कलेक्टर उइके ने मत्स्य एवं पशुधन विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं से लाभान्वित हिग्राहियों से की चर्चा

 कलेक्टर उइके ने मत्स्य एवं पशुधन विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं से लाभान्वित हिग्राहियों से की चर्चा

जिले के ग्रामीणों के आजीविका में वृद्धि के लिए मत्स्य एवं पशुपालन विभाग के योजनाओं से लाभ दिलाने के दिये निर्देश

गरियाबंद

कलेक्टर भगवान सिंह उइके आज पशुधन विकास एवं मत्स्य विभाग की संचालित योजनाओं का निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पशुधन विकास विभाग द्वारा संचालित व्यक्तिमूलक योजनाओं विशेष रूप से राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना तथा सूकर त्रयी वितरण योजना से लाभान्वित हितग्राहियो का ग्रामीण अंचल में जाकर निरीक्षण किया गया तथा उनसे चर्चा कर योजनाओं की जानकारी लेते हुए उन्हें होने वाले लाभ पर भी विस्तृत चर्चा की गई। कलेक्टर उइके को ग्राम सढ़ौली के अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राही श्रीमती लक्ष्मी ठाकुर एवं गुणज्ञ चन्द्रवंशी द्वारा बताया गया गया कि कुछ वर्ष पूर्व वे देशी नस्ल के पशुधन को रखते थे जिनमें से देशी नस्ल के गायों का दुग्ध उत्पादन बहुत ही कम होता था। इसके उपरांत पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों जानकारी ली गई। विभागीय अधिकारियों से जानकारी प्राप्त कर वे पूर्ण रूप से उन्न्त नस्ल के पशुओं का पालन कर रहे है। जिससे उन्नत नस्ल की गायों से उनको प्रतिदिन 30 से 40 लीटर दुध उत्पादन हो रहा है। जिसे वे स्थानीय बाजार में 50 रूपये प्रति लीटर की हिसाब से विक्रय कर लाभ अर्जित कर रहे है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के अन्य पशुपालक कृत्रिम गर्भाधान का पूर्ण लाभ उठाते हुये देशी नस्ल की गायों का उन्नयन कर उन्नत नस्ल के पशुओं का पालन कर रहे है।

इस दौरान पशु चिकित्सा एवं सेवाएं के उपसंचालक डॉ ओ.पी तिवारी ने बताया कि राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के अंतर्गत 02 उन्नत नस्ल के दुधारू पशुओं का प्रावधान है। जिसकी इकाई लागत 1 लाख 40 हजार रूपये अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति श्रेणी के हितग्राहियों को 66.66 प्रतिशत अधिकतम 93 हजार 200 रूपये तथा सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के हितग्राहियों को 50 प्रतिशत अधिकतम 70 हजार रूपये का अनुदान डी. बी. टी. के माध्यम से हितग्राहियों के खाते में अंतरित किया जाता है। कलेक्टर उइके ने पशुधन को समय पर टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान, उपचार आदि की समुचित व्यवस्था करने की निर्देश दिये।

इसके अलावा कलेक्टर ने मत्स्य बीज उत्पादन परिक्षेत्र आमदी एवं मत्स्य बीज संवर्धन परिक्षेत्र कोकड़ी तथा मछली पालन कार्यालय का निरीक्षण किया, जिसमें वर्ष 2025-26 में मछली बीज उत्पादन के लक्ष्य को पूर्ति करने के लिए की जा रही तैयारियों काी जानकारी ली और लक्ष्य की प्राप्ति के निर्देश दिये। कलेक्टर ने जिले के ग्रामीणों के आजीविका में वृद्धि के लिए मत्स्य एवं पशुपालन विभाग के योजनाओं से लाभ दिलाने के निर्देश दिये। इस दौरान अपर कलेक्टर नवीन भगत, मत्स्य पालन विभाग के सहायक संचालक आलोक वशिष्ट एवं जिला पशु चिकित्सालय गरियाबंद के प्रभारी डॉ. टामेश कंवर एवं अन्य विभागीय कर्मचारी उपस्थित थे।

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