भविष्य की तकनीक: जमीन पर उड़ने वाला पुष्पक विमान, 4 घंटे में 1000 किलोमीटर और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन

मुंबई
दुनिया के कई देश हाई-स्‍पीड ट्रेन प्रोजेक्‍ट पर काम कर रहे हैं. भारत में भी मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है. हाई-स्‍पीड ट्रेन प्रोजेक्‍ट का काफी काम पूरा हो चुका है. बुलेट ट्रेन की लिस्‍ट में जल्‍द ही एक एक और नया नाम जुड़ने वाला है. यूरोप में भी साल 2040 तक हाई-स्‍पीड रेल का नेटवर्क बिछाने की योजना है. यूरोपीय कमीशन की ओर से इसका ऐलान किया गया है. प्रोजेक्‍ट के पूरा होने पर तकरीबन आधे समय में गंतव्‍य तक ट्रेन से यात्रा पूरी की जा सकेगी. यूरोप के कई देशों को बुलेट ट्रेन से कनेक्‍ट करने की योजना है.

यूरोप में रेल यात्रा एक बार फिर बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. यूरोपीय आयोग (European Commission) ने महाद्वीप के कई प्रमुख शहरों और देशों को जोड़ने वाले एक नए हाई-स्पीड ट्रेन नेटवर्क की योजना को हरी झंडी दे दी है. इस परियोजना का लक्ष्य यात्रा समय को आधा करना और सीमा-पार कनेक्टिविटी को आसान बनाना है. इसे यूरोप का रेल पुनर्जागरण कहा जा रहा है, जो यात्रियों के लिए तेज, सस्ती और पर्यावरण हितैषी परिवहन सुविधा का नया युग लेकर आएगा.
250 KMPH की स्‍पीड

यूरोपीय आयोग द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के अनुसार, यह हाई-स्पीड रेल नेटवर्क पूरी तरह साल 2040 तक ऑपरेट होगा. हालांकि, कई प्रमुख रूट 2030 से ही शुरू हो जाएंगे. इन ट्रेनों की गति 250 किलोमीटर प्रति घंटा तक होगी, जिससे यात्रा समय में भारी कमी आएगी. बर्लिन से कोपेनहेगन की यात्रा, जो अभी लगभग 7 घंटे लेती है, साल 2030 तक सिर्फ 4 घंटे में पूरी होगी. सोफिया से एथेंस की यात्रा में भी बड़ा बदलाव होगा. जहां अभी करीब 14 घंटे लगते हैं, वहीं साल 2035 तक यह समय 6 घंटे हो जाएगा. प्रस्तावों में पेरिस से लिस्बन (मैड्रिड के रास्ते) और वारसॉ से टालिन (रीगा के रास्ते) जैसी नई सीधी हाई-स्पीड लिंक भी शामिल हैं.
लंबी दूरी की यात्रा अब और आसान

यूरोप भर में यात्रा करने वाले लोगों के लिए यह नेटवर्क क्रांतिकारी साबित होगा. यूरोपीय कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, प्राग से रोम की यात्रा सिर्फ 10 घंटे में संभव होगी. स्टॉकहोम से कोपेनहेगन की यात्रा 4 घंटे में सिमट जाएगी. इन तेज ट्रेनों और सुगम कनेक्टिविटी से पर्यटन के साथ-साथ व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा.
पर्यावरण हित में बड़ा कदम

यह पूरी परियोजना यूरोपीय आयोग की महत्वाकांक्षी Trans-European Transport Network (TEN-T) योजना का हिस्सा है. TEN-T का उद्देश्य रेलवे, सड़क, पोर्ट और हवाई यातायात सहित पूरे महाद्वीप में एकीकृत परिवहन ढांचा विकसित करना है. हाई-स्पीड रेल नेटवर्क से यूरोप में कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि लोग विमान और कार की तुलना में रेल यात्रा को तरजीह देंगे. पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लंबी दूरी की यात्राओं में ट्रेनें विमान का विकल्प बनती हैं, तो इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में हजारों टन की कमी आ सकती है.
यात्रियों की जेब पर क्या असर?

अभी लागत का पूरा विवरण सामने नहीं आया है. यूरोपीय आयोग के अधिकारी केवल यही कह रहे हैं कि हाई-स्पीड रेल यात्रियों के लिए सस्ती और सुलभ विकल्प के तौर पर उपलब्ध होगी. यात्रा समय कम होने से यह नेटवर्क बजट फ्लाइट्स का भी मजबूत विकल्प बनेगा. संक्षेप में यूरोप में ट्रेन से यात्रा अब न केवल तेज़ और सुविधाजनक होगी, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर साबित होगी. तेज ट्रेनों का यह नेटवर्क महाद्वीप के शहरों को पहले से कहीं ज्यादा निकट ले आएगा और रेल यात्रा को एक बार फिर यूरोप की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बना देगा.

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