CBI का बड़ा एक्शन: करोड़ों के घूसकांड में रविशंकर महाराज, डीपी सिंह और भदौरिया फंसे

रायपुर 

CBI ने प्रदेश के प्रसिद्ध संत व रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन रविशंकर महाराज(Rawatpura Sarkar) के खिलाफ FIR दर्ज की है. उनके खिलाफ ये FIR कॉलेज को मान्यता देने और सीटें बढ़ाने के लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल यानी NMC  की टीम को रिश्वत देने के मामले में दर्ज कराई गई है. दरअसल CBI को लंबे समय से शिकायत मिल रही थी कि NMC के कुछ अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रिश्वत लेकर निजी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. इसी सूचना के आधार पर CBI ने ट्रैप तैयार किया और बेंगलुरू में इंस्पेक्शन टीम के एक डॉक्टर को 55 लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया. वैसे रावतपुरा सरकार की मुश्किलें यहीं खत्म होती नहीं दिख रही है. रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार के इस मेडिकल कॉलेज का जीरो ईयर भी घोषित किया जा सकता है. इस पूरी जांच में श्री रावतपुरा समेत आठ राज्यों के मेडिकल कालेज प्रबंधन से पैसे लेकर मान्यता देने का मामला सामने आया है. 

CBI ने छापे की ये कार्रवाई बीते 1 जुलाई को की. CBI टीम ने तब कर्नाटक,मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,राजस्थान,उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत 6 राज्यों में 40 जगह छापे मारे थे.  जिसमें तीन डॉक्टर समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. अब CBI ने इसी मामले में श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल साइंस और उसके चेयरमैन श्री रविशंकर जी महाराज और निदेशक अतुल तिवारी समेत 35 लोगों को आरोपी बनाया है. अब आप ये जान लीजिए कि किन-किन लोगों को आरोपी बनाया गया है. 

इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) के अधिकारी जीतू लाल मीना (Jeetu Lal Meena), धर्मवीर (Dharmveer), पीयूष माल्यान (Piyush Malyan), राहुल श्रीवास्तव (Rahul Srivastava), अनूप जायसवाल (Anup Jaiswal) जैसे नाम भी चार्जशीट में दर्ज हैं. 

कौन हैं रावतपुरा सरकार?

संत रविशंकर महाराज को ही मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत उत्तर भारत के लोग रावतपुरा सरकार के नाम से जानते हैं. उनके भक्तों की सूची कई बड़े राजनेता भी शामिल हैं. अध्यात्म की दुनिया में वे बड़ा नाम हैं. वो रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस के चेयरमैन भी हैं. इसी इंस्टीट्यूट के मामले में CBI ने जो FIR दर्ज की है उसमें उनका नंबर चौथा है. संत रविशंकर महाराज का जन्म 12 जुलाई 1968 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के छिपरी गांव में हुआ था. उनका बचपन का नाम रवि था, जो उनके नाना-नानी ने रखा था. उनके पिता,कृपाशंकर शर्मा, एक ग्राम सेवक थे. उनकी मां का नाम रामसखी शर्मा है.

उन्हें करीब से जानने वाले बताते हैं कि तब वे स्कूल जाने के बजाय अक्सर गांव से 2 किलोमीटर दूर शारदा माता मंदिर के पास एक गुफा में ध्यान लगाने चले जाते थे. उनकी माँ को कई बार उन्हें गुफा से निकालकर घर लाना पड़ता था. कई बार उनकी मां को गुफा में रवि के कपड़े भीगे हुए मिले, जैसे उन्होंने कुएं में डुबकी लगाई हो. 
11 वर्ष की उम्र में घर छोड़ा और बन गए बाबा

ऐसा कहा जाता है कि रावतपुरा सरकार 11 साल की उम्र में  आध्यात्मिक खोज में निकल पड़े थे. यह निर्णय उनके परिवार के लिए चिंता का विषय था, क्योंकि वे परिवार के सबसे बड़े बेटे थे और उनसे जिम्मेदारियों की उम्मीद थी. फिर भी, उनकी आध्यात्मिक रुचि ने उन्हें रावतपुरा गांव (लहार, भिंड, मध्य प्रदेश) में हनुमान मंदिर के पास ले गई, जहां उन्होंने साधना शुरू की. यहीं से उन्हें "रावतपुरा सरकार" की उपाधि मिली.रावतपुरा गांव में हनुमान मंदिर के पास साधना के बाद रविशंकर महाराज ने रावतपुरा धाम को अपने आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित किया. उनका आश्रम धीरे-धीरे भक्तों के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया। 

यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज भी बनवाए

साल 2000 में, रविशंकर जी महाराज ने रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट की स्थापना की. इस ट्रस्ट ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में शिक्षा,स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में व्यापक काम किए. ट्रस्ट के तहत स्कूल, कॉलेज,अस्पताल,ब्लड बैंक,नर्सिंग कॉलेज और वृद्धाश्रम जैसे संस्थान चलाए जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में श्री रावतपुरा यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई. जिसमें इंजीनियरिंग,मैनेजमेंट,फार्मेसी,कॉमर्स,साइंस और आर्ट्स जैसे क्षेत्रों में डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी प्रोग्राम प्रदान की जाती है. इसके अलावा वा रायपुर में श्री रावतपुरा सरकार इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRIMSR) की भी स्थापना की गई.इसी मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए रिश्वत कांड में उनके खिलाफ सीबीआई ने FIR दर्ज की है.

कौन हैं रावतपुरा सरकार के नाम से मशहूर रविशंकर महाराज?

छत्तीसगढ़ में श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए मनचाही रिपोर्ट देने के लिए 55 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में 3 डॉक्टरों समेत कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसके बाद एक बार फिर रावतपुरा महाराज सुर्खियों में आ गए हैं. 

दरअसल, रावतपुरा सरकार के नाम से मशहूर रविशंकर महाराज इस मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन भी हैं. आखिर कौन हैं रावतपुरा सरकार और कैसे मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की बड़ी हस्तियां इनके आशीर्वाद के लिए जाते हैं? यह समझने की कोशिश करते हैं.

रविशंकर महाराज कैसे बने रावतपुरा सरकार! 
दरअसल, रावतपुरा सरकार की प्रसिद्धि की शुरुआत भिंड के लहार स्थित उनके आश्रम की वजह से हुई. जहां रावतपुरा सरकार का यह आश्रम एक प्राचीन हनुमान मंदिर के पास स्थित है. रावतपुरा में हर रोज हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. 

यहां संत ही ‘सरकार’ हैं!

रविशंकर महाराज का जन्म बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिले के छिपरी गांव में हुआ था. इनका बचपन काफी आर्थिक परेशानियों के बीच गुजरा. आगे चलकर उनके माता-पिता ने रविशंकर महाराज का दाखिला ओरछा के रामराजा संस्कृत विद्यालय में करवा दिया ताकि वो पुरोहित का काम सीख सकें, लेकिन यहां उनका मन नहीं लगा और वो पढ़ाई बीच में ही छोड़कर रावतपुरा गांव पहुंच गए और यहां स्थित हनुमान मंदिर में साधना शुरू कर दी. 

मंदिर में प्राप्त हुईं सिद्धियां

स्थानीय लोग बताते हैं कि इसी मंदिर में रविशंकर महाराज को सिद्धियां प्राप्त हुईं और उन्होंने अपना दरबार लगाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे मंदिर में रविशंकर महाराज को मानने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी, पर वहां जगह की कमी को देखते हुए बात में रावतपुरा धाम की स्थापना की गई, जहां एक विशाल आश्रम बनाया गया.

ट्रस्ट बनने के बाद शुरू हुआ स्कूल और अस्पताल खोलने का सिलसिला
साल 2000-2001 में रविशंकर महाराज ने रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट बनाया जिसके तहत मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कई स्कूल और अस्पताल खोले गए. यही नहीं, इसी ट्रस्ट के अधीन रावतपुरा सरकार के कई आश्रम, संस्कृत स्कूल, नर्सिंग कॉलेज, ब्लड बैंक, फार्मेसी कॉलेज और रायपुर में रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज भी है. यही नहीं, छत्तीसगढ़ के बस्तर में रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी समेत मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और यूपी में कई शिक्षण संस्थान हैं.

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