प्रशासन ने 11 हेक्टेयर कृषि भूमि पर कब्जा लेकर रेलवे को सौंपा, मूंग की खड़ी फसल पर जेसीबी चलाकर जमीन खाली कराई

बुधनी

किसानों की जमीन पर इंदौर-बुधनी रेल परियोजना अटकी हुई है। बुधनी रेलवे परियोजना साल 2024 में पूरी हो जानी थी, लेकिन भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के चलते यह परियोजना वर्ष 2025 में भी पूरी होने की उम्मीद नहीं है। जमीन का चार गुना मुआवजा दिये जाने की मांग को लेकर लगातार किसान इस परियोजना को लेकर विरोध करते चले आ रहे हैं। जिससे परियोजना में देरी हो रही है।

इसी क्रम में बुधवार को रेहटी क्षेत्र के गांव मलाजपुर में प्रशासनिक कार्रवाई के दौरान 11 हैक्टेयर कृषि भूमि का कब्जा प्रशासन ने किसानों से लेकर रेलवे विभाग को सौंपा। इस दौरान किसानों ने जमकर विरोध दर्ज कराया, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने एक नहीं सुनी और किसानों की जमीन पर बोई मूंग फसल पर जेसीबी चलाकर जमीन से कब्जा छुड़ाया।

इस मामले में किसानों का कहना था कि प्रशासन की हठधर्मिता के चलते किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। कृषि भूमि का बिना मुआवजा दिए ही जमीन से कब्जा लेकर प्रशासन किसानों की कमर तोड़ रहा है। वहीं प्रशासन ने दावा किया है कि सभी किसानों का राजस्व रिकॉर्ड दुरुस्त है। वहीं खाता नंबर नहीं दिए जाने से किसानों के खातों में मुआवजा राशि नहीं पहुंच पाई है। इस कार्रवाई में रेहटी तहसीलदार भूपेंद्र कलोसिया, थाना प्रभारी राजेश कहारे, नायब तहसीलदार सहित रेलवे के अधिकारी और बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद था।

2018 में हुआ था परियोजना का भूमि पूजन
उल्लेखनीय है कि इंदौर से जबलपुर की दूरी कम करने और इंदौर से बुधनी रेलवे लाइन बिछाने के लिए 2018 में परियोजना का भूमि पूजन किया गया था। इस दौरान वर्ष 2024 तक परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन भूमि अधिग्रहण न होने से अर्थवर्क का कार्य शुरू नहीं हो सका है। रेलवे विभाग को अधिग्रहित भूमि किसानों से लेने में विवाद का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते प्रशासन को मौके पर पहुंचकर अधिग्रहित भूमि से कब्जा हटाकर भूमि विभाग को सौंपनी पड़ रही है।

बता दें कि वर्ष 2023 के रेलवे बजट में केंद्र सरकार ने 514 करोड़ की राशि इस परियोजना के लिए स्वीकृत की थी, जिसके चलते सरकारी रास्तों पर पुल-पुलियाओं का निर्माण किया जा चुका है। वर्ष 2024-25 के लिए इस परियोजना में 1107.25 करोड़ का परिव्यय आवंटित किया गया है। इस परियोजना में 3261.82 करोड़ रुपये की राशि खर्च होने का अनुमान है। यह परियोजना कुल 205 किमी लंबी हैं। रेलवे लाइन इंदौर जिले में 20 किमी, देवास में 112 और सीहोर जिले में 66 किमी ऐरिये में बिछाई जाना है। जिससे प्रतिदिन हजारों लोगों को इंदौर से जबलपुर तक सफर करने में कम दूरी का फायदा मिलेगा।

किसानों का आरोप, रिकॉर्ड दुरुस्ती के लिए दो साल से लगा रहे चक्कर
किसान संघ के पदाधिकारी गजेन्द्र जाट ने जानकारी देते हुए बताया कि मलाजपुर के 20 से अधिक किसानों की कृषि भूमि का रिकॉर्ड दुरुस्त नहीं है। इसके लिए किसानों द्वारा तहसील कार्यालय के चक्कर लगाये जा रहे हैं। जिन किसानों की भूमि से कब्जा लिया गया ऐसे किसान ओमप्रकाश, जयनारायण, अनूप सिंह, रामेश्वर, देवी सिंह, संतोष, रघुवीर, महेन्द्र सिंह, गजेन्द्र सिंह, ईश्वर सिंह, पवन कुमार सहित अन्य महिला किसानों की मानें तो बिना रिकॉर्ड दुरस्त ही प्रशासन द्वारा कब्जा लिये जाने की कार्रवाई की गई है। कब्जा लेने से पूर्व किसानों को किसी भी प्रकार का कोई नोटिस भी नहीं दिया गया। जिससे किसानों द्वारा लगभग 30 एकड़ खेत में बोई मूंग फसल को प्रशासन ने जेसीबी चलाकर बर्बाद कर दिया हैं। इससे किसानों पर दोहरी पार पड़ी है।

क्या कहते हैं अधिकारी
एसडीएम दिनेश तोमर ने बताया कि मलाजपुर के सभी किसानों का रिकॉर्ड दुरुस्त है। यहां के 29 किसानों की 11 हैक्टेयर जमीन का कब्जा रेलवे विभाग को सौंपा जा चुका है। किसानों द्वारा खाते नंबर नहीं देने की स्थिति में उनके खातो में 3 करोड़ 79 लाख मुआवजा अब तक हस्तांतरित नहीं हो सका है। बुधनी सब डिवीजन के तहत कुल 25 गांव में 798 कृषकों की कृषि भूमि रेलवे परियोजना के लिए अर्जित की गई हैं। जिसका रकबा 306 हैक्टेयर और कुल मुआवजा राशि 132 करोड़ रुपये है। इसमें से 115 करोड़ रुपये किसानों के खातों में डाल दिये हैं, शेष किसानों की खातों की जानकारी नहीं देने से राशि का हस्तांतरण नहीं हो पाया है। राजस्व विभाग द्वारा 280 हैक्टेयर जमीन का कब्जा भी रेलवे को सौंपा जा चुका है।

भैरूंदा तहसील के 13 गांव से गुजरेगी रेलवे लाइन
बुदनी-इंदौर रेलवे लाइन भैरूंदा तहसील के 13 गांवों से होकर गुजरेगी, जिसके लिए रेलवे विभाग के द्वारा स्थानीय प्रशासन के सहयोग से 220 हैक्टेयर में से 184 हैक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है। योजना के तहत अधिग्रहित 404 किसानों में से 387 किसानों के खातों में मुआवजा राशि का हस्तांतरण किया जा चुका है। अब 10 गांव के 27 किसान ऐसे हैं, जिन्होंने बैंक खाते की जानकारी राजस्व विभाग को अब तक नहीं दी हैं, जिससे 4 करोड़ 47 लाख रुपये का मुआवजा अब बैंक खातो में नहीं पहुंच सका है। एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी ने बताया कि भूमि से कब्जा हटाये जाने की प्रक्रिया तेज गति से चल रही हैं। क्षेत्र के बांव ससली, झकलॉय, बोरखेड़ा में 27.472 हैक्टेयर व नंदगांव, आगरा, भैरूंदा, राला, बोरखेड़ाकलां में 8.684 हैक्टेयर भूमि से कब्जा लेकर रेलवे विभाग को सौंपा जाना हैं, जो भी शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा।

522 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत, 218 करोड़ का मुआवजा दिया

सीहोर में  कलेक्टर बालागुरू के. की अध्यक्षता में आयोजित टीएल बैठक में इंदौर-बुधनी रेल परियोजना और बाड़ी-बुधनी-संदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की प्रगति की समीक्षा की गई।

रेल परियोजना के लिए भैरूंदा और बुधनी क्षेत्र के 38 गांवों की 522.564 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण पूरा कर लिया गया है। प्रभावित किसानों को 218.15 करोड़ रुपए का मुआवजा वितरित किया जा चुका है।

वहीं बाड़ी-बुधनी-संदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए बुधनी अनुभाग के 29 गांवों की 172.5 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इस परियोजना में किसानों को 122.43 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया है।

कलेक्टर ने अधिकारियों को शेष किसानों को शीघ्र मुआवजा वितरण करने के निर्देश दिए। साथ ही अर्जित भूमि का नामांतरण और कब्जा दिलाने की प्रक्रिया पूरी करने को कहा। बैठक में विभिन्न विभागों के समय-सीमा प्रकरणों और सीएम हेल्पलाइन के लंबित मामलों की भी समीक्षा की गई।

 

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