नई दिल्ली। उर्दू के जाने-माने विद्वान और साहित्यकार गोपी चंद नारंग का अमेरिका के चारलोट में निधन हो गया है। वह 91 वर्ष के थे। अपने बारीक विश्लेषणों से गालिब और फैज की शायरी को जीवंत स्वरूप देने वाले गोपी चंद का भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में सम्मान किया जाता था और उनके प्रशंसक भी हैं। उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में 60 से अधिक पुस्तकों के लेखक गोपी चंद नारंग को 1990 में पद्म श्री, 2004 में पद्म भूषण और फिर आठ साल बाद 2012 में पाकिस्तान के सितारा-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया गया था।
पी चंद को अक्सर बहुमुखी प्रतिभा का धनी कहा जाता था जिसका काम अनुशासनात्मक सीमाओं को पार करता है। उन्हें व्यापक रूप से मिर्जा गालिब, मीर तकी मीर और फैज अहमद फैज सहित उर्दू और फारसी कविता की रचनाओं को समझाने और उनका विश्लेषण करने के लिए जाना जाता है। प्रसिद्ध गीतकार एवं पटकथा लेखक जावेद अख्तर के अलावा इतिहासकार एस इरफान हबीब ने ट्वीट कर दिग्गज साहित्यकार गोपी नारंग को श्रद्धांजलि दी है। जावेद अख्तर ने ट्वीट किया, “उर्दू के विद्वान प्रोफेसर गोपी चंद नारंग का निधन हो गया है।
उर्दू पर उनका परम अधिकार था। उनके निधन से साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। भाषाओं की परवाह करने वाले और साहित्य से प्यार करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह बहुत दुखद दिन है।” पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के छोटे से शहर दुक्की में जन्मे गोपी चंद नारंग को उनके पिता धर्म चंद नारंग ने साहित्य से परिचित कराया था। धर्म चंद स्वयं संस्कृत और फारसी के विद्वान थे। गोपी चंद को 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उनके परिवार में पत्नी, बेटे और पोते-पोतियां हैं।