भोपाल
 मध्य प्रदेश के साढ़े सात लाख शासकीय कर्मचारियों को अब केंद्र सरकार के अनुरूप अवकाश दिया जाएगा। इसके लिए मप्र सरकार ने 48 साल पुराने मप्र सिविल सेवा (अवकाश) नियम-1977 में बदलाव किया है। यह निर्णय मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया।
कैबिनेट ने वित्त विभाग के मध्य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम-2025 के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इससे प्रदेश के करीब साढ़े सात लाख शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों को केंद्र सरकार के अनुरूप अवकाश की सुविधा मिलेगी।
इसके तहत चिकित्सकों को पीजी योग्यता प्राप्त करने के लिए 36 माह का अध्ययन अवकाश मिलेगा। इससे सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं आएगा। अधिसूचना जारी होने के दिन से यह नियम लागू होंगे। अब शासकीय सेवक सरोगेट या कमीशनिंग मदर को प्रसूति अवकाश की पात्रता होगी। वहीं एकल (अकेले) पुरुष शासकीय सेवक को भी संतान पालन अवकाश मिलेगा। दत्तक संतान ग्रहण के लिए 15 दिन का पितृत्व अवकाश 15 मिलेगा।
निलंबन काल में नहीं होगी अवकाश की पात्रता
शासकीय सेवक के दिव्यांग अथवा गंभीर अस्वस्थ्य होने पर उनके परिवार के सदस्य आवेदन दे सकेंगे। निलंबन काल में अवकाश की पात्रता नहीं होगी। अवकाश दिवस पर काम करने वाले शैक्षणिक संवर्ग को एक वर्ष में 10 दिवस के अर्जित अवकाश की पात्रता होगी।
सेवा के प्रारंभिक वर्ष में आवश्यकता होने पर अर्द्धवेतन अवकाश की सुविधा होगी। सेवानिवृत्ति के पूर्व अवकाश के प्रविधान और सेवानिवृत्ति की तिथि के बाद अवकाश के प्रविधान को भी विलोपित किया गया।

 
                 
                                 
                                 
                                 
                             
                             
                             
                                             
                                            


