- अगर नाम बदलाने से भाजपाइयों को दुःख है तो पहले मोदी-योगी का पुतला जलाए ।
- शासन ने डिमरापाल कॉलेज का नाम बिल्कुल भी नही बदला है ।
- प्रदेश संयोजक नवाब ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि बस्तर में मुख्यमंत्री – सांसद का पुतला जला कर ओछी राजनीति कर रहे है भाजपाई।
बस्तर में सियासी बवाल को बढ़ावा दे रही भाजपाईयों का हरकत सिर्फ और सिर्फ ओछी राजनीति का प्रमाण है। ज्ञान के अभाव में भाजपाई समझ ही नही पा रहे है कि डिमरापाल मेकाज का बिल्कुल भी नाम नही बदला गया है। डिमरापाल स्थित महाविद्यालय का नाम “स्व.बलिराम कश्यप मेडिकल महाविद्यालय” ही है जबकि इस परिसर में संचालित सिर्फ अस्पताल का नामकरण “शहीद महेंद्र कर्मा जी” के नाम पर किया गया है ।
नाम बदलने के मुद्दे को गलत तरीके से प्रस्तुत कर भाजपाई जनता को सिर्फ गुमराह कर रही है । मेकाज के नाम बदलने के मुद्दे पर सियासत कर रही भाजपाईयो ने अगर अपने ही कार्यो की समीक्षा की होती तो आज यह हरकत नही करते, की बस्तर में मुख्यमंत्री – सांसद का पुतला दहन किया जा रहा है, जबकि नाम बदलने के काम मे तो भाजपाइयों को महारत हासिल है जिसका हाल ही में एक प्रत्यक्ष प्रमाण रहा है जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने गुजरात स्थित सरदार पटेल स्पोर्ट्स परिसर के मोटेरा स्टेडियम का नाम बदल के स्वयं के नाम पर रखकर “नरेंद्र मोदी स्टेडियम” कर दिया ।
भारत के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार पटेल जी के नाम को हटा कर स्वयं के नाम पर स्टेडियम का नामकरण करने पर भाजपाइयों ने प्रधानमंत्री मोदी जी का एक भी पुतला दहन नही किया, जिससे निश्चित ही समझ आता है कि भाजपाइयों की मानसिकता कैसी है कि अपनी गलती पर चुप्पी साधे हुए है और प्रदेश की कांग्रेस शासन के खिलाफ कोई राजनीतिक मुद्दा न मिलने पर कैसे डिमरापाल मेडिकल महाविद्यालय के मुद्दे को गलत ढंग से प्रस्तुत कर जनता को गुमराह करने का काम कर रही है ।
पूर्व में भी उत्तर प्रदेश में भाजपाइयों की योगों सरकार ने भी यही कार्य किया जब शहरों का नाम तक बदल दिया, तब भी भाजपाइयों ने इस मुद्दे पर कोई आवाज़ नही उठाई । और तो और भाजपा ने जबसे देश की सत्ता संभाली है तबसे भी सिर्फ और सिर्फ पूर्व के कांग्रेस सरकार की योजनाओं का नाम बदल कर ही वाह वाही लूटी है । वैसे भी भाजपा सरकार जनहित में कोई विकास कार्य या लोकहित योजना लाने में हमेशा से असफल रही है तो भाजपाइयों के पास सिर्फ नाम बदल कर ही योजनाओ को संचालित करने का रास्ता बचता है ।
जिस तरह से भाजपाइयों ने नामकरण के मुद्दे पर बस्तर में मुख्यमंत्री- सांसद का पुतला जलाया है, भाजपाइयों को तो सबसे पहले मोदी – योगी का पुतला दहन करना चाहिए और समझाइश देना चाहिए कि नामकरण की राजनीति बंद कर देनी चाहिए । अपना राजनीतिक स्तर गिरा चुकी भाजपा आज बस्तर में अपनी राजनीतिक ज़मीन बचाने के किसी भी स्तर तक जा सकती, यह भाजपाइयों ने बस्तर की जनता को गुमराह करने की इस नाकाम कोशिश से बता कर “उल्टा चोर, कोतवाल को डांटे” वाली कहावत को सही साबित किया है ।