महिलाएं आत्मबल और इच्छा शक्ति को मजबूत रखते हुए आम धारणा को तोड़े: राज्यपाल उइके

विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को किया गया सम्मानित

रायपुर : राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा है कि महिलाओं को लंबा संघर्ष और चुनौतियों का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। साथ ही आत्मबल और इच्छा शक्ति को मजबूत रखते हुए आम धारणा को तोड़ने का प्रयास कर विशेष उपलब्धियां हासिल करना चाहिए। राज्यपाल  उइके आज यहां शहीद राजीव पांडेय सभागार में सखी फाउंडेशन रायपुर द्वारा आयोजित वीरांगना सम्मान समारोह को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मान किया गया।

राज्यपाल उइके ने कहा कि सखी फाउंडेशन स्वास्थ्य शिक्षा तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रहा है, जो सराहनीय है। राज्यपाल ने कहा कि हमारे इतिहास में कई ऐसी महिलाएं हुई जिन्हें हम वीरांगना कहते हैं क्योंकि उन्होंने तत्कालीन समय में दमनकारी सत्ता के खिलाफ खड़ी हुईं और उनका मुकाबला किया। रानी लक्ष्मीबाई, अवंतीबाई जैसे अनेकों वीरांगनाएं हुई, जिन्हें हम याद करते हुए नमन करते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि आज हम जिनको सम्मानित कर रहे हैं, वाकई में वे भी वीरांगनाएं हैं, क्योंकि उन्होंने वह कर दिखाया है जो आम लोग नहीं कर पाते। इन महिलाओं ने अपने-अपने क्षेत्र में आज जो उपलब्धियां हासिल की है और जिस मुकाम पर पहुंची है वह रास्ता आसान नहीं था। उन्हें लंबा संघर्ष और कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, चाहे वह घर की हो या बाहर की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में महिलाओं ने अपने आत्मबल और इच्छाशक्ति के बलबूते वह कर दिखाया है जो वाकई में संभव नहीं था। चाहे महिला पवर्तारोही अरूणिमा सिन्हा हो या मिताली राज, इन्होंने खेल के क्षेत्र में परचम लहराया वहीं अन्य क्षेत्रों जैसे व्यापार और कार्पोरेट क्षेत्र में सुनीता रेड्डी, मल्लिका श्रीनिवासन, जिया मोदी, किरण मजूमदार, कली पुरी जैसे महिलाएं जिन्हें फार्च्यून इंडिया की सूची में शीर्ष स्थान मिला। इन महिलाओं ने आम धारणा को तोड़ी है और पुरूषों के क्षेत्र माने जाने वाले कार्यों में अपनी दक्षता दिखाई है।

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी हर क्षेत्र में महिलाएं उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। यदि हम कोरोना काल की बात करें तो महिलाओं ने स्वास्थ्य, सुरक्षा जैसे तमाम क्षेत्रों में पुरूषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर कार्य किया। कुछ जिलों में कलेक्टर के रूप में या पुलिस अधिकारी के रूप में अपनी भूमिका निभा रही है। हम पाएंगे कि कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी एक महिला के पास थी और उन्होंने अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया। इस समय प्रमुख विश्वविद्यालयों की कमान महिला वाइस चांसलर के कंधों पर है। ये सब महिलाएं हमारी बेटियों को प्रेरणा देती है कि वे आगे बढ़ते रहें और किसी भी हाल में हिम्मत न हारें।

राज्यपाल ने कहा कि महिला-पुरूष एक रथ के दो पहिए होते है। किसी पुरूष की सफलता के पीछे एक महिला का हाथ होता है, चाहे वह मां, पत्नी व बहन के रूप में हो। उसी तरह किसी महिला कीे सफलता के पीछे पुरूष का हाथ होता है। वेे एक पिता, भाई, पति या एक मार्गदर्शक के रूप में हो सकते हैं। मुझे मेरे शिक्षकों का मार्गदर्शन और संरक्षण मिला, उन्होंने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। साथ ही सकारात्मक दृष्टिकोण वाले पुरूषों का भी मार्गदर्शन मिलते रहा। उनसे मुझे विभिन्न दायित्वों के अलावा यहां तक पहुंचने का सहयोग मिला।

उइके ने उनके द्वारा गोद लिए गए गांव सल्फीपदर की जिक्र करते हुए कहा कि आज से कुछ समय इस गांव के पुरूष और महिलाएं राजभवन आए थे और मेरे साथ गांव के विकास के कुछ मुद्दों पर चर्चा की थी। उनकी बातों को सुनकर मैंने उस गांव को गोद लेने का निर्णय लिया। आज वह गांव विकास की राह पर है, यह वहां की रहने वाली महिलाओं की लगन और आत्मबल के फलस्वरूप हो पाया है।

इस समारोह की अध्यक्षता पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केसरीलाल वर्मा ने की और विशेष अतिथि राज्य एनएसएस अधिकारी डॉ. समरेन्द्र सिंह थे। उन्होने भी अपने विचार व्यक्त किए। सखी फाउंडेशन की अध्यक्ष श्रीमती नीलम सिंह ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम समन्वयक डॉ. नीता बाजपेयी ने स्वागत उद्बोधन दिया। वहीं पर पूर्व राज्यसभा सांसद गोपालव्यास तथा शिवलाल जी तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

इस अवसर पर राज्यपाल ने वीरांगना सम्मान से शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. जयलक्ष्मी ठाकुर, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सुमिता पंजवानी, आदिवासी महिलाओं की उत्थान में डॉ. जयमति कश्यप, शिक्षा के क्षेत्र में मिताश्री मित्रा, ऑपरेशन मुस्कान-बच्चों की तस्करी को रोकने के क्षेत्र में उषा आईलवार और शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में श्रीदेवी चौबे को सम्मानित किया। इसी तरह स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र में शकुन्तला  धु्रुव, सामाजिक क्षेत्र में दीप्ति पांडे,  संयुक्ता रश्मि मिश्रा, वास्तु एवं ज्योतिष शास्त्र में भारती वर्मा, नृत्य कला एवं मेकअप आर्टिस्ट के क्षेत्र में पूजा रूहेला, सामाजिक क्षेत्र में  वनिता सोनकर, शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. मनीषा महापात्रा, कोरोना योद्धा रेणु गुप्ता, स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र में डॉ. नीता शर्मा, सामाजिक क्षेत्र में  अनिता खंडेलवाल, छत्तीसगढ़ राज्य को प्लास्टिक व नशा मुक्ति करने के लिए श्रद्धारानी साहू, प्रबंधकीय परामर्श एवं लघु उद्योगों के विस्तार के लिए  मंजूषा परेल, छत्तीसगढ़ की सामाजिक कुरीतियों की रोकथाम में  नीलिमा चतुर्वेदी, छत्तीसगढ़ की पहली महिला शेफ जो 7 स्टार होटल में  पूर्वा सिन्हा, निशुल्क चिकित्सा शिविर के लिए  प्रेरणा धाबरडे, शिक्षा और सामाजिक कार्यों के लिए  सुनीता चंसोरिया, स्वच्छता अभियान के क्षेत्र में  रवीन्द्र कौर औलिया, पशु चिकित्सा क्षेत्र में वैज्ञानिक डॉ. ममता चौधरी, साइबर फॉरेंसिक विशेषज्ञ  सोनाली गुहा, वीरता एवं साहसिक कार्य के क्षेत्र में  याशी जैन, कानून और सामाजिक क्षेत्र में  नौशीना अफरीन, सामाजिक क्षेत्र में  हेमा गुरूवारा एवं प्रसिद्ध कथक नर्तकी डॉ. अनुराधा दुबे को सम्मानित किया गया।

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