वित्तीय वर्ष 2025-26 के पुनरीक्षित अनुमान, वर्ष 2026-27 के बजट अनुमान के संबंध में दिशा-निर्देश जारी

भोपाल 
मध्यप्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के पुनरीक्षित बजट अनुमान और वर्ष 2026-27 के बजट निर्माण की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। इसके लिये वित्त विभाग द्वारा दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये हैं। इस बार भी राज्य सरकार द्वारा शून्य आधार बजटिंग (Zero Base Budgeting) की प्रक्रिया को जारी रखते हुए वित्तीय अनुशासन और परिणाम आधारित बजट निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है।

इसके साथ ही सरकार ने पहली बार वर्ष 2027-28 एवं वर्ष 2028-29 के लिए “त्रिवर्षीय रोलिंग बजट” तैयार करने का निर्णय लिया गया है, जो प्रदेश की दीर्घकालिक विकास रणनीति ‘विकसित मध्यप्रदेश 2047’ पर केन्द्रित है।

बजट स्वीकृति के पहले हर योजना का होगा मूल्यांकन

वित्त विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार अब प्रत्येक योजना के लिए यह स्पष्ट करना आवश्यक होगा कि उस पर खर्च क्यों किया जा रहा है, उसका लाभ किसे होगा और उसका सामाजिक व आर्थिक असर क्या होगा। इस प्रक्रिया में गैर-प्रभावी योजनाओं को समाप्त करने और समान प्रकृति की योजनाओं को एकीकृत करने पर भी विचार किया जाएगा।

बजट निर्माण की प्रमुख तिथियां

    28–31 जुलाई 2025: विभागीय प्रशिक्षण और प्रारंभिक चर्चा।

    10 सितम्बर 2025: IFMIS में आंकड़े भरने की अंतिम तिथि।

    15–30 सितम्बर 2025 : प्रथम चरण चर्चा।

    31 अक्टूबर: नवीन योजनाओं के प्रस्ताव की अंतिम तिथि।

    1 अक्टूबर – 15 नवम्बर: द्वितीय चरण चर्चा।

    दिसम्बर–जनवरी: मंत्री स्तरीय बैठकें।

    31 मार्च 2026: समायोजन प्रस्तावों की अंतिम तिथि।

वेतन, भत्ते और स्थायी व्यय की भी अलग होगी गणना

    विभागों को अपने स्थायी खर्चों जैसे वेतन, पेंशन, भत्तों की गणना करते समय विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है।

    प्रत्येक वित्तीय वर्ष के वेतन में 3% वार्षिक वृद्धि जोड़ी जाएगी।

    महंगाई भत्ते की गणना क्रमशः 74%, 84% और 94% के हिसाब से होगी।

    संविदा कर्मचारियों के वेतन में 4% वार्षिक वृद्धि का भी प्रावधान रहेगा।

अजा-अजजा उपयोजना के लिए न्यूनतम बजट सुनिश्चित करना होगा अनिवार्य

वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 16% और अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 23% बजट सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य रहेगा। इसके लिए सेगमेंट कोडिंग व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे योजनाओं में पारदर्शिता आएगी।

ऑफ-बजट व्यय और केंद्रीय योजनाओं पर भी निगरानी

जिन विभागों को भारत सरकार से सीधे फंड प्राप्त होता है, उन्हें वह राशि भी बजट प्रस्ताव में दर्शानी होगी। इसके अलावा, ऑफ-बजट ऋण, प्रोत्साहन योजनाओं का वित्तीय असर, और नवीन योजनाओं की स्वीकृति की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है।

सभी प्रस्ताव तय समय पर IFMIS में हों दर्ज

सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि बजट की तैयारी के लिए जो आई.एफ.एम.आई.एस. (IFMIS) प्रणाली अपनाई गई है, उसमें तय समय के बाद प्रविष्टि की अनुमति नहीं दी जाएगी। विभागों को निर्देशित किया गया है कि वे सभी प्रस्ताव निर्धारित समयसीमा में दर्ज करें और विभागीय बैठक के पूर्व पूरी जानकारी तैयार रखें।

जनहित में होगा व्यय

शून्य आधार बजटिंग प्रणाली से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि हर योजना के पीछे ठोस उद्देश्य हो, उसका समाज पर प्रभाव दिखे और प्रत्येक व्यय राज्य की विकास प्राथमिकताओं से मेल खाता हो।

राज्य सरकार का यह प्रयास केवल राजकोषीय अनुशासन की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्रभावी शासन और नागरिक सेवा सुधार के लिए भी सराहनीय कदम साबित होगा।

 

More From Author

विकास एजेंडे पर चर्चा के लिए सीएम मोहन माझी पहुंचे पीएम मोदी से मिलने

AC-3 के तीन नए कोच जुड़ेंगे मुजफ्फरपुर-प्रयागराज एक्सप्रेस में, जानें बाकी बदलाव भी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

city24x7.news founded in 2021 is India’s leading Hindi News Portal with the aim of reaching millions of Indians in India and significantly worldwide Indian Diaspora who are eager to stay in touch with India based news and stories in Hindi because of the varied contents presented in an eye pleasing design format.