वास्तु शास्त्र के अनुसार माता सरस्वती की प्रतिमा को रखे इस दिशा में तो आएगी सुख समृद्धि

माता सरस्वती की पूजा और उनके प्रतीकों की महिमा भारतीय संस्कृति में बहुत गहरी है। सरस्वती देवी ज्ञान, संगीत, कला और विद्या की देवी मानी जाती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग विभिन्न प्रकार से उनकी पूजा करते हैं। जब हम सरस्वती की प्रतिमा को घर में स्थापित करने की बात करते हैं, तो दिशा का चुनाव महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह न केवल धार्मिक परंपरा से जुड़ा होता है, बल्कि इसका विज्ञान और वास्तु से भी गहरा संबंध है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की हर दिशा का एक विशेष महत्व होता है। यह न केवल वास्तु के सिद्धांतों पर आधारित होता है बल्कि व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रभाव डालता है। देवी सरस्वती की पूजा के लिए सही दिशा का चुनाव करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह दिशा व्यक्ति के ज्ञान, बुद्धि, और सृजनात्मकता में सुधार ला सकती है।

उत्तर-पूर्व दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। यह दिशा सबसे शुभ मानी जाती है और यह ज्ञान और बौद्धिकता से जुड़ी होती है। अगर सरस्वती की प्रतिमा को इस दिशा में रखा जाए तो यह उनके आशीर्वाद को आकर्षित करने के लिए उत्तम होता है। इस दिशा में विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी का वास होता है,और इस दिशा में बैठकर या पूजा करके व्यक्ति अपनी विद्या में वृद्धि कर सकता है। उत्तर-पूर्व दिशा में सरस्वती की प्रतिमा रखने से न केवल विद्यार्थियों को लाभ मिलता है बल्कि यह सामान्य जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

पूर्व दिशा
पूर्व दिशा को भी शुभ माना जाता है, खासकर अगर आप प्रतिमा को इस दिशा में रखते हैं। यह दिशा सूर्योदय के स्थान से संबंधित है और सूरज की किरणों से जुड़ी हुई है, जो ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक मानी जाती है। पूर्व दिशा में सरस्वती की मूर्ति रखने से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है और उसका मानसिक विकास होता है। पूर्व दिशा में पूजा करने से मन की शांति और एकाग्रता में वृद्धि होती है। इस दिशा में स्थित प्रतिमा व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है और उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।

दक्षिण दिशा और पश्चिम दिशा
दक्षिण दिशा को आमतौर पर नकारात्मक दिशा माना जाता है और पश्चिम दिशा भी कम शुभ मानी जाती है, खासकर देवी-देवताओं की पूजा के लिए। इन दिशा में सरस्वती की मूर्ति रखने से वास्तु के अनुसार नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह दिशा ऊर्जा के अवरुद्ध होने का कारण बन सकती है, जिससे मानसिक तनाव और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इन दोनों दिशाओं में सरस्वती की प्रतिमा को रखना उचित नहीं माना जाता।

शुद्ध स्थान पर स्थापित करें
इसके अलावा यह भी जरूरी है कि सरस्वती की प्रतिमा एक स्वच्छ और शुद्ध स्थान पर स्थापित की जाए। जिस स्थान पर प्रतिमा रखी जाए, वहां किसी प्रकार की गंदगी या अव्यवस्था नहीं होनी चाहिए। एक शांत और निर्बाध स्थान होना चाहिए ताकि पूजा के दौरान ध्यान और एकाग्रता बनी रहे। प्रतिमा की स्थापना करते समय ध्यान रखें कि वह सीधे सूर्य की रोशनी में न हो, क्योंकि ज्यादा तेज रोशनी से देवी की ऊर्जा का सही रूप में प्रवाह नहीं हो पाता।

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