मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पेटेंट एंड टेक्नोलाजी सेंटर खोले जाएंगे, पीटीसी से युवाओं और शोधार्थियों को मिलेगा लाभ

भोपाल
बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करने और अपने आविष्कारों को पेटेंट कराने के लिए लोगों को मदद देने के लिए मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकास्ट) पिछले कई वर्षों से कार्य कर रही है। इसके लिए मेपकास्ट में एक पेटेंट सूचना केंद्र संचालित है। इस कार्य से आगे बढ़ते हुए मेपकास्ट प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में पटेंट एंड टेक्नोलाजी सेंटर (पीटीसी) की स्थापना करने जा रहा है।

इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों को प्रस्ताव भेजकर दो-दो फैकल्टी तय करने के लिए कहा गया है। योजना है कि 26 अप्रैल को बौद्धिक संपदा दिवस के मौके पर प्रदेश के सभी 64 विश्वविद्यालयों से इस संबंध में समझौता (एमओयू) कर लिया जाए।

तीन दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा

इस समझौते के आधार पर विश्वविद्यालय से तय प्राध्यापकों को तीन दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा और यही प्रशिक्षित प्राध्यापक अपने- अपने विश्वविद्यालय में (पीटीसी) का संचालन करेंगे। ये लोगों को तकनीकी सहायता भी उपलब्ध कराएंगे।

मेपकास्ट के प्रधान वैज्ञानिक और पेटेंट सूचना केंद्र के प्रभारी विकास शेंडे ने बताया कि आमतौर पर देखने में आता है कि लोग कोई नवाचार या आविष्कार तो कर लेते हैं, लेकिन पेटेंट कराने से पूर्व ही इसकी जानकारी को सार्वजनिक कर देते हैं।

काम मुकम्मल होने के बाद जब वे पेटेंट कराने पहुंचते हैं तो पता चलता है कि उनके आइडिया को चुराकर कोई और व्यक्ति पेटेंट करा चुका है। इसी प्रकार कई ऐसी बौद्धिक संपदाएं भी हैं, जिन्हें लोगों ने पेटेंट तो करा लिया है, लेकिन कोई काम नहीं कर रहे, उनके लिए ये विचार सिर्फ संपत्ति बनकर रह गए हैं।

इन संपदाओं से ना तो पेटेंट कराने वालों ने खुद लाभ उठाया और ना ही दूसरों के लिए फायदेमंद साबित हुईं। इसकी वजह यह रही कि पेटेंट को बाजार में लाने के लिए उन्हें उचित प्लेटफार्म कभी मिला ही नहीं। पेटेंट सूचना केंद्र और पीटीसी के माध्यम से मेपकास्ट अब यह जिम्मेदारी निभाएगा।

इस वजह से पड़ी जरूरत

अधिकारियों का कहना था कि मेपकास्ट का पेटेंट सुविधा केंद्र सभी जानकारी और तकनीकी मदद मुहैया कराता है। लेकिन देखने में आया है कि यहां मदद मांगने बहुत कम लोग आ पाते हैं। इसके पीछे जानकारी का अभाव, दूरी और दूसरी वजहें हो सकती हैं। इसी समस्या को देखते हुए विश्वविद्यालयों में पीटीसी खोलने का फैसला हुआ है।

पेटेंट का फायदा दिलाने की योजना

अधिकारियों ने बताया कि मेपकास्ट उत्पादों का खरीदार उपलब्ध कराने के लिए नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआइएफ), नेशलन रिसर्च डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनआरडीसी), डेवलपमेंट आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च और उद्योग विभाग की मदद ले रहा है। पेटेंट ग्रांट होने के बाद उद्योग विभाग से पांच लाख रुपये की राशि दी जाती है।

यह काम करेंगे पीटीसी

यह केंद्र पेटेंट की खोज, आइपीआर को लेकर ट्रेनिंग, विद्यार्थियों और शोधार्थियों को नई तकनीक के बारे में बताना, ओरिएंटेशन प्रोग्राम का संचालन करेगा। इनोवेशन का प्रमोशन, एसएमई के लिए आइपीआर सल्युशन, पेटेंट डाफ्टिंग ट्रेनिंग, स्टार्टअप और नवाचार को बढ़ावा देने का काम करेगा। वहीं प्रशिक्षकों के लिए प्रशिक्षण और इनोवेटर्स मीट का आयोजन भी करेगा।

मध्य प्रदेश, भारतीय पेटेंट कार्यालय मुंबई के क्षेत्राधिकार में आता है। मेपकास्ट के जरिए पेटेंट के आवेदन मुंबई भेजे जाते हैं। यहीं कार्य अब सभी पीटीसी भी कर सकेंगे।
क्या है बौद्धिक संपदा अधिकार

किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा सृजित कोई रचना- संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज, नाम अथवा डिजाइन आदि उस व्यक्ति अथवा संस्था की बौद्धिक संपदा कहलाती है। अपनी कृतियों पर प्राप्त अधिकार को बौद्धिक संपदा अधिकार कहा जाता है। इसमें पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिजाइन, भौगोलिक संदेश (जीआई) आदि शामिल है।
पीटीसी की स्थापना तीन महीने में होगी

    शासन के निर्देश पर प्रदेश के युवाओं और शोधार्थियों को उनके किए गए कार्यों के लिए पेटेंट एवं तकनीकी कार्य में सहयोग के लिए पीटीसी की स्थापना होनी है। प्रदेश भर के विश्वविद्यालयो में पीटीसी की स्थापना तीन माह के भीतर हो जाएगी। – डॉ. अनिल कोठारी, महानिदेशक मेपकास्ट।

 

More From Author

सरकार अब EPF से पैसे निकालने का तरीका आसान बनाने जा रही, धारक UPI के ज़रिए झटपट अपना पैसा निकाल सकेंगे

60 साल के आदमी ने अपनी पत्नी और बच्चों के खिलाफ तलाक की लगाई अर्जी, फैमिली कोर्ट में हो रही काउंसलिंग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

city24x7.news founded in 2021 is India’s leading Hindi News Portal with the aim of reaching millions of Indians in India and significantly worldwide Indian Diaspora who are eager to stay in touch with India based news and stories in Hindi because of the varied contents presented in an eye pleasing design format.