मध्यप्रदेश में 10 साल में छह जीआईएस हुईं, एमपी में एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे

भोपाल
मध्य प्रदेश में 10 साल में छह ग्लोबल इंवेटर्स समिट (जीआइएस) हुईं, इनमें कुल 30 लाख 13 हजार 41.60 करोड़ रुपये के 13,388 निवेश प्रस्ताव आए थे, लेकिन धरातल पर केवल तीन लाख 47 हजार 891.40 करोड़ रुपये के ही 762 निवेश उतर सके। इस पूंजी निवेश से प्रदेश में दो लाख सात हजार 49 बेरोजगार को रोजगार मिला। अब भोपाल में हुई सातवीं जीआइएस से सरकार को बेहद उम्मीद है।

पूर्व के अनुभव को देखते हुए 24-25 फरवरी को भोपाल में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआइएस) में मिले 26.61 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव में से आधा निवेश भी धरातल पर उतरता है तो मोहन सरकार की मेहनत सफल हो जाएगी। इसे लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रतिमाह दो बार समीक्षा करेंगे। सरकार की कार्ययोजना है कि समयसीमा में निवेश प्रस्ताव क्रियान्वित हों। इसके लिए मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और विभाग के स्तर पर निगरानी की व्यवस्था रहेगी। इधर, रोजगार पोर्टल पर मध्य प्रदेश में 26 लाख से अधिक बेरोजगार पंजीकृत है। सरकार का प्रयास है कि सरकारी नौकरी के साथ निजी क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तोर पर इन्हें रोजगार मिल सके। इसलिए सरकार हर वो प्रयास कर रही है जिससे रोजगार सृजित हो।

मप्र में 25,82,759 बेरोजगार, केवल 2,32,295 आवेदकों को ही मिली नौकरी
भले ही प्रदेश में बेरोजगारी दूर करने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही हो, बावजूद इसके वर्ष 2024 में प्रदेश में 25 लाख, 82 हजार 759 युवा बेरोजगार रह गए। हालांकि सरकार का दावा है कि इनमें से दो लाख 32 हजार 295 बेरोजगार आवेदकों को रोजगार कार्यालय के माध्यम से निजी क्षेत्र में आफर लेटर प्रदान किए गए, लेकिन आफर लेटर देने के बाद भी सरकार को यह नहीं पता कि बेरोजगार युवा किन कंपनियों में काम कर रहे हैं। वहीं गत चार वर्षों की बात करें तो वर्ष 2021 में रोजगार कार्यालय में 32 लाख 16 हजार 64 बेरोजगार पंजीकृत थे, 2022 में 27 लाख 82 हजार 29 रह गए। वर्ष 2023 में 35 लाख 73 हजार 694 हुए तो वर्ष 2024 में घटकर 25 लाख 82 हजार 759 रह गई हैं।

रोजगार का बड़ा माध्यम बन सकता है एमएसएमई
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का विस्तार सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराने का माध्यम बन सकता है। इसके लिए सरकार ने एमएसएमई, स्टार्टअप और औद्योगिक भूमि एवं भवन आवंटन नीति बनाई है। 194 औद्योगिक क्षेत्र केवल एमएसएमई के लिए बनाए गए हैं और प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर में क्लस्टर बनाए गए हैं। सरकार के अनुसार, तीन लाख 54 हजार एमएसएमई इकाइयों को पंजीकृत किया है। इनमें 18.33 लाख नौकरियां उत्पन्न करने की क्षमता है।
 
इधर, मध्य प्रदेश से अधिकांश उत्पादों को जीआइ टैग दिलाने भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें आदिवासियों की पारंपरिक औषधियों, खाद्यान्न और उनकी कलात्मक वस्तुओं को प्राथमिकता दी जाएगी। मध्य प्रदेश के एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की ब्रांडिंग की जा रही है। इसके लिए अलग से एक सेल गठित किया गया है।

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