रायपुर : छत्तीसगढ़ में वैश्विक महामारी काेरोना वायरस का कहर जारी है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से रायपुर जिला सबसे अधिक प्रभावित दिख रहा है। यहां संक्रमण की दर 50 प्रतिशत के आसपास बताई जा रही है। रायपुर में कल बुधवार को 3960 पॉजिटिव मिले, जबकि 33 संक्रमितों की मौत हुई है। नए संक्रमितों के मिलने के बाद रायपुर प्रदेश का ऐसा पहला जिला बन गया है, जहां अब तक एक लाख से अधिक 1,02,881 पॉजिटिव केस मिल चुके हैं।
राज्य के 18 जिलों में लॉकडाउन के बाद भी प्रदेश की संक्रमण दर एक सप्ताह के अधिकतम स्तर पर पहुंच चुकी है। पिछले 24 घंटे में कोरोना के 46,528 टेस्ट हु, जिसमें 14,250 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, यानी प्रत्येक 100 जांच में 30.62 लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं। बुधवार को प्रदेश में कोरोना के 73 मरीजों की मौत भी हुई।
इन सबके बीच छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों का सहयोग मांगा है। उन्हाेंने कहा कि प्रदेश की हालत बेहद खराब है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के कुशल पैरामेडिकल स्टाफ यहां भेजे जाएं ताकि मरीजों की मदद हो सके। वहीं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री कोरोना नियंत्रण की अब तक की कोशिशों की जानकारी देंगे। वहीं राजनीतिक दलों से भी रोकथाम के उपायों पर सुझाव लिए जाएंगे।
प्रदेश में इतनी अधिक मौतें हो रही हैं कि शवों को श्मशान ले जाने के लिये गाड़ियां कम पड़ गई हैं। रायपुर में तो मालवाहक ट्रकों को शव वाहन बना दिया गया है। कल बुधवार को रायपुर के मेकाहारा से इसी तरह करीब एक दर्जन शव अंतिम संस्कार के लिए शहर के अलग-अलग हिस्सों में ले जाए गए।
इलाज के अभाव या देरी से इलाज मिलने की वजह से जिन लोगों की मौत हो रही है, उनके शवों के साथ भी बेकद्री की तस्वीरें आ रही हैं। रायपुर में कई दिन से पड़े जिन शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया, उनमें से कुछ में कीड़े पड़ चुके थे। राजनांदगांव के डोंगरगांव बालक छात्रावास में बनाए गए कोविड केयर सेंटर में कल तीन महिलाओं की मृत्यु हो गई। स्थानीय प्रशासन ने इन तीनों शवों को कचरा ढोने वाली गाड़ी में रखकर श्मशान भिजवाया।
प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत और कालाबाजारी के बाद सरकार ने दो IAS अफसरों को मुंबई और हैदराबाद में बिठाया है। इनका काम दवा उत्पादक कंपनियों से समन्वय कर रेमडेसिविर जैसी दवाओं की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इसका असर दिखा है। लेकिन दवाओं की कालाबाजारी अब भी जारी है। मरीजों के परिजन दवा की पर्ची लेकर मेडिकल स्टोर पर भटक रहे हैं। वहीं कुछ लोग अधिक कीमत पर दवाएं मुहैया करा रहे हैं।