन और इराक में ईरान समर्थित सशस्त्र समूहों से भी संघर्ष किया है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वॉल्ट्ज ने पिछले सप्ताह कहा कि, "ईरान एक तानाशाही शासन है, जिसे परमाणु हथियारों का नियंत्रण नहीं दिया जा सकता। सभी विकल्प खुले हैं।" रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायली हमलों से ईरान की वायु रक्षा प्रणाली कमजोर हो गई है, और भले ही उसने अतिरिक्त लॉन्चर तैनात किए हैं, लेकिन वह अब भी बड़े हमलों के प्रति संवेदनशील है।

ईरान की रक्षा प्रणाली मुख्य रूप से घरेलू रूप से विकसित तकनीकों और रूसी S-300 मिसाइलों पर निर्भर है, जो इजरायली हथियारों के सामने अपर्याप्त साबित हो सकती हैं। इसे देखते हुए, ईरान ने रूस से S-400 मिसाइलों की आपूर्ति तेजी से करने की मांग की है। इसके अलावा, ईरानी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की एयरोस्पेस फोर्स के प्रमुख जनरल अमीर अली हाजीजादेह ने कहा है कि ईरान एक नई बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रणाली विकसित कर रहा है, ताकि इज़राइल से बढ़ते खतरे का सामना किया जा सके।

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