शेख हसीना के खिलाफ आईसीटी द्वारा मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने की अवामी लीग ने कड़ी निंदा की

ढाका 
अवामी लीग ने शनिवार को अपनी पार्टी की नेता और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) द्वारा मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने की कड़ी निंदा की। पार्टी ने इसे मुहम्मद यूनुस के "अनिर्वाचित और अलोकतांत्रिक" शासन के तहत संचालित "शो ट्रायल" करार दिया। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आज की कार्यवाही की शुरुआत एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि बांग्लादेश अपने अनिर्वाचित, अलोकतांत्रिक नेता मुहम्मद यूनुस के शासन में किस चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है।
अवामी लीग ने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र पहले ही आईसीटी प्रणाली में निष्पक्ष सुनवाई और कानूनी प्रक्रिया की कमी को लेकर चिंता जता चुका है।
पार्टी का आरोप है कि जब से यूनुस ने सत्ता संभाली है, तब से न्यायाधिकरण ने केवल अवामी लीग के नेताओं पर ही कार्यवाही की है। आम लोगों, पत्रकारों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों को नजरअंदाज किया गया है।
पार्टी ने शेख हसीना पर लगे आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि पिछले साल के प्रदर्शनों के दौरान भीड़ पर बल प्रयोग करने का कोई निर्देश प्रधानमंत्री या वरिष्ठ नेताओं ने नहीं दिया था।
आगे कहा गया है, "हम इस बात से इनकार नहीं करते कि तेजी से बदलते और विकट हालात में हिंसा की घटनाओं के जवाब में जमीन पर सुरक्षा बलों के कुछ सदस्यों के बीच अनुशासन के टूटने से दुखद रूप से जान का नुकसान हुआ। लेकिन, इसे देश के निर्वाचित नेतृत्व द्वारा अपने ही लोगों के खिलाफ नियोजित हमले के रूप में बताना गलत है। राजनीतिक नेतृत्व ने सड़क स्तर पर सुरक्षा बलों की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली भीड़ नियंत्रण रणनीति को तैयार करने या निर्देशित करने में कोई भूमिका नहीं निभाई।"
पार्टी ने यह भी बताया कि उसने जवाबदेही तय करने के लिए अगस्त की शुरुआत में एक जांच आयोग बनाया और संयुक्त राष्ट्र को स्थिति देखने के लिए आमंत्रित भी किया।
अवामी लीग ने यह सवाल भी उठाया कि क्या यह मुकदमा निष्पक्ष होगा, क्योंकि सरकार के कई अधिकारी पहले ही सार्वजनिक रूप से शेख हसीना को दोषी ठहरा चुके हैं। पार्टी ने कहा, “ऐसे हालात में निष्पक्ष न्याय संभव नहीं है।”
हसीना के साथ, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी मामले में सह-आरोपी बनाया गया है।
जांच में आरोप लगाया गया है कि हसीना ने राज्य सुरक्षा बलों, अपनी राजनीतिक पार्टी के सदस्यों और संबद्ध संगठनों को सरकार विरोधी प्रदर्शनों की बढ़ती लहर के खिलाफ क्रूर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
विडंबना यह है कि न्यायाधिकरण की स्थापना शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध (न्यायाधिकरण) अधिनियम के तहत की थी, जिसका उद्देश्य 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लादेश के भूभाग में पाकिस्तानी सेना द्वारा अपने स्थानीय सहयोगियों की मदद से किए गए नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अन्य अपराधों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों का पता लगाना, उन पर मुकदमा चलाना और उन्हें दंडित करना था।
विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह घटनाक्रम यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा किया जा रहा एक बड़ा राजनीतिक प्रतिशोध है, क्योंकि अगस्त 2024 में उनके पद से हटने के तुरंत बाद पूर्व प्रधानमंत्री और उनके समर्थकों के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे। बता दें कि शेख मुजीबुर रहमान की बेटी और बांग्लादेश में लोकतंत्र की आवाज मानी जाने वाली शेख हसीना को 5 अगस्त को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी।

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