राशन की आस, लेकिन मिली मौत! गाजा में लाइन बन गई 82 लोगों की कब्र

गाजा
गाजा में हालात हर बीतते दिन के साथ और भी भयावह होते जा रहे हैं। 2 जुलाई की रात और 3 जुलाई की सुबह, इज़राइल की ओर से किए गए हवाई हमलों और गोलीबारी में 82 फिलीस्तीनी नागरिकों की जान चली गई । यह जानकारी गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय और स्थानीय अस्पतालों ने साझा की।इन मृतकों में से 38 लोग ऐसे थे जो राहत सामग्री (खाद्य और अन्य जरूरतों की चीजें) लेने के लिए लाइन में खड़े थे। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें ज़रूरी सामान मिलेगा जिससे वे अपने परिवारों का पेट भर सकें, लेकिन वे हवाई हमलों का निशाना बन गए। मारे गए लोगों में से 5 लोग गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन के कार्यालय के पास मारे गए जो एक नवगठित अमेरिकी संगठन है और इज़राइल समर्थित बताया जा रहा है। इस संगठन का उद्देश्य गाजा के नागरिकों तक खाद्य सामग्री और मानवीय सहायता पहुंचाना है। शेष 33 लोग गाजा पट्टी के अलग-अलग क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने वाले ट्रकों के इंतजार में खड़े थे, जब वे इज़राइली हमलों का शिकार हुए।

इज़राइल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं
इस हमले के बाद भी इज़राइल डिफेंस फोर्स (IDF) या इज़राइली सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। न ही उन्होंने इन हमलों की पुष्टि की है और न ही मारे गए नागरिकों के बारे में कोई संवेदना प्रकट की है। पिछले कई महीनों से गाजा में इज़राइल द्वारा किए जा रहे सैन्य अभियानों में  नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं की मौत की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह घटना भी उसी दुखद कड़ी का हिस्सा बनती दिख रही है।

गंभीर मानवीय संकट की ओर गाजा 
गाजा पट्टी पहले ही एक खुली जेल  की तरह काम कर रही है। लगातार हमलों, ब्लॉकेड और संसाधनों की कमी ने आम नागरिकों की ज़िंदगी को नरक से भी बदतर बना दिया है। भोजन, पानी, दवा जैसी मूलभूत चीजें लोगों को घंटों कतारों में लगकर भी नहीं मिल रही । अब जब  भोजन पाने की उम्मीद से खड़े लोग भी मारे जा रहे हैं  तो यह साफ संकेत है कि हालात पूर्ण मानवीय त्रासदी में बदल चुके हैं।
 
मानवाधिकार संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया संभव
इस घटना के बाद अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों, संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस जैसे संगठनों की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। पहले भी संयुक्त राष्ट्र ने गाजा में मानवीय सहायता पर हो रहे हमलों को लेकर  इज़राइल को चेतावनी दी थी कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन है।  2023 के अंत में शुरू हुए गाजा संघर्ष ने अब तक  30,000 से अधिक लोगों की जान ली है  जिनमें एक बड़ी संख्या नागरिकों की है। गाजा पर इज़राइल ने  पूर्ण नाकाबंदी कर रखी है ।वकोई उड़ान, कोई जलमार्ग, कोई आपूर्ति सहज रूप से नहीं आ सकती है।  सीमाओं पर स्थिति इतनी खराब है कि लोग भूख से मरने की कगार पर हैं और अस्पतालों में दवाइयों की भारी किल्लत है
 
रोटी की तलाश भी जुर्म 
गाजा में हाल की घटना यह सवाल उठाती है कि क्या भोजन और मदद की उम्मीद रखना भी अब अपराध बन चुका है? यह केवल सैन्य संघर्ष नहीं रहा, बल्कि एक मानवता की परीक्षा बन चुका है। जहां एक ओर युद्ध की राजनीति चल रही है, वहीं दूसरी ओर बेसहारा, भूखे और थके लोग बस जीने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब वे भी  हमलों का हिस्सा  बनते जा रहे हैं। 

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