भोपाल वेस्टर्न बायपास के नए अलाइनमेंट को मिली मंजूरी, 36 किमी सड़क के लिए 6000 पेड़ होंगे कटेंगे

भोपाल 

भोपाल और सागर में पेड़ों की कटाई को लेकर पिछले दिनों मप्र हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की थी। अधिकारियों ने जब कोर्ट को बताया कि भोपाल में 244 पेड़ों में से 112 को रिलोकेट किया गया है और इसकी तस्वीरें कोर्ट के सामने पेश की गईं तो कोर्ट इन्हें देखकर भड़क गया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे ट्रांसप्लांटेशन से पेड़ नहीं बचते, मर जाते हैं।

कोर्ट की यह टिप्पणी इस समय इसलिए मायने रखती है, क्योंकि भोपाल में वेस्टर्न बायपास प्रोजेक्ट को सरकार ने मंजूरी दे दी है। करीब 36 किमी लंबे इस बायपास के निर्माण के लिए 6 हजार से ज्यादा पेड़ों को काटा या शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि, विभागीय सूत्रों का कहना है कि कम से कम पर्यावरणीय नुकसान को देखते हुए बायपास के नए अलाइनमेंट को मंजूरी दी गई है।

वहीं भोपाल के अमझरा गांव में 90 हेक्टेयर जमीन वन विभाग को दी गई है। पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि 6 हजार पेड़ों को काटने के बाद जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई इतनी जल्दी नहीं हो सकेगी। बहरहाल, वेस्टर्न बायपास के 4 हजार रुपए करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार ने 2981 करोड़ रुपए की प्रशासकीय मंजूरी भी जारी की है।

हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) पर बनने वाली यह सड़क न केवल भोपाल को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाएगी, बल्कि इंदौर, जबलपुर और नर्मदापुरम के बीच एक हाई-स्पीड कॉरिडोर भी बनेगा.।

पहले जानिए क्यों बदला वेस्टर्न बायपास का अलाइनमेंट पहले यह बायपास मंडीदीप के पास इकायाकलां से शुरू होकर फंदा तक बनना था, लेकिन अब यह 11 मील स्थित प्रतापपुर से शुरू होकर फंदा कलां तक जाएगा। नए रूट में वन क्षेत्र 6.1 किमी से घटकर 5.45 किमी रह गया है। सड़क विकास निगम के अधिकारियों का तर्क है कि रातापानी टाइगर रिजर्व के बफर जोन और समसगढ़ स्थित पुराने शिव मंदिर को बचाने के लिए रूट में बदलाव किया गया है।

हालांकि, इस बदलाव के पीछे की कहानी कुछ और ही बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, पुराने रूट पर कई नेताओं, अधिकारियों और रसूखदारों की जमीनें आ रही थीं, जिन्हें बचाने के लिए अलाइनमेंट बदला गया। पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने इस मामले की शिकायत सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रोजेक्ट को जानबूझकर प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बदला गया है।

सड़क के लिए कटेंगे 6463 पेड़ भोपाल वेस्टर्न बायपास का निर्माण पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 416.25 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, जिसमें लगभग 45 हेक्टेयर वन भूमि भी शामिल है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस भूमि पर मौजूद 6463 पेड़ों को या तो काटा जाएगा या फिर उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा।

वन विभाग ने पेड़ों की कटाई की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी है। इसके तहत क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिए भोपाल के अमझरा गांव में 90 हेक्टेयर भूमि वन विभाग को उपलब्ध कराई गई है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि हजारों पुराने और घने पेड़ों के कटने से होने वाले पारिस्थितिक नुकसान की भरपाई महज नए पौधे लगाकर नहीं की जा सकती। यह बायपास कोलार और हुजूर तहसील के उन इलाकों से गुजरेगा, जो अपनी हरियाली के लिए जाने जाते हैं।

बाघों के मूवमेंट के लिए 1.5 किमी लंबे पुल बनेंगे चूंकि नया रूट भी रातापानी टाइगर रिजर्व के बफर जोन के करीब से गुजर रहा है, इसलिए वन्यजीवों, विशेषकर बाघों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।

    वाय-डक्ट का निर्माण: बाघों और अन्य वन्यजीवों के सुरक्षित मूवमेंट के लिए 6 अलग-अलग स्थानों पर कुल 1480 मीटर लंबे वाय-डक्ट (ऊंचे पुल) बनाए जाएंगे। इससे जानवर नीचे से बिना किसी बाधा के आवाजाही कर सकेंगे और ट्रैफिक ऊपर से गुजरता रहेगा।

    साउंड प्रूफ फेंसिंग: पूरे बायपास को साउंड प्रूफ बनाया जाएगा। सड़क के दोनों ओर 10 मीटर ऊंची फेंसिंग की जाएगी, ताकि वाहनों के शोर से वन्यजीव परेशान न हों और वे सड़क पर न आ सकें।

अब जानिए बायपास के फायदे पर्यावरणीय चिंताओं के बावजूद इस बायपास के बनने से भोपाल और आसपास के क्षेत्र को 4 बड़े फायदे होंगे…

    समय और ईंधन की बचत: इंदौर जाने वाले वाहनों को अब शहर के अंदर से नहीं गुजरना पड़ेगा, जिससे उनकी दूरी 21 किलोमीटर कम हो जाएगी। डेढ़ घंटे का सफर महज 30 मिनट में पूरा होगा।

    हाई-स्पीड कनेक्टिविटी: यह बायपास निर्माणाधीन इंदौर-भोपाल-जबलपुर ग्रीनफील्ड 6-लेन हाईवे से जुड़ेगा, जिससे माल ढुलाई और आना-जाना आसान होगा।

    शहर को जाम से मुक्ति: भारी वाहन शहर के बाहर से ही निकल जाएंगे, जिससे भोपाल वासियों को ट्रैफिक जाम से बड़ी राहत मिलेगी।

    एयरपोर्ट तक सीधी पहुंच: जबलपुर, मंडीदीप और नर्मदापुरम से आने वाले वाहन बिना शहर में प्रवेश किए सीधे एयरपोर्ट पहुंच सकेंगे।

जनवरी से शुरू होगी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया राज्य सरकार से सैद्धांतिक सहमति मिलने के बाद अब अगले महीने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में प्रोजेक्ट को अंतिम मंजूरी दी जाएगी। इसके बाद नए साल में जनवरी से ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस प्रोजेक्ट के लिए 23 गांवों की जमीनें अधिगृहीत की जाएंगी।

More From Author

थार रेगिस्तान में खुला सोने का खजाना, बाड़मेर करेगा चीन का खेल खत्म; देश की टेक्नोलॉजी और डिफेंस को बड़ा बल

एयरपोर्ट के लिए उज्जैन में शुरू होगा भूमि अधिग्रहण, AAI और सरकार के बीच MOU के बाद प्रोजेक्ट आगे बढ़ा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RO No. 13379/51

city24x7.news founded in 2021 is India’s leading Hindi News Portal with the aim of reaching millions of Indians in India and significantly worldwide Indian Diaspora who are eager to stay in touch with India based news and stories in Hindi because of the varied contents presented in an eye pleasing design format.