कुवैत में उपवास के घंटों में खाना-पीना किया तो जेल भी हो सकती

 कुवैत

इस्लाम का पवित्र महीना रमजान शुरू हो चुका है. इस पूरे महीने मुसलमान रोजा रखते हैं जिसमें सूरज उगने से पहले और डूबने के बाद ही कुछ खाया-पीया जाता है. उपवास यानी रोजा को लेकर मुस्लिम देशों में अलग-अलग नियम हैं. इसी बीच कुवैत ने एक ऐसा नियम बनाया है जिसे तोड़ने पर जेल की सजा भी हो सकती है. कुवैत के नए नियम के मुताबिक, अगर किसी ने उपवास के घंटों में सार्वजनिक जगह पर खाना-पीना किया तो उस पर 100 दिनार (28,230 रुपये) का जुर्माना लगाया जाएगा और जेल भी हो सकती है.

गल्फ न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नए नियम में सार्वजनिक जगहों पर खाने-पीने से मना किया गया है. उल्लंघन करने पर जुर्माने के साथ-साथ अधिकतम एक महीने की जेल भी हो सकती है.

कब माना जाएगा रोजे का उल्लंघन?

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर सार्वजनिक स्थान पर खाता है, पानी पीता है या धूम्रपान करता है और अपने किए की कोई वाजिब वजह नहीं बता पाता तो इसे रोजा नियम का उल्लंघन माना जाएगा. वाजिब वजहों में बीमार होना या लंबी यात्रा करना शामिल है. कुवैती अधिकारियों ने लोगों से कहा है कि जो लोग रोजा नहीं रख रहे, वो सार्वजनिक स्थानों के बजाए प्राइवेट में खाना-पीना करें.

कुवैत का यह नियम वहां की कंपनियों और अन्य व्यवसायों पर भी लागू होता है. अगर कोई कंपनी या प्रतिष्ठान सार्वजनिक रूप से खाने-पीने की अनुमति देता है तो सजा के तौर पर कम से कम उसे दो महीने तक बंद कर दिया जाएगा. कुवैत की नगर पालिका ने दुकान और रेस्टोरेंट के खुले रहने के घंटों पर भी सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत सूर्यास्त से दो घंटे पहले इफ्तार की तैयारियों के लिए वो खुले रह सकते हैं.

किन मुसलमानों को रोजा न रखने की होती है छूट?

रोजा रखना सभी मुसलमानों के लिए जरूरी होता है. लेकिन छोटे बच्चों को रोजा न रखने की छूट होती है. तरुणावस्था में प्रवेश करने के बाद उनका रोजा रखना भी जरूरी होता है. बच्चों के अलावा बीमार लोगों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं और यात्रा कर रहे लोगों को रोजा न रखने की छूट होती है.

रोजा के नियम

-यौवनावस्था में पहुंच चुके सभी स्वस्थ मुसलमानों को रमजान के महीने में उपवास करना चाहिए.

-अगर कोई बीमार है तो ठीक होते ही उसे अगले दिन रोजा रखना चाहिए.

-जो लोग किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और रोजा नहीं रख सकते, उन्हें फिदया अदा करना चाहिए. इसका मतलब है कि रोजा छूटने के बाद रमजान में हर दिन जरूरतमंदों को खाना खिलाना चाहिए.

-रमजान के महीने में यात्रा करने से बचना चाहिए, जब तक कि बहुत जरूरी न हो. लेकिन अगर यह जरूरी हो, तो यात्रा के बाद फिर से रोजा शुरू करना चाहिए.

-रोजा के वक्त सहरी और इफ्तार के सही वक्त का ध्यान रखना चाहिए और तय समय पर ही खाना चाहिए. सूरज उगने से पहले किए जाने वाले भोजन को सहरी कहते हैं और सूरज डूबने के बाद खाना खाकर रोजा तोड़ने को इफ्तार कहते हैं.

-उपवास के दौरान भोजन, पानी, धूम्रपान से बचना चाहिए. इस दौरान यौन संबंधों से भी दूर रहने की सलाह दी जाती है.

-रोजे में झूठ बोलना, लड़ना, गाली देना और बहस करने की मनाही होती है.

 

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