नई दिल्ली
भारत ने विमानन क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रूस के साथ बड़ी डील की है. सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (UAC) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते के तहत HAL भारत में रूसी डिजाइन वाले पैसेंजर जेट ‘सुखोई सुपरजेट 100 (SJ-100)’ का निर्माण करेगी. यह समझौता भारत के लिए दशकों बाद पूरी तरह से नागरिक विमानों के निर्माण में उतरने की दिशा में पहला बड़ा कदम है.
यह समझौता मॉस्को में हुआ, जिससे भारत को इस विमान को देश के अंदर ही असेंबल करने का अधिकार मिल गया है. यह कदम भारत के नागरिक उड्डयन इतिहास में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि यह देश की नागरिक विमान निर्माण क्षमता को दोबारा जिंदा की दिशा में पहला बड़ा प्रयास है.
SJ-100 एक ट्विन-इंजन रीजनल जेट है, जो छोटी दूरी की उड़ानों के लिए उपयुक्त है. यह पहले से ही दुनिया की एक दर्जन से अधिक एयरलाइनों में चलाई जा रही है और इसके 200 से अधिक यूनिट बनाए जा चुके हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहल बोइंग और एयरबस जैसे अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों के दबदबे वाले बाज़ार में प्रतिस्पर्धा पैदा कर सकती है. इसके अलावा, इस विमान को भारत सरकार की उड़ान (UDAN) योजना के तहत देश के कम जुड़ाव वाले क्षेत्रों को बेहतर हवाई कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए उपयोग किए जाने की संभावना है.
यह सौदा भारत की आखिरी बड़ी नागरिक विमान परियोजना, यानी HAL AVRO HS-748 (1961 से 1988 तक निर्मित) की याद भी ताज़ा करता है. तब से अब तक भारत अपने व्यावसायिक बेड़े के लिए विदेशी आयात पर ही निर्भर रहा है. वर्तमान में भारत में संचालित ज्यादातर विमान Boeing 737 और Airbus A320 परिवार के हैं, जो वैश्विक बाजार का लगभग 90% हिस्सा नियंत्रित करते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि HAL–UAC साझेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ाना और नए रोजगार पैदा करना है. अनुमान है कि अगले एक दशक में भारत को 200 से अधिक रीजनल जेट विमानों की आवश्यकता होगी.




